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श्री गंगा सप्तमी 18 मई 2021 को है श्री गंगा सप्तमी की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संदेश में भारतीय जन महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्म चंद्र पोद्दार ने कहा कि वैशाख शुक्ल तृतीया को श्री गंगा जी का जन्म हुआ था

श्री गंगा सप्तमी 18 मई 2021 को है ।
श्री गंगा सप्तमी की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संदेश में भारतीय जन महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्म चंद्र पोद्दार ने कहा कि वैशाख शुक्ल तृतीया को श्री गंगा जी का जन्म हुआ था ।
श्री पोद्दार ने कहा कि अपने संपूर्ण देशवासियों को श्री गंगा जी के बारे में जानना नितांत आवश्यक है । हमें अपनी सभ्यता और संस्कृति को कदापि नहीं भूलना चाहिए ।
उन्होंने कहा कि जब भगवान विष्णु ने वामन ब्राह्मण का रूप धारण कर महायज्ञ कर रहे राजा बलि से दान में तीन कदम भूमि मांगी और राजा ने देना स्वीकार कर लिया तब भगवान विष्णु ने पांवों को बहुत बड़ा करके अपने एक पांव से सारी पृथ्वी को नाप लिया ।
भगवान विष्णु जी ने दूसरा अपना विशाल पांव आकाश की ओर उठाया तब ब्रह्माजी ने उनके उस विशाल पांव को धोकर उक्त जल को अपने कमंडल में भर लिया । इसी जल के तेज से ब्रह्मा जी के कमंडल में गंगा जी का जन्म हुआ ।
उन्होंने कहा कि भगवान राम के पूर्वज इक्ष्वाकु वंशी राजा भगीरथ के प्रयासों से ही गंगा जी स्वर्ग से धरती पर आई थी लेकिन उन्हें स्वर्ग से धरती पर लाने के लिए बहुत तपस्या करनी पड़ी थी ।
उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने कहा था राजन तुम गंगा को पृथ्वी पर तो चाहते हो और क्या तुमने पृथ्वी से पूछा है कि वह गंगा के भार तथा वेग को संभाल पाएगी ।
मेरा विचार है कि गंगा के भार को संभालने की शक्ति भगवान शंकर में है । इसलिए उचित होगा कि गंगा जी का भार संभालने के लिए भगवान शिव का अनुग्रह प्राप्त कर लिया जाए महाराज भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने गंगा की धारा को अपने कमंडल से छोड़ा तब भगवान शंकर ने गंगा जी की धारा को अपनी जटाओं में समेटकर जटाएँ बांध ली ।बाद में भागीरथ की आराधना पर उन्होंने गंगा जी को अपनी जटाओं से मुक्त कर दिया
श्री पोद्दार ने संपूर्ण देशवासियों को श्री गंगा सप्तमी की बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं दी है ।
यह जानकारी भारतीय जन महासभा के द्वारा जारी की गयी एक विज्ञप्ति में दी गई है