झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

संथाल और कोल्हान पर सियासी दलों की नजर राजनीतिक दलों के कार्यक्रम राजधानी से दूर

संथाल और कोल्हान पर सियासी दलों की नजर राजनीतिक दलों के कार्यक्रम राजधानी से दूर

झारखंड के संथाल और कोल्हान पर सियासत पुरजोर हो रही है. क्योंकि बड़ी पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के नेता संथाल और कोल्हान का दौरा कर रहे हैं. पिछले दिनों केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कोल्हान और संथाल का दौरा किया. अब कांग्रेस अध्यक्ष का संथाल दौरा है. आज मल्लिकार्जुन खड़गे का पाकुड़ दौरा है.

रांचीः झारखंड में इन दिनों राष्ट्रीय स्तर के नेताओं और मंत्रियों के कार्यक्रम लगातार हो रहे हैं. अभी हाल ही में भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का देवघर में कार्यक्रम था. 11 फरवरी शनिवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र से हाथ से हाथ जोड़ो अभियान की शुरुआत कर रहे हैं.
झारखंड में भारतीय जनता पार्टी की सक्रियता राजधानी रांची से दूर ही रहा है. जनवरी महीने में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का कार्यक्रम कोल्हान चाईबासा में था. इसी तरह भाजपा के प्रदेश स्तरीय कार्यसमिति भी रांची की जगह देवघर में आयोजित हुई. जिसमें झारखंड भाजपा प्रभारी लक्ष्मी कांत वाजपेयी भी शामिल हुए.
अमित शाह और भाजपा के अन्य बड़े नेताओं की प्राथमिकता में रांची की जगह संथाल और कोल्हान क्यों है. इस सवाल का बेहद साफ और सपाट जवाब भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा देते हैं. वह कहते हैं कि हमारी नजर राज्य की उन दो लोकसभा सीट पर है, जहां 2019 में एनडीए की हार हुई थी. जाहिर है कि उन दो सीटों में एक कोल्हान में पश्चिम सिंहभूम की सीट है और दूसरी राजमहल की सीट. इन दो सीटों पर जीत का मोमेंटम बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी के कार्यक्रम राजधानी से दूर बन रहे हैं.
भाजपा नेता कहते है कि लेकिन कांग्रेस भी हाथ से हाथ जोड़ो अभियान संथाल से शुरू कर रही है, इसके पीछे की वजह भाजपा नहीं बल्कि झामुमो है. प्रदीप सिन्हा के अनुसार कांग्रेस संथाल में अपने सहयोगी दल झामुमो को अकेले और एकछत्र रूप से मजबूत होते नहीं देखना चाहती, इसलिए मल्लिकार्जुन खड़गे साहिबगंज से अभियान शुरू कर रहे हैं. प्रदीप सिन्हा कहते हैं कि यह और बात है कि इसका कोई लाभ कांग्रेस को नहीं मिलने वाला है.
वहीं झारखंड में पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का आगमन हो रहा है. राजधानी से दूर उपराजधानी दुमका और साहिबगंज पर पार्टी की विशेष नजर के सवाल पर कांग्रेस महासचिव राकेश सिन्हा कहते हैं कि कांग्रेस पूरे राज्य में मजबूत है, इसका कोई और अर्थ निकालना ठीक नहीं है. राकेश सिन्हा कहते हैं कि कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम की इच्छा थी कि उनके विधानसभा क्षेत्र से हाथ से हाथ जोड़ो अभियान शुरू हो इसलिए उस स्थान को चुना गया
रांची में भी आने वाले दिनों में बड़े नेताओं का कार्यक्रम होगा. लेकिन अगले ही पल राकेश सिन्हा यह भी कह बैठते हैं कि संथाल से हमारे दो मंत्री आलमगीर आलम और बादल पत्रलेख आते हैं तो दो तेज तर्रार विधायक प्रदीप यादव और दीपिका पांडे सिंह भी संथाल से ही हैं. ऐसे में राष्ट्रीय अध्यक्ष की मेजबानी का पहला हक संथाल का ही बनता था.
झारखंड की राजनीति को बेहद करीब से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार राजेश कुमार कहते हैं कि भले ही अभी 2024 दूर है लेकिन अभी से ही चुनावी शतरंज की बिसात पर चाल चलने शुरू हो गए हैं. शह और मात के इस खेल में एक तरफ तो आमने सामने के प्रतिद्वंद्वी साफ साफ दिख रहे हैं. वहीं अंदरूनी चाल भी राजनीतिक पार्टियां चल रहे हैं, जिसमें भाजपा, आजसू, कांग्रेस, राजद, झामुमो सभी शामिल हैं. अब देखना होगा कि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले इन चालों का क्या असर राज्य की राजनीति पर पड़ता है.
कांग्रेस और भाजपा की तरह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी खतियानी जोहार यात्रा के बहाने हर जिले में प्रवास कर रहे हैं. भले ही इसे महागठबंधन का कार्यक्रम बताया जा रहा हो लेकिन जिस तरह से मुख्यमंत्री की खतियानी जोहार यात्रा को लेकर झामुमो के नेता और कार्यकर्ता की सक्रियता दिखती है. इससे साफ है कि मुख्यमंत्री भी इस यात्रा के बहाने जनता के बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा का जनाधार बढ़ाने में ही लगे हैं.