झारखण्ड वाणी

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प्रगतिशाील किसान सुखदेव महाराज के सफलता की कहानी समेकित कृषि प्रणाली अपनाकर जी रहे खुशहाल जीवन युवाओं, किसानों को ऑर्गेनिक खेती के लिए करते हैं प्रेरित राज्य सरकार के दिशा-निर्देशानुसार किसानों की समृद्धि की दिशा में जिला प्रशासन कर रही कार्य

प्रगतिशाील किसान सुखदेव महाराज के सफलता की कहानी
समेकित कृषि प्रणाली अपनाकर जी रहे खुशहाल जीवन युवाओं, किसानों को ऑर्गेनिक खेती के लिए करते हैं प्रेरित
राज्य सरकार के दिशा-निर्देशानुसार किसानों की समृद्धि की दिशा में जिला प्रशासन कर रही कार्य

घाटशिला प्रखंड अंतर्गत सालबनी के रहने वाले सुखदेव महाराज की पहचान प्रगतिशील कृषक के रूप में होती है लगभग तीन एकड़ में खेती करते हैं साथ ही गाय पालन, मुर्गी पालन, बत्तख पालन और मछली पालन से अपनी आर्थिक स्थिति को समृद्ध किया है । सुखदेव महाराज की पहचान एक समाज सेवक के रूप में भी जो कृषि को बदलते हुए मौसम में कैसे सफलता पूर्वक विविधीकरण के माध्यम से बड़े व्यवसाय के रूप में लिया जाय है इस पर ही चिंतन करते रहते हैं । आसपास के युवा तथा अन्य किसानों को आर्गेनिक खेती के लिए प्रेरित करते हैं
सुखदेव महाराज बताते हैं कि शुरुआत में पानी की समस्या होने के कारण पास के ही मिडिल स्कूल परिसर से पानी लाकर खेतों की सिंचाई किया करते थे । उन्होंने बताया की पहली बार किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ मिला तो कुआं खुदवाने में पैसे लगाकर पानी की समस्या से निजात पाया । आगे जब खेती का जब दायरा बढ़ा तो बोरिंग तथा कुसुम योजना का लाभ लेते हुए सोलर पैनल और सोलर पंप लगाकर अब सिंचाई करते हैं
सुखदेव महाराज ने पारंपरिक खेती को नहीं अपनाकर सब्जी की खेती की तरफ कदम बढ़ाया उन्होंने बताया कि परवल, भिंडी, आलू, बैगन, कोहड़ा, मिर्च, लौकी और अन्य सब्जियां उगाते हैं जिससे नगद आमदनी हो जाती है। इन सब में मुख्य रूप से परवल की खेती ज्यादा करते हैं जो अप्रैल से लेकर अक्टूबर माह तक की जाती है । प्रति महीने लगभग 800 किलोग्राम परवल का उत्पादन करते हैं, इस क्षमता में उत्पादन करना सिर्फ इसलिए संभव हो पा रहा है क्योंकि तकनीक का सहारा लेते हुए ड्रिप टेक्नोलॉजी से सिंचाई करते हैं । इस तकनीक से ना सिर्फ उत्पादन बढ़ा है बल्कि अब लगभग पहले के मुकाबले 80 गुना पानी की बचत भी कर रहे हैं।
सुखदेव महाराज बताते हैं कि कृषि विभाग के अंतर्गत उन्हें नेट हाउस तकनीक का भी लाभ मिला जिसका उपयोग वे 5 साल से कर रहे हैं। 60″×24″ के नेट हाउस के अंदर पौधा तैयार किया जाता है । तैयार पौधों को वे पोटका, पटमदा, डुमरिया, मुसाबनी तथा हजारीबाग, बोकारो, चाईबासा जैसे क्षेत्रों में आपूर्ति भी करते हैं। अब तक उन्होंने लगभग 300 किसानों को ड्रिप तकनीक के उपयोग का प्रशिक्षण दिया है
सुखदेव महाराज कहते हैं कि समेकित कृषि प्रणाली (इंटीग्रेटेड फार्मिंग) से किसानों को जोड़ने की सोच काफी अच्छी है जिसे किसानों के बीच और प्रचलित किया जाना चाहिए ताकि सिर्फ एक मौसम में सिर्फ खेती पर आश्रित नहीं रहकर साल भर किसान जीविकोपार्जन एवं आर्थिक समृद्धि की दिशा में खेती किसानी से जुड़े रहें