झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

पूरे झारखंड राज्य के बूथ स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक के कार्यकर्ता इस किसान विरोधी झारखंड की हेमंत सरकार के विरोध में वर्चुअल धरना देकर झारखंड में रह रहे किसानों के समर्थन में धरना दिया गया

आज भारतीय जनता पार्टी झारखंड प्रदेश की प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के निर्देशानुसार पूरे झारखंड राज्य के बूथ स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक के कार्यकर्ता इस किसान विरोधी झारखंड की हेमंत सरकार के विरोध में वर्चुअल धरना देकर झारखंड में रह रहे किसानों के समर्थन में धरना दिया गया।
ज्ञात हो कि हमारा देश कृषि प्रधान देश है किसानों के बल पर 70% भारत की अर्थव्यवस्था एवं भारत के लोग आत्मनिर्भर होकर जीते हैं पूरे विश्व में भारत ही एक ऐसा देश है कि जहां पर कुल आबादी की लगभग एक तिहाई लोग कृषि पर निर्भर है कृषि है तो किसान है । किसान है तो भारत है और भारत की अर्थव्यवस्था किसानों पर निर्भर है लेकिन एक तरफ हमारी राज्य सरकार की विडंबना दिल्ली में बैठे हुये किसानों के लिए विधवा विलाप रोते हैं तो दूसरी तरफ अपने ही राज्य के किसानों के साथ में अत्याचार करते हैं । आज विगत नवंबर महीने में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि हम पूरे झारखंड के प्रत्येक किसानों का धान एमएसपी रेट पर हम लेंगे ।
पर दुर्भाग्य है कि आठ दिन के अंदर में झारखंड के वित्त मंत्री रामेश्वर ऊराव ने इसका जोरदार खंडन किया और आज यह परिस्थिति है कि किसानों का 55% धान किसानो के दरवाजे पर पड़ा है अब तो दूसरा मानसून भी आ चुका है।
इस कोरोनावायरस महामारी में किसान क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा इसीलिए इस निकम्मी किसान विरोधी सरकार के विरोध में धरना देकर इन निम्नलिखित बातों की मांग की गई
1. किसानों के बकाया राशि का शीघ्र भुगतान करे।

2.मुख्य्मंत्री हेमंत सोरेन के आदेश पर नवंबर महीने में धान की खरीद प्रदेश के किसानों से की गई।

3.आठ दिन बाद कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और राज्य सरकार के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने धान खरीद पर रोक लगा दी और उन्होंने कहा की धान अभी गीले हैं, धान जब सूखेगा तब खरीदा जायेगा।

4. नवंबर माह में खरीदे धान के मूल्य का अभी तक किसानों को भुगतान नहीं किया गया है। कहीं कहीं पे किसानों को आधे राशि का भुगतान किया गया है।

5. धान बोने का समय आ गया है, अधिकांशतः किसान इस आशा और भरोसा में रहे की शेष धान जो घरों में बचे हैं वो सरकार खरीदेगी लेकिन धान नहीं खरीद होने के कारण या तो किसान औने पौने दामों में धान को बिचौलियों के हाथो में बेच डाला या धान किसानों के घर में सड़ रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में किसानों के बीच विकट स्थिति उत्पन्न हो गई है और किसान काफी हताश और निराश हैं।

6. ग्रामीण क्षेत्रो में भी कोरोना काफी तेजी से पांव पसार रहा है, किसान पैसे के आभाव में इलाज नहीं करा पा रहे हैं और आने वाले समय में धान के बीज की खरीददारी कैसे कर पाएंगे।