झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

पांच सौ साल पुरानी है पथरोल काली मंदिर, भक्तोें की सारी मन्नतें होती है पूरी

देवघर के मधुपुर अनुमंडल स्थित पथरोल काली मंदिर में नवरात्र को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ लगनी शुरू हो गई है. काली मंदिर में दीपावली के एक दिन पहले काफी संख्या में श्रद्धालु देश के कोने-कोने से पहुंचते हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां भक्तों की जो भी मन्नतें होती है वह जरूर पूरी होती है.

देवघर: जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर मधुपुर अनुमंडल स्थित पथरोल गांव जहां 500 वर्ष पुरानी जागृत काली मंदिर है. यहां भक्तों की हर मन्नतें पूरी होती है. जानकारों के मुताबिक राजा दिग्विजय सिंह ने काली मंदिर स्थापित की है, जहां आपरूपी मां काली मंदिर की जगह सिर्फ बेदी की ही पूजा की जाती थी, जिसके बाद मां काली सपने में आकर राजा दिग्विजय सिंह को कोलकाता कालीघाट से प्रतिमा लाकर स्थापित करने का आदेश दिया था, जिन्हें डोली से कंधे पर लादकर पूरे विधिविधान के साथ लाया गया और
वीरभूम जिले के पुरोहित से स्थापना कराया, जो आज तक यहां विराजमान हैं. भक्तों की मानें तो यहां की मां काली काफी जागृत है और खासकर नवरात्र में माता से किसी भी प्रकार की मन्नतें करने से जरूर पूरी होती है, इन दिनों कोरोना महामारी को लेकर सरकार के गाइडलाइन के मुताबिक मंदिरों में सीमित संख्या में ही एहतियात बरतते हुए दर्शन पूजा कराया जा रहा है.
पथरोल काली मंदिर में नवरात्र को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ लगनी शुरू हो गई है. काली मंदिर में दीपावली के एक दिन पहले काफी संख्या में श्रद्धालु देश के कोने-कोने से पहुंचते हैं, जिसको लेकर जिला प्रशाशन के ओर से पूरी तैयारी की जाती है.