ओलंपिक के एथलीटों के प्रति तत्परता दर्शाती है “एथलीट फर्स्ट” की प्रतिबद्धता वीरेन रस्किन्हा
करीब एक महीने पहले विनेश फोगट असमंजस में थीं। भारत की प्रसिद्ध पहलवान बुल्गारिया स्थित अधिक ऊंचाई वाले प्रशिक्षण शिविर से भारत लौटना चाहती थीं, लेकिन वापस आने की इस योजना को कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर ने विफल कर दिया। भारत से आने-जाने वाली उड़ानें रद्द हो रही थीं। यूरोप की यात्रा के लिए वीजा मिलना कठिन होता जा रहा था। ऐसे में उनके साथी के रूप में निरंतर मौजूद थी तो केवल अनिश्चितता।
इससे भी खराब स्थिति तब आयी जब उन्होंने अपना बेस हंगरी के बुडापेस्ट में स्थानांतरित किया। वहां वह अपने कोच, वोलर एकोस के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण जारी रखने में तो सफल रहीं लेकिन टीकाकरण की पहली खुराक हासिल करने को लेकर संदेह हर गुजरते दिन के साथ बढ़ता गया। हंगरी अपने नागरिकों का टीकाकरण कर रहा था, वैक्सीन को लेकर क्लब तथा कोच द्वारा किए गए अथक प्रयासों के बाद भी कोई हल नहीं निकल रहा था।
पोलैंड ओपन शुरू होने वाला था, चिंतित होकर हमने भारतीय खेल प्राधिकरण से मदद मांगी। उनके महानिदेशक ने हंगरी में भारतीय दूतावास को पत्र लिखा। हमारे राजदूत कुमार तुहिन ने यह सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त प्रयास किया कि विनेश को शनिवार को वैक्सीन लग जाए। जो लोग यूरोप की प्रणाली से परिचित हैं, उन्हें पता होगा कि सप्ताहांत में यह काम होना कितना कठिन होता है। पोलैंड ओपन को ध्यान में रखते हुए, वैक्सीन के किसी भी संभावित दुष्प्रभाव से उभरने के लिए विनेश को पर्याप्त समय दिया जाना महत्वपूर्ण था। आगे चलकर पोलैंड ओपन में विनेश ने स्वर्ण पदक जीता। इस त्वरित कार्रवाई से विनेश को टोक्यो ओलंपिक से पहले ही दूसरी खुराक लेने के लिए भी पर्याप्त समय मिला।
कुछ दिनों पहले क्रोएशिया में भारतीय दूतावास ने राइफल और पिस्टल निशानेबाजों को ज़गरेब में अपनी दूसरी खुराक पाने में मदद की। केवल कुछ दिनों पहले ही अधिकार-प्राप्त समूह ने ओलंपिक में जाने वाले एथलीटों के लिए दो खुराकों के बीच के अंतर को कम करके 28 दिन करने की अनुमति दी थी। यह देखकर बहुत खुशी होती है कि सरकार एथलीटों की जरूरतों के प्रति संवेदनशील है। हर प्रयास अंतिम परिणाम को प्रभावित करता है।
पिछले छह हफ्तों में भारतीय एथलीटों का टीकाकरण और टोक्यो जाने वाले एथलीटों व अधिकारियों के संबंध में त्वरित निर्णय, तैयारी के स्तर का एक बहुत अच्छा उदाहरण है। यह इस बात को दर्शाता है कि किस प्रकार एथलीटों को, चाहे वे किसी भी खेल और क्षेत्र से आते हों, खेल प्रशासन द्वारा पूरा सम्मान और ध्यान दिया जा रहा है।
नेताजी सुभाष नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स, पटियाला तथा एसएआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, बंगलुरु, ऐसे केंद्र हैं जहां सरकार द्वारा 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए वैक्सीन की घोषणा के तुरंत बाद एथलीटों को टीका लगाया गया। इसके अलावा, राज्य सरकारों के साथ समन्वय से यह सुनिश्चित किया गया कि टोक्यो जाने वाले अन्य एथलीटों को उनके गृह शहरों में ही टीका लगाया जा सके।
मैं स्पष्ट तौर पर कहना चाहता हूँ कि प्रशिक्षण और प्रतिस्पर्धा के साथ एथलीटों को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार रहने में मदद करने के लिए सरकार द्वारा सहानुभूति का स्तर, गति और काम की गुणवत्ता, पिछले ओलंपिक चक्र की तुलना में बहुत बेहतर रही है और महामारी के बावजूद भी ऐसा संभव हुआ है। इरादे को त्वरित प्रयासों से दर्शाया गया है, ताकि ‘एथलीट फर्स्ट’ का निर्णय सही साबित हो सके।
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