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नीतीश कैबिनेट में फेरबदल की तैयारी, खतरे में बीजेपी कोटे के आधे दर्जन मंत्रियों की कुर्सी

नीतीश कैबिनेट में फेरबदल की तैयारी, खतरे में बीजेपी कोटे के आधे दर्जन मंत्रियों की कुर्सी

अप्रैल अंत तक नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है. चर्चा है कि इस बार बीजेपी कोटे से नए मंत्रियों को मौका मिलेगा पार्टी सामाजिक और जातिगत समीकरण के साथ-साथ परफॉर्मेंस को ध्यान में रखकर फेरबदल कर सकती है.
पटना: बिहार में नीतीश मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावना जताई जा रही है. माना जा रहा है कि इस महीने के अंत तक नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार हो जाएगा. इस बात की खूब चर्चा हो रही है कि बीजेपी कोटे से कई मंत्रियों को छुट्टी हो सकती है और उनकी जगह नए चेहरों को मौका मिल सकता है. पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में से चार में मिली शानदार जीत के बाद पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है.
नीतीश सरकार के गठन हुए डेढ़ साल हो चुके हैं. ऐसे में बीजेपी को लगता है कि लोकसभा चुनाव में जनता के बीच जाकर हिसाब भी देना है. लिहाजा कैबिनेट में केवल परफॉर्म करने वाले मंत्रियों को ही जगह दी जाएगी. जो चर्चा है उसके मुताबिक दोनों डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद और रेणू देवी के साथ-साथ जीवेश मिश्रा, आलोक रंजन झा, अमरेंद्र प्रताप सिंह, सुभाष सिंह, रामप्रीत पासवान, नारायण प्रसाद और राम सूरत राय की कुर्सी खतरे में बताई जा रही है. कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह को अधिक उम्र होने के चलते कुर्सी गंवानी पड़ सकती है तो स्वास्थ्य कारणों से सहकारिता मंत्री सुभाष सिंह मंत्रिमंडल छोड़ सकते हैं. वे गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं और लगातार उनका इलाज चल रहा है.
मंत्रिमंडल फेरबदल में बीजेपी सामाजिक और जातिगत समीकरण के साथ-साथ परफॉर्मेंस का भी पूरा ख्याल रखेगी. बीजेपी कोटे से जिन नए चेहरों को नीतीश मंत्रिमडल में जगह मिल सकती है, उनमें ब्राह्मण चेहरे के तौर पर नीतीश मिश्रा, भूमिहार जाति से विधान पार्षद देवेश कुमार या सिवान जिले से विधायक देवेश कांत या फिर स्पीकर विजय सिन्हा हो सकते हैं. वहीं, राजपूत जाति से राजू सिंह, सुवर्णा सिंह या राणा रणधीर सिंह की चर्चा है. यादव चेहरे के तौर पर केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय या एमएलसी नवल किशोर यादव हो सकते हैं. दलित चेहरे के तौर पर कृष्ण कुमार ऋषि, ललन पासवान और बोचहां विधानसभा उपचुनाव जीतने पर बेबी देवी के नाम की भी चर्चा है. कुर्मी जाति से प्रेम रंजन पटेल, राजीव रंजन और विधायक मंटू सिंह हैं. वैश्य समुदाय से संजय सरावगी और मोतीलाल प्रसाद जबकि अति पिछड़ा वर्ग से अर्जुन सहनी और प्रमोद चंद्रवंशी को मौका मिल सकता है.
बीजेपी कोटे से जो मंत्री सुरक्षित हैं यानी जिनकी कुर्सी बची रहेगी, उनमें स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे, पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी, वन व पर्यावरण मंत्री नीरज बबलू, उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन और खनन मंत्री जनक राम शामिल हैं. यह तमाम लोग कैबिनेट में बने रहेंगे. हालांकि इनके विभाग में फेरबदल किया जा सकता है. उधर, जेडीयू कोटे में थोड़ी बहुत फेरबदल की संभावना है. चर्चा है कि पूर्व मंत्री नीरज कुमार और विधान पार्षद उपेंद्र कुशवाहा को मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिल सकती है.
बीजेपी के नेता अभी खुलकर कुछ भी कहने से बच रहे हैं. बिहार बीजेपी के प्रवक्ता विनोद शर्मा कहते हैं कि हमारी पार्टी मंत्रिमंडल में फेरबदल करती रहती है. यह एक रूटीन प्रक्रिया है. वे कहते हैं कि बीजेपी में ऐसे फैसले केंद्रीय स्तर पर लिए जाते हैं. वहीं, राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का मानना है कि वर्तमान परिस्थितियों में नीतीश कैबिनेट में फेरबदल के संकेत स्पष्ट तौर पर मिल रहे हैं. पिछली कैबिनेट में बीजेपी ने जिन चेहरों पर दाव लगाए थे, वह उम्मीद पर खरे नहीं उतरे. ऐसे में लोकसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी तेज-तर्रार नेताओं को आगे ला सकती है.
नीतीश मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री समेत कुल 31 मंत्री हैं. इसमें बीजेपी के 16 और जेडीयू के 15 मंत्री हैं. विधायकों की संख्या के हिसाब से 36 मंत्री बनाए जा सकते हैं. ऐसे में 5 मंत्री और बनने की गुंजाइश है. वहीं मुकेश सहनी का एक पद रिक्त हुआ है. लिहाजा कुल छह मंत्री बनाए जा सकते हैं. पिछले साल सरकार बनने के 84 दिनों के बाद नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ था और अब एक बार फिर से मंत्रिमंडल के पुनर्गठन और विस्तार की चर्चा होने लगी है लेकिन 2024 से पहले बिहार में मंत्रिमंडल का अंतिम स्वरूप होगा.