झारखण्ड वाणी

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मोदी सरकार की इतनी हिम्मत नहीं है कि वह इंडिया और भारत को अलग अलग कर सके-रईस रिजवी छब्बन

जमशेदपुर- झारखण्ड प्रदेश अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश सचिव रईस रिजवी छब्बन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि शायद भारत में किसी को भी इस बात का अंदाजा नहीं होगा की विपक्षी गठबंधन के ” इंडिया ” नाम से ही मोदी  इतने परेशान हो जायेंगे . मैं इंडिया या भारत के वेवकूफी भरे झमेले में नहीं पड़ना चाहता हूं . ” वन नेशन, वन इलेक्शन ” हो , इंडिया या भारत हो यह सब भाजपा के ध्यान भटकाव रणनीति का एक हिस्सा है. यदि इंडिया शब्द गुलामी का प्रतीक है, तो इसरो , आई आई टी , आई बी एम , रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया जैसे सैकड़ों प्रतिष्ठित संस्थानों के नाम भी बदले जायेंगे ? सुना था की दिल्ली के राजसिंहासन पर कभी ऐसा भी राजा बैठा था , जिसने चमड़े का सिक्का जारी किया था . आज राजसिंहासन पर बैठे मोदी  और उनके अलुल जलूल बातों और फैसलों को देखकर कुछ वैसा ही प्रतीत हो रहा है. उल्टे भाजपाई कहते हैं कि कांग्रेस और इंडिया गठबंधन को भारत नाम से इतनी नफरत क्यों है ? नफरती जहर के सौदागरों को नफरत से इतनी मुहब्बत है कि उन्हें हर उस जगह पर नफरत दिखाई देता है , जहाँ मुहब्बत विद्यमान है . क्या  राहुल गाँधी के कन्याकुमारी से कश्मीर तक की 3570 कि. मी. लम्बी भारत जोड़ो पदयात्रा का नाम इंडिया जोड़ो पदयात्रा था ? क्या इंडिया गठबंधन का शीर्षक ” भारत जुड़ेगा, इंडिया जीतेगा ” भारत नाम से नफरत को दर्शाता है ? हम भारतीय भी हैं , इंडियन भी हैं . मोदी सरकार की इतनी हिम्मत नहीं है कि वह इंडिया और भारत को अलग अलग कर सके . वन नेशन , वन इलेक्शन , इंडिया हो या भारत हो जैसे विवादास्पद बातों की आड़ में मोदी  जिन मुद्दों से ध्यान भटकाना या बचना चाहते हैं वह अब उनके लिए असंभव है . इंडिया के मुद्दे अब मोदी  का पीछा छोड़ने वाले नहीं हैं . घबराहट और भय में गलतियों का होना निश्चित है. इंडिया गठबंधन के  नेताओं और कार्यकर्ताओं को मोदी  की इस बचकानी और घटिया हरकतों को देखकर ख़ुश होना स्वाभाविक है. हमें ख़ुशी हो रही है कि इंडिया गठबंधन का तीर ( नीतीश जी का चुनाव चिन्ह ) सही निशाने पर लगा है और उसकी पीड़ा लाख छुपाने के वावजूद भी सामने आ रहा है.  अरविंद केजरीवाल ने सही कहा है कि यदि इंडिया गठबंधन अपना नाम भारत रख ले तो क्या भारत का नाम भाजपा रख देंगे ? मोदी  आप लाख कोशिश कर लें , मुद्दे आपको छोड़ने वाले नहीं है. महंगाई , मणिपुर, बेरोजगारी, महिला उत्पीड़न , संस्थागत भ्रष्टाचार , और संविधान पर आक्रमण ऐसे ज्वलंत मुद्दे हैं , जो ई . बी. एम. का बटन दबाते वक्त भी मतदाताओं के मनोमस्तिक में छाये रहेंगे . आपकी गोदी मीडिया , झूठा प्रचार तंत्र और आपके जुमले सब हवा हवाई हो जायेंगे. अंत में मैं पूर्व राष्ट्रपति की अध्यक्षता में गठित वन नेशन वन इलेक्शन कमिटी के सदस्य प्रख्यात अधिवक्ता  हरीश सालवे  को 68 वर्ष की उम्र में तीसरी शादी करने के लिए बधाई देता हूं . लंदन में हुई इस बेमेल शादी के मुख्य अतिथि मोदी  के भगोड़े मित्र ललित मोदी भी बधाई के हक़दार हैं. क्या हुआ यदि  नरेन्द्र मोदी इसमें शरीक नहीं हुए , कोई मोदी तो थे ? .