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मजदूर दिवस-बसंत दिवसअमेरिका के मजदूरों ने उनके यूनियन ने काम का समय 8 घंटे से अधिक नहीं रखे जाने के लिए हड़ताल की थी

मजदूर दिवस-बसंत दिवस

अमेरिका के मजदूरों ने उनके यूनियन ने काम का समय 8 घंटे से अधिक नहीं रखे जाने के लिए हड़ताल की थी संयोगवश यह हड़ताल 1 मई 1886 को हुई थी हड़ताल काफी सफल रहा परंतु दुर्भाग्यवश गोली चलने से सात श्रमिकों की मृत्यु हुई इस घटना के कुछ समय बाद अमेरिका में आठ घंटे काम करने का समय निश्चित किया गया वर्तमान में भारतवर्ष और अन्य देशों में श्रमिकों को आठ घंटे काम करने के संबंध नियम लागू है| अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक आंदोलन और अराजकतावादियों, समाजवादियों और साम्यवादियों द्वारा समर्पित यह ऐतिहासिक दिवस मनाने की प्रथा आरंभ हुई उस दिन मजदूर और मजदूर के नेता इसको श्रमिक दिवस के रूप में मनाते हैं श्रमिकों के भलाई के लिए कुछ मांग पत्र भी उद्यमियों और पूंजी निवेशकों को दी जाती है| पूरे भारतवर्ष में टाटा समूह का करीब-करीब 35 से 37% उत्पादन टाटा समूह की जमशेदपुर और जमशेदपुर के आसपास स्थापित इकाइयों से ही आता है अतः प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से जमशेदपुर में मजदूरों की संख्या काफी है आदित्यपुर और आदित्यपुर के आसपास के क्षेत्र में लघु और मध्यम उद्योग जो टाटा समूह के कारखाने के लिए पाठ पूजा बनती है उसमें काफी श्रमिक काम करते हैं परंतु मैं इस लेख के माध्यम से भारत सरकार, झारखंड सरकार विशेष रूप से मजदूरों के नेता का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं की आदित्यपुर में 1000 से ज्यादा इकाइयां है सरकार ने कहीं श्रमिक केंद्र नहीं स्थापित किया है, श्रमिकों के लिए रियायती दर पर कैंटीन की सुविधा नहीं उपलब्ध है, सामूहिक रूप से कामकाजी महिलाओं के लिए क्रीच नहीं उपलब्ध है, खेलकूद, स्वास्थ्य, सफाई कि तो दिगर बात है कहीं श्रमिकों के बच्चे को पढ़ने के लिए स्कूल नहीं है, रहने के लिए कहीं मकान नहीं है जबकि सरकार के तरफ से मजदूरों की रियायसी कॉलोनी बनाने के लिए सुविधा प्राप्त है मशीनों का कितना भी आधुनिकरण हो उत्पादन की प्रवृत्ति में नए-नए प्रयोग किया जाए इस स्पर्धा के युग में कम खर्च पर कैसे मार्केट में कंपीट करने के लिए समान बनाया जाए, अच्छी मार्केटिंग की सुविधा हो, मजदूरों को ट्रेनिंग की सुविधा, न्यूनतम मजदूरी सबको मिले, छुट्टी और बोनस इत्यादि की सुविधा प्राप्त हो इसके लिए सरकारी विभाग, मजदूर नेता को और कारखाने के मालिकों को एक साथ बैठकर इस पर विचार करना चाहिए| दोषारोपण एवं एक दूसरे पर छीटाकाशी करने से कोई काम सफल नहीं होगा न्यूनतम मजदूरी भी सरकारी इंडेक्स के आधार पर तो हो ही परंतु अद्यतन मार्केट, सामाजिक उपलब्धि एवं मजदूरों के लिए सुविधा नहीं रहने के कारण जो उन्हें पैसा खर्च करना पड़ता है अपने स्वास्थ्य के लिए, सफाई के लिए, पढ़ाई के लिए, खेलकूद मनोरंजन के लिए उस पर कोई आकलन नहीं किया जाता है यह बहुत जरूरी है| मई दिवस को श्रमिक तो मजदूर दिवस के रूप में मनाते हैं परंतु मेरा अनुरोध होगा मजदूर मलिक श्रमिक नेता सभी मिलकर एक मई को बसंत दिवस के रूप मनाया उस दिन खुशहाली का दिवस हो, प्रेम भाईचारा का दिवस हो, उत्पादन और उत्पादकता का दिवस हो आइए इस पर हम सोचे समझे और गहन चर्चा के बाद एक रास्ता निकाले उस रास्ते पर सब आदमी चले तभी सर्वांगीण विकास होगा

रपट ए के श्रीवास्तव अध्यक्ष जमशेदपुर सिटीजन फोरम
उद्यमी एवं परमार्थी