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महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की ओर से नई देहली में यज्ञ संबंधी शोधकार्य प्रस्तुत यज्ञ से प्रक्षेपित होने वाली सकारात्मकता ग्रहण करने हेतु सात्त्विक जीवनशैली स्वीकारना और साधना करना आवश्यक – शॉन क्लार्क

महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की ओर से नई देहली में यज्ञ संबंधी शोधकार्य प्रस्तुत यज्ञ से प्रक्षेपित होने वाली सकारात्मकता ग्रहण करने हेतु सात्त्विक जीवनशैली स्वीकारना और साधना करना आवश्यक – शॉन क्लार्क

हाल ही में नई दिल्ली में हुई ‘ट्वेंटिसेवेंथ इंडिया कॉन्फरन्स ऑफ वेव्स ऑन मैन एंड नेचर इन वेदिक ट्रेडिशन : मॉडर्न पर्स्पेक्टिव’ यह राष्ट्रीय परिषद संपन्न हुई इस राष्ट्रीय परिषद में महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के शॉन क्लार्क ने यज्ञ में वायुमंडल की आध्यात्मिक शुद्धि करने की क्षमता यह शोध निबंध प्रस्तुत किया इसके लेखक परात्पर गुरु डॉ.आठवले हैं और सहलेखक शॉन क्लार्क हैं श्री क्लार्क ने कहा कि हवामान विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान में जग भर के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा ‘न भूतो न भविष्यति’ अर्थात इतनी बढ गई है जो कि पहले कभी नहीं थी यह अत्यधिक चिंताजनक है परंतु उसकी तुलना में अधिक चिंता वाली बात है ‘सूक्ष्म स्तर पर आध्यात्मिक प्रदूषण अर्थात रज-तम में हुई वृद्धि विविध वैज्ञानिक प्रयोगों से यह स्पष्ट हुआ है कि यज्ञ के कारण वायुमंडल में रज-तम का प्रदूषण कम होता है यज्ञ से प्रक्षेपित होने वाली सकारात्मकता ग्रहण करना और उसे टिकाए रखने के लिए सात्त्विक जीवनशैली का अवलंबन और साधना करना आवश्यक है
महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय ने अक्टूबर 2016 से नवंबर 2023 तक 18 राष्ट्रीय और 92 अंतरराष्ट्रीय इस प्रकार कुल 110 वैज्ञानिक परिषदों में शोध निबंध प्रस्तुत किए हैं । इनमें से 14 अंतरराष्ट्रीय परिषदों में ‘सर्वाेत्कृष्ट प्रस्तुतिकरण’ पुरस्कार मिले हैं
श्री. क्लार्क ने अपने शोध निबंध में जनवरी 2022 में महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के शोध केंद्र में किए गए 6 यज्ञों का आध्यात्मिक स्तर पर होने वाले लाभों का अभ्यास करने के लिए मिट्टी, पानी और वायु के वैज्ञानिक परीक्षणों में निष्कर्ष प्रस्तुत किए इन परीक्षणों के लिए यज्ञ से पूर्व और यज्ञ के पश्चात मिट्टी, पानी और वायु के नमूने एकत्र किए गए । इन्हें एकत्र करते समय वे साधना करने वाले साधकों के घरों से और साथ ही उनके पडोस में रहने वाले इस प्रकार जोडी में नमूने लिए गए इन तीनों प्रकार के नमूनों की सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा का मापन करने के लिए यूनिवर्सल ऑरा स्कैनर (यू.ए.एस्.) इस भूतपूर्व अणु वैज्ञानिक डॉ. मन्नम मूर्ती द्वारा विकसित किए गए उपकरण का उपयोग किया गया यज्ञ के कारण नकारात्मक ऊर्जा कम होना और सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होना ऐसा परिणाम दोनों घरों के तीनों प्रकार के नमूनों के संदर्भ में दिखाई दिया साधकों के घरों के नमूनों में यह परिणाम अधिक मात्रा में पाया गया; कारण साधना करने से घर की नकारात्मकता कम होती है और सकारात्मकता बढती है । साथ ही बाह्य सकारात्मकता ग्रहण करने की क्षमता भी बढ जाती है
श्री क्लार्क ने आगे कहा कि यज्ञ स्थल से विविध अंतर पर स्थित क्षेत्रों से लिए गए नमूनों के संदर्भ में ऐसा देखा गया कि यज्ञ का परिणाम यज्ञ स्थल से हजारों किलोमीटर दूर के क्षेत्रों पर भी होता है इतना ही नहीं, अपितु यज्ञ का सकारात्मक परिणाम यज्ञ संपन्न होने के पश्चात आगे भी कुछ काल तक टिका रहता है

आशीष सावंत शोधकार्य विभाग महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय