झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

लोकायुक्त के पास नहीं है खुद की जांच एजेंसी, कैसे रुकेगा भ्रष्टाचार

झारखंड में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए लोकायुक्त का गठन किया गया है, लेकिन लोकायुक्त को अपनी जांच एजेंसी अब तक नहीं मिली है. वर्ष 2011 में स्वतंत्र जांच एजेंसी की मांग लोकायुक्त की ओर से की जा रही है. वर्ष 2012 में लोकायुक्त को सशक्त बनाने के लिए अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव भी दिया गया था, लेकिन अभी तक उस पर किसी भी प्रकार की कोई निर्णय नहीं लिया गया है.

रांची: कहते हैं जहां भ्रष्टाचार का बोलबाला होगा वहां विकास का दीया कभी नहीं जल सकता. इस मामले में झारखंड भी कहीं पीछे नहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री से लेकर कई मंत्री और अफसर पर भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं. जांच के प्रति जांच एजेंसियों की सुस्ती भी सवालों के घेरे में रहा है. भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसने के लिए झारखंड में लोकायुक्त का गठन किया गया, जिसके बाद आशा की एक उम्मीद जगी, भरपूर शिकायतें भी पहुंचीं, लेकिन लोकायुक्त को अपनी जांच एजेंसी अब तक नहीं मिली है, जिसके कारण नतीजा ढाक के तीन पात रहा है. लोकायुक्त में शिकायतें तो आती हैं लेकिन फिर उसी एजेंसियों के पास पहुंच जाती है, जिन्हें लोग शक की नजर से देखते हैं
झारखण्ड को भ्रष्टाचार मुक्त करने को लेकर बनाए गए लोकायुक्त कार्यालय काम तो कर रहा है, लेकिन जिस प्रभावी ढंग से काम करना चाहिए उस तरह से काम नहीं हो पा रहा है, क्योंकि उसके पास अपनी जांच एजेंसी नहीं है, वह सरकार की जांच एजेंसियों पर निर्भर करता है. साल 2004 से अब तक हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त तीन न्यायाधीश लोकायुक्त बने. हजारों शिकायतें लोकायुक्त कार्यालय में दर्ज हुआ है. सभी मामले का लगभग निपटारा किया गया है. कई में प्रभावी आदेश पारित किए गए हैं. कई मामले में सरकार को अधिकारी पर कार्रवाई करने को भी कहा गया है. वहीं, लोकायुक्त के कई फैसले को हाई कोर्ट में भी चुनौती दी गई है, जिस भ्रष्टाचार पर रोक लगाने और राज्य की खोई हुई प्रतिष्ठा को वापस करने के लिए लोकायुक्त का गठन किया गया वह उतना प्रभावी नहीं हो सका है. झारखंड सरकार को निर्णय लेना है कि लोकायुक्त को किस तरह से प्रभावी बनाया जा सके, ताकि भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसा जा सके. लोकायुक्त के पास स्वतंत्र जांच एजेंसी नहीं होने के कारण दूसरे जांच एजेंसी पर निर्भर रहना पड़ता है. लोकायुक्त अधिनियम में स्वतंत्र जांच एजेंसी का प्रावधान नहीं है. वर्ष 2011 में स्वतंत्र जांच एजेंसी की मांग लोकायुक्त की ओर से की जा रही है. वर्ष 2012 में लोकायुक्त को सशक्त बनाने के लिए अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव भी दिया गया था, लेकिन अभी तक उस पर किसी भी प्रकार की कोई निर्णय नहीं लिया गया है.
पिछले 8 वर्षों में झारखंड सरकार के हजारों अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ लोकायुक्त कार्यालय में शिकायत की गई है, जिसमें अधिकांश शिकायतों का निष्पादन कर दिया गया है. वर्ष 2012 में 812 शिकायत दर्ज किए गए, जबकि 773 शिकायत का निष्पादन कर दिया गया. वहीं, वर्ष 2013 में 661 शिकायत किया गया, जिसमें 532 मामले का निष्पादन कर दिया गया. वर्ष 2014 में 606 मामले लोकायुक्त के पास आया, जिसमें 393 मामले का निष्पादन किया गया. वर्ष 2015 में 507 मामले का शिकायत लोकायुक्त कार्यालय में जमा की गई, जिसमें 305 शिकायत बाद का निष्पादन किया गया. वर्ष 2016 में 220 शिकायत हुई, लेकिन लोकायुक्त के पद रिक्त होने के कारण निष्पादन नहीं किया जा सका. नए लोकायुक्त के लोकायुक्त कार्यालय में जमा की गई, जिसमें 305 शिकायत वाद का निष्पादन किया गया. वर्ष 2016 में 220 शिकायत हुई, लेकिन लोकायुक्त के पद रिक्त होने के कारण निष्पादन नहीं किया जा सका. नए लोकायुक्त के नियुक्त होने के बाद वर्ष 2017 में 545 केस लोकायुक्त के सामने आया, जिसमें 920 मामले का निष्पादन किया गया. वर्ष 2018 में 1417 शिकायतें दर्ज की गई, जिसमें 582 केस का निष्पादन किया गया. वर्ष 2019 में 1025 केस दायर की गई, जिसमें 825 केस का निष्पादन किया अगस्त 2020 तक 440 शिकायत लोकायुक्त कार्यालय में जमा किया गया है, कोविड-19 को लेकर कोर्ट बंद होने के कारण उसका निष्पादन नहीं किया जा रहा है. सिर्फ शिकायत पत्र पर नंबर देकर कार्यालय संबंधी कार्य पूर्ण किए जा रहे हैं. कोरोना के कारण महीनों से कोर्ट बंद है
राज्य के विभिन्न विभागों से लोकायुक्त कार्यालय में शिकायत आते हैं और लोकायुक्त उस पर अपना निर्णय लेकर शिकायत को निष्पादित करते हैं. सर्वाधिक शिकायत राज्य के राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग से आया है. वहीं सबसे कम शिकायत कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग से पहुंचा है. इसके अलावा राज्य के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग, स्कूली शिक्षा एवं साक्षात्कार विभाग, गृह कारा एवं आपदा विभाग, खनन विभाग, वन विभाग भवन निर्माण, सड़क निर्माण एवं अन्य कई विभागों से शिकायतें लोकायुक्त कार्यालय पहुंचा है.
राज्य के नागरिक किसी भी लोक सेवक के भ्रष्ट आचरण की शिकायत लोकायुक्त के पास कर सकते हैं. शिकायत पत्र के साथ शिकायतकर्ता को नोटरी पब्लिक से सत्यापित करना पड़ता है और आवेदन पर 5 रुपये का टिकट लगाकर उसे कार्यालय में जमा करना होता है. उनके शिकायत पर लोकायुक्त कार्यालय नियमानुसार कार्य प्रारंभ कर देता है. जैसे ही शिकायत पहुंचती है कार्यालय के लिपिक उसे रजिस्टर में दर्ज करते हैं. उसके बाद वह शिकायत संबंधित सेक्शन के अधिकारी के पास भेज देता है. अधिकारी उन्हें संबंधित सेक्शन के सहायक को देता है. सहायक उसका फाइल बनाकर सचिव महोदय के समक्ष पेश करता है. सचिव उस पर अपना परामर्श देकर लोकायुक्त के पास फाइल को रखता है. उसके बाद लोकायुक्त के आदेश के बाद आरोपी को शिकायतकर्ता का शिकायत पत्र भेजा जाता है, और उस पर उनका स्पष्टीकरण मांगा जाता है. आरोपी के स्पष्टीकरण और शिकायतकर्ता के आवेदन को देखने के बाद उसे संबंधित जांच एजेंसी को भेजा जाता है, जहां वह जांच एजेंसी अपना जांच रिपोर्ट
मामले का निष्पादन किया गया. वर्ष 2015 में 507 मामले का शिकायत लोकायुक्त कार्यालय में जमा की गई, जिसमें 305 शिकायत बाद का निष्पादन किया गया. वर्ष 2016 में 220 शिकायत हुई, लेकिन लोकायुक्त के पद रिक्त होने के कारण निष्पादन नहीं किया जा सका. नए लोकायुक्त के नियुक्त होने के बाद वर्ष 2017 में 545 केस लोकायुक्त के सामने आया, जिसमें 920 मामले का निष्पादन किया गया. वर्ष 2018 में 1417 शिकायतें दर्ज की गई, जिसमें 582 केस का निष्पादन किया गया. वर्ष 2019 में 1025 केस दायर की गई, जिसमें 825 केस का निष्पादन किया गया है. अगस्त 2020 तक 440 शिकायत लोकायुक्त कार्यालय में जमा किया गया है, कोविड-19 को लेकर कोर्ट बंद होने के कारण उसका निष्पादन नहीं किया जा रहा है. सिर्फ शिकायत पत्र पर नंबर देकर कार्यालय संबंधी कार्य पूर्ण किए जा रहे हैं. कोरोना के कारण महीनों से कोर्ट बंद है
राज्य के विभिन्न विभागों से लोकायुक्त कार्यालय में शिकायत आते हैं और लोकायुक्त उस पर अपना निर्णय लेकर शिकायत को निष्पादित करते हैं. सर्वाधिक शिकायत राज्य के राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग से आया है. वहीं सबसे कम शिकायत कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग से पहुंचा है. इसके अलावा राज्य के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग, स्कूली शिक्षा एवं साक्षात्कार विभाग, गृह कारा एवं आपदा विभाग, खनन विभाग, वन विभाग भवन निर्माण, सड़क निर्माण एवं अन्य कई विभागों से शिकायतें लोकायुक्त कार्यालय पहुंचा है.
राज्य के नागरिक किसी भी लोक सेवक के भ्रष्ट आचरण की शिकायत लोकायुक्त के पास कर सकते हैं. शिकायत पत्र के साथ शिकायतकर्ता को नोटरी पब्लिक से सत्यापित करना पड़ता है और आवेदन पर 5 रुपये का टिकट लगाकर उसे कार्यालय में जमा करना होता है. उनके शिकायत पर लोकायुक्त कार्यालय नियमानुसार कार्य प्रारंभ कर देता है. जैसे ही शिकायत पहुंचती है कार्यालय के लिपिक उसे रजिस्टर में दर्ज करते हैं. उसके बाद वह शिकायत संबंधित सेक्शन के अधिकारी के पास भेज देता है. अधिकारी उन्हें संबंधित सेक्शन के सहायक को देता है. सहायक उसका फाइल बनाकर सचिव महोदय के समक्ष पेश करता है. सचिव उस पर अपना परामर्श देकर लोकायुक्त के पास फाइल को रखता है. उसके बाद लोकायुक्त के आदेश के बाद आरोपी को शिकायतकर्ता का शिकायत पत्र भेजा जाता है, और उस पर उनका स्पष्टीकरण मांगा जाता है. आरोपी के स्पष्टीकरण और शिकायतकर्ता के आवेदन को देखने के बाद उसे संबंधित जांच एजेंसी को भेजा जाता है, जहां वह जांच एजेंसी अपना जांच रिपोर्ट लोकायुक्त के पास भेजते हैं फिर जांच रिपोर्ट शिकायतकर्ता को भेजी जाती है. शिकायतकर्ता सहमत हो जाते हैं तो मामला वहां निष्पादित हो जाता है. अगर संतुष्ट नहीं होते हैं तो उस मामले को कोर्ट में सभी पक्षों को बुलाकर सुनवाई की जाती है. सुनवाई के उपरांत उस पर निर्णय लेकर सरकार को कार्रवाई के लिए भेज दी जाती है और शिकायत बाद का निष्पादन कर दिया जाता है.अब तक तीन लोकायुक्त राज्य में अब तक तीन लोकायुक्त बने हैं. राज्य के पहले लोकायुक्त न्यायाधीश लक्ष्मण उरांव जो 4 दिसंबर 2004 से 4 दिसंबर 2009 तक रहे. दूसरे लोकायुक्त न्यायाधीश अमरेश्वर सहाय जो 3 जनवरी 2011 से 2 जनवरी 16 तक रहे. तीसरे और वर्तमान लोकायुक्त न्यायाधीश डीएन उपाध्याय 13 फरवरी 2017 से हैं
[लोकायुक्त कार्यालय में वर्तमान में लोकायुक्त सहित 37 पद सृजित हैं. 36 पद वर्ष 2019 में दिया गया है जिस पर अभी कुछ निर्णय बाकी है, जिसके कारण से उस पद पर नियुक्ति नहीं हुई है. पूर्व में दिए गए 37 सृजित पद में से एक लोकायुक्त, एक सचिव, एक उपसचिव, एक अवर सचिव, एक निजी सचिव, एक सेक्शन ऑफिसर, एक निजी अपर सचिव, एक अकाउंटेंट, एक रूटीन क्लर्क, एक बेंच क्लर्क, एक सेक्रेटरी, चार निजी सहायक 6 सहायक और 17 चतुर्थवर्गीय कर्मचारी के पद हैं जिन पर लगभग सभी पद पर कर्मचारी कार्यरत हैं.
लोकायुक्त कार्यालय का वर्ष 2017 में एक भव्य भवन बनाया गया है. करोड़ों की लागत से भवन बना है. यह तीन तल्ला कार्यालय है, जिसमें कई अधिकारी का कार्यालय है. अधिकारियों के कार्यालय के लिए अलग-अलग कमरे हैं. लोकायुक्त सचिवालय के कर्मियों को काम करने के लिए उपयुक्त कार्यालय तैयार किया गया है, जिसमें सभी सुविधाएं से युक्त किया गया है. कोर्ट रूम है. शिकायत जमा करने आने वाले के लिए भी उचित व्यवस्था की गई है.