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कर्मफल अपना अपना- सुनील कुमार दे

कर्मफल अपना अपना- सुनील कुमार दे

भगवान श्रीकृष्ण गीता में कहा है कर्म में तुम्हारा अधिकार है, फल में नहीं कर्मफल भगवान प्रदान करते हैं इसलिए कर्मफल अपना अपना है इस दुनिया में कोई किसी के लिए उत्तरदायी नहीं है जो जैसा कर्म करेगा उसको उसी प्रकार का फल मिलेगा स्वामी विवेकानंद कहते हैं मनुष्य खुद अपना भाग्य निर्माता हैं दुनिया में आप कुछ करेंगे नहीं और बोलेंगे सब कुछ मेरा भाग्य है ऐसा नहीं है अच्छा काम करो फल भी अच्छा मिलेगा।कभी कभी अच्छा कर्म करके भी अच्छा फल नहीं मिलता है।धर्म शास्त्र कहता है कर्म फल भोग करना पड़ता है यह जन्म जन्म का फेरा है इस जन्म आप खराब काम नहीं किया लेकिन तब पर भी आप को दुःख,कष्ट और अशांति भोग करना पड़ता है यह विगत जन्म का कर्मफल है।बहुत सारे लोग यह कर्मफल और पुनर्जन्म नहीं मानते हैं इसलिए अच्छा बुरा जो होना है इसी जन्म में होना है।कुछ लोग कहते हैं अगर कर्मफल भोग करना ही है तो क्यों इस जन्म में अच्छा काम करूं खाओ,पीओ और मौज मस्ती करो।क्यों भगवान का भजन कीर्तन, धर्म कर्म और पुण्य का काम करूं क्या फायदा है माँ शारदा देवी कहती है कर्मफल सभी को भोग करना पड़ता है लेकिन भगवान का नाम करने से कर्म फल कम होता है जैसे,किसी का प्यार कट जाना था लेकिन उनकी कृपा से एक सुई फुटकर भोग हो गया
पाप और पुण्य,धर्म और अधर्म अपना अपना निजी संपत्ति है इसके लिए कोई उत्तरदायी नहीं है अपना कर्मफल कोई भाग नहीं ले सकता है।इसलिए दुनिया में परमार्थ के लिए अच्छा काम करना चाहिए, धर्म और पुण्य का काम करना चाहिए।येही अच्छा काम अगले जन्म में आपको साथ देंगे जिसको हम प्रारद्ध और संस्कार कहते हैं।
यह आना जाना,जन्म और मृत्यु तब तक खत्म नहीं होगा जब तक हमारा मुक्ति नहीं हो जाती है।असिद्ध बीजा से वृक्ष होता है लेकिन सिद्ध बीजा से वृक्ष नहीं उगता है उसी प्रकार जब आत्मा परमात्मा से विलीन हो जाता है अर्थात मुक्ति हो जाती है तब फिर से जन्म नहीं होता है जन्म और मृत्यु का चक्र खत्म हो जाता है, साथ ही साथ सभी कर्मफल भी नष्ट हो जाता है।इसी मुक्ति के लिए ही भगवान का साधन भजन तपस्या नाम किया जाता है येही हमारा सनातन धर्म का मूल भाव है।इसलिए भगवान रामकृष्ण देव ने कहा है मनुष्य जन्म का एक मात्र उद्देश्य है ईश्वर प्राप्ति भोग और विलास नहीं है