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कोरोना महामारी ने कई लोगों की दुनिया उजाड़ दी है. लेकिन कई ऐसे भी मामले हैं जिसमें कोरोना के कहर के बाद सिस्टम का दंश भी लोगों को झेलना पड़ रहा है. बोकारो की दीक्षा झा की दुनिया कोरोना ने बर्बाद कर दी. इसके बाद सरकारी सिस्टम ने उन्हें दर-दर भटकने को विवश कर दिया है.

बोकारो : कोरोना महामारी ने कई लोगों की दुनिया उजाड़ दी है. लेकिन कई ऐसे भी मामले हैं जिसमें कोरोना के कहर के बाद सिस्टम का दंश भी लोगों को झेलना पड़ रहा है. बोकारो की दीक्षा झा की दुनिया कोरोना ने बर्बाद कर दी. इसके बाद सरकारी सिस्टम ने उन्हें दर-दर भटकने को विवश कर दिया है.
दीक्षा झा के पति डॉ एस डी झा पेशे से चिकित्सक थे. सरकारी चिकित्सक. सरकार ने कोरोना काल में चिकित्सक को कोरोना वॉरियर्स, फ्रंटलाइनर और ना जाने क्या-क्या उपाधि दी थी, लेकिन दीक्षा झा के मामले में यह सब कोरा कागज ही साबित हुआ. दीक्षा झा के पति स्व डॉ एस डी झा झारखंड स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक थे, जो ESIC कर्मचारी राज्य बीमा निगम के जोड़ापोखर (धनबाद) स्थित अस्पताल में तैनात थे. लोगों की सेवा करते हुए 21अगस्त, 2020 में कोरोना वायरस से संक्रमित हुए. फिर इलाज के दौरान उनकी मौत 24 अगस्त, 2020 को हो गयी.
डॉ एस डी झा की मौत ने परिवार को झंकझोर दिया. अंतिम संस्कार और क्रिया के बाद स्व डॉ झा की पत्नी दीक्षा ने नियोजन और नियमानुसार मिलने वाली मुआवजा राशि की प्रक्रिया शुरू की. बस यहीं से शुरू हुआ सिस्टम का खेल. दीक्षा झा ने सबसे पहले धनबाद के सिविल सर्जन डॉ गोपाल दास से बात की.डॉ दास ने ईएसआईसी में तैनात चिकित्सक के स्वास्थ्य विभाग में होने की जानकारी से इंकार कर दिया. जरूरी कागजात में हस्ताक्षर तक नहीं किया.
इसके बाद दीक्षा झा बोकारो के सिविल सर्जन से मुलाकात की. बोकारो सीएस ने हर संभव मदद की. स्व डॉ झा से संबंधित जानकारी को धनबाद सीएस को फैक्स भी किया. लेकिन, धनबाद सीएस पर इसका कोई असर नहीं हुआ. इसके बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन-चास ने दीक्षा झा को उनके पति को नियोजन के समय मिलने वाले पत्र को धनबाद सीएस ने गलत करार दिया
उन्होंने बताया कि धनबाद सीएस ने हर तरह से परेशान किया. उनसे मिलने के लिए कई बार छह-छह घंटे इंतजार करना पड़ा. कई बार वह बहाना बनाकर मिलने से बचते रहे. सामने से निकल जाते. बैठक की बात बोलते. इसके बाद दिल्ली स्थित ईएसआईसी कार्यालय के जसमित भाटिया से संपर्क किया गया. उन्होंने स्पष्ट किया कि स्व डॉ झा के मामले में स्वास्थ्य विभाग को पहल करनी चाहिए.
स्वास्थ्य मंत्री के हस्तक्षेप के बाद फाइल चली, लेकिन अबतक नहीं मिली मंजिल दीक्षा झा बताती हैं कि फरवरी 2021 में आईएमए-चास के सहयोगियों ने समस्या को लेकर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को ट्वीट किया. इसके बाद बन्ना गुप्ता ने मामले पर संज्ञान लिया. फोन पर संपर्क कर समस्या के बारे में विस्तार से जाना. उनके हस्तक्षेप के बाद नियोजन, पीएफ समेत अन्य नियमानुसार मुआवजा की राशि संबंधित फाइल एक बार फिर टेबल दर टेबल बढ़ना शुरू किया. धनबाद सीएस ने भी गलती सुधारते हुए कागजात को सही करार दिया. इसके बाद की प्रक्रिया आगे बढ़ी.
स्वास्थ्य मंत्रालय झारखंड के सूत्रों की माने तो वर्तमान में दीक्षा झा के पेपर को केंद्र सरकार के पास भेजा गया है. कोरोना महामारी के अंतगर्त शहीद हुए चिकित्सक के आश्रित को मिलने वाली सुविधा को देने की मांग की गयी है. दीक्षा झा की दो छोटी बेटी है. इनकम सोर्स नहीं होने के कारण दीक्षा को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
डॉ झा के आश्रितों को हर संभव मदद मिलेगी स्वास्थ्य मंत्री इस संबंध में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से जब दीक्षा झा के मामले में बात की गयी, तो उन्होने बताया कि शुरुआत में ईएसआईसी की ओर से गलत रिपोर्ट दिया गया था. उसमें सुधार कर सिविल सर्जन और डीसी के माध्यम से भेजा गया