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कोरोना काल में कागज पर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बना रिम्स नहीं हैं व्यापक सुविधाएं

कोरोना काल में कागज पर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बना रिम्स नहीं हैं व्यापक सुविधाएं

कोरोना के चलते भले ही अभी रिम्स की सामान्य ओपीडी में मरीजों की संख्या कम हो और शिशु वार्ड और NICU में अभी बीमार बच्चों की संख्या बेहद कम हो पर यह एक सच्चाई है कि रिम्स के NICU में नहीं तो पर्याप्त बेड हैं और नहीं ही मानक के अनुसार नर्सों और डॉक्टरों की संख्या. बीमार बच्चों को कई बार एक-एक वार्मर पर इलाज की तस्वीरें आती रहती हैं.
रांची: कोरोनाकाल में राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल रिम्स एक के बाद एक कई बीमारियों के इलाज के लिए राज्य में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस घोषित किया जा रहा है. ताजा मामला कोरोना की संभावित तीसरी लहर से राज्य के नौनिहालों को बचाने के लिए रिम्स को स्वास्थ्य विभाग ने सेंटर ऑफ एक्सीलेन्स घोषित किया है.
अब बड़ा सवाल है कि समस्याओं से घिरे रिम्स में ब्लैक फंगस, पोस्ट कोविड ट्रीटमेंट और अब तीसरी संभावित लहर से राज्य को बचाने की क्षमता रिम्स में हैं या राज्य के सबसे बड़ा अस्पताल होने के चलते यह संस्थान सेंटर ऑफ एक्ससिलेन्स बन जाता है.
कोरोना के चलते भले ही अभी रिम्स की सामान्य ओपीडी में मरीजों की संख्या कम हो और शिशु वार्ड और NICU में अभी बीमार बच्चों की संख्या बेहद कम हो पर यह एक सच्चाई है कि रिम्स के NICU में नहीं तो पर्याप्त बेड हैं और नहीं ही मानक के अनुसार नर्सों और डॉक्टरों की संख्या. बीमार बच्चों को कई बार एक एक वार्मर पर इलाज की तस्वीरें आती रहती हैं.
तीसरी लहर के लिए नवजात रोग विभाग, शिशुरोग विभाग और SAM यानि गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों के विभाग को मिलाकर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया गया है लेकिन आपको आश्चर्य होगा कि रिम्स में यूनिसेफ के सहयोग से चल रहे SNCU को ही विभाग बताया जा रहा है, तो कुपोषित बच्चों के इलाज लिए अभी तक कोई विभाग ही नहीं है. अभी पेईंग वार्ड के ग्राउंड फ्लोर पर यह बनाया जा रहा है
रिम्स के ट्रॉमा सेंटर कोरोना केयर में सेवा दे रहे डॉक्टर गजेंद्र नायक कमियों को लेकर कुछ कहना तो चाहते हैं पर शायद अनुशासन का डर उनको कुछ कहने से रोक देता है. डॉ गजेंद्र कहते हैं कि दूसरी लहर में अच्छा काम किया है. अब जब तीसरी लहर का प्रोटोकॉल आ जाएगा तो बेहतर काम करेंगे.
रिम्स के वरीय सर्जन और प्रभारी प्रोफेसर डॉ डी के सिन्हा ने माना कि अभी मानव संसाधन की कमी है, लेकिन राज्य का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल रिम्स ही है. तीसरी वेब को लेकर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाए जाने को लेकर कहा कि बच्चों के बेहतर इलाज के लिए रिम्स की मल्टी स्टोरीज पार्किंग जहां अभी अस्थाई कोविड केयर यूनिट चल रही है. वहां बच्चों के इलाज की व्यवस्था की जा रही है. इसी तरह पेईंग वार्ड में अति कुपोषित बच्चों के इलाज के लिए वार्ड खुल रहा है.
झारखण्ड वाणी संवाददाता सवाल यह है कि क्या सरकार के पास रिम्स को किसी बीमारी से निपटने के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस घोषित करने के लिए रिम्स के अलावा कोई और दूसरा चारा नहीं है. अगर ऐसा है तो अभी तक रिम्स को उपेक्षित क्यों रखा गया, जहां सीटी स्कैन मशीन की खरीद में ही महीनों लग जाते हैं. कलर डॉप्लर मशीन सालों से खराब, जिसे कोई देखने वाला नहीं है.