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कोरोना काल में गांवों ने बेरोजगारी दर को किया कंट्रोल फिर भी इक्कीसवें पायदान पर है झारखंड

कोरोना काल में गांवों ने बेरोजगारी दर को किया कंट्रोल फिर भी इक्कीसवें पायदान पर है झारखंड

कोरोना काल के दौरान पूरे देश की तरह झारखंड में भी बेरोजगारी दर तेजी से बढ़ा. अब धीरे-धीरे स्थिति समान्य होने के बाद राज्य में बेरोजगारी दर घट रही है. आंकड़ों के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों के बजाय शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर अधिक है. सीएमआईई की रिपोर्ट के अनुसार फरवरी 2021 में देशभर में झारखंड इक्कीसवें पायदान पर है और बेरोजगारी दर 12.1 प्रतिशत है.

रांची: झारखंड सरकार ने साल 2021 को नियुक्ति वर्ष के रूप में घोषित कर रखा है. मकसद है ज्यादा से ज्यादा नौकरियां मुहैया कराना. साथ ही सरकार ने कौशल प्रशिक्षितों को बेरोजगारी भत्ता देने का भी बजट में प्रावधान किया है. क्योंकि कोविड संक्रमण के दौर में बढ़ी बेरोजगारी को दूर करना सभी राज्यों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बेरोजगारी के मामले में देश के अन्य राज्यों की तुलना में झारखंड की स्थिति क्या है
सीएमआईई की रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी 2021 में झारखंड का बेरोजगारी दर 12.1 प्रतिशत है. फिर भी देश के अन्य राज्यों की तुलना में झारखंड इक्कीसवें स्थान पर है. संतोष करने वाली बात यह है कि पांच राज्यों की स्थिति झारखंड से भी खराब है. इनमें सबसे खराब स्थिति हरियाणा की है. यहां फरवरी माह में बेरोजगारी दर 26.4 प्रतिशत, राजस्थान में 25.6 प्रतिशत, गोवा में 21.1 प्रतिशत, हिमाचल प्रदेश में 15.1 प्रतिशत और जम्मू-कश्मीर में 14.2 प्रतिशत दर्ज हुई है. जबकि फरवरी माह में राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी दर 6.9 प्रतिशत रही है.
झारखंड में सबसे ज्यादा बेरोजगारी अप्रैल और मई 2020 में क्रमश: 47.1 प्रतिशत और 59.2 प्रतिशत दर्ज की गई थी. तब कोरोना संक्रमण का दौर था. सभी काम ठप्प थे. लेकिन जैसे ही अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई, झारखंड की स्थिति बहुत तेजी से सुधरी. जून में 20.9 प्रतिशत, जुलाई में 7.6 प्रतिशत, अगस्त में 9.8 प्रतिशत, सितंबर में 9.2 प्रतिशत, अक्टूबर में 11.8 प्रतिशत, नवंबर में 9.5 प्रतिशत, दिसंबर में 12.4 प्रतिशत और जनवरी में 11.3 प्रतिशत दर्ज हुई.
कोरोना के दौर में झारखंड की अर्थव्यवस्था को संभालने में ग्रामीण क्षेत्रों की भूमिका अहम रही. इसकी वजह बना मनरेगा. राज्य बनने के बाद ऐसा पहला मौका आया जब मनरेगा के तहत रिकॉर्ड 1066 लाख मानव दिवस का सृजन हुआ. जबकि लक्ष्य महज 800 लाख मानव दिवस सृजन का था. जाहिर है कि मनरेगा ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने में अहम भूमिका निभायी. यही वजह रही है राज्य सरकार ने 194 रूपये के मनरेगा पारिश्रमिक को बढ़ाकर 225 रूपये करने का फैसला लिया. यह अतिरिक्त राशि राज्य सरकार वहन करेगी.
झारखंड के बेरोजगारी दर को कंट्रोल करने में ग्रामीण अर्थव्यवस्था की भूमिका क्यों रही इससे समझने के लिए सीएमआईई के डाटा को समझना होगा. मई 2020 से अगस्त 2020 के बीच ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी दर का औसत 23.01 प्रतिशत रहा. जबकि शहरी क्षेत्रों में मई से अगस्त के बीच बेरोजगारी दर का औसत 31.18 रिकॉर्ड हुआ. इसी तरह सितंबर 2020 से दिसंबर 2020 के बीच ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी दर का औसत 10.05 दर्ज हुआ. वहीं शहरी क्षेत्रों में 16.38 रहा. यानी मई 2020 से दिसंबर 2020 के बीच झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी चरम पर रही.