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जयनगरा गांव निवासी डॉक्टर के पुत्र पैतृक आवास पर पहुंचा, यूक्रेन के ईबोना शहर में फंसा हुआ था

जयनगरा गांव निवासी डॉक्टर के पुत्र पैतृक आवास पर पहुंचा, यूक्रेन के ईबोना शहर में फंसा हुआ था

गढ़वा। जिले के कांडी प्रखण्ड क्षेत्र अंतर्गत खरौंधा पंचायत के जयनगरा गांव निवासी डॉक्टर एसपी सिंह का पुत्र प्रभात कुमार सिंह बुधवार की सुबह अपने पैतृक आवास पर पहुंचा। मालूम हो कि वह रूस यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध मे यूक्रेन के ईबोना शहर में फंसा हुआ था। मुख्य सड़क पर तकरीबन एक घंटे से प्रतीक्षा में खड़े परिजनों और ग्रामीणों ने माल्यार्पण कर भव्य स्वागत किया। मुख्य सड़क से घर तक एक किमी पैदल चलकर सफर तय करते हुए गांव के देवी मंदिर में माथा टेका।
इसके बाद घर के मुख्य द्वार पर पिता एसपी सिंह, माता आशा वर्मा और बहन ब्यूटी कुमारी ने प्रभात को माल्यार्पण कर मिठाई खिला कर आशीर्वाद दिया। इससे पूर्व आरती उतार कर मां ने घर पर बेटे का स्वागत किया और आशीर्वाद दिया। वहीं बेटे को गले से लगाकर मां खुशी की आंसू बहाने लगी। इस वक्त माहौल गमगीन हो गया।

वहीं सांसद प्रतिनिधि राणा ऋषिकेश सिंह उर्फ गुड्डू सिंह, भाजपा किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष रामलला दुबे, भाजपा मंडल अध्यक्ष श्रीकांत पांडेय उर्फ पप्पू पांडेय, संजय मेहता, जितेंद्र चौबे, सतेंद्र चौबे, कांडी मुखिया विनोद प्रसाद, बसपा प्रदेश उपाध्यक्ष राजन मेहता, समाजसेवी दिनेश कुमार, पूर्व शिक्षक रामसूरत पांडेय, लक्ष्मण मेहता, रामप्यारी मेहता सहित कई लोगों ने माल्यार्पण कर, तिरंगा झंडा देकर, शाल ओढ़ाकर स्वागत किया। वहीं इस संबंध में यूक्रेन से लौटे प्रभात कुमार सिंह ने बताया कि वहां की हालात अचानक खराब हो गई।
बमबाजी और गोलीबारी से पूरा यूक्रेन में धमाका होने लगा। भारतीय छात्रों के अलावे स्थानीय लोग भी सहम गए। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने भारतीय छात्रों को वापस लाने में अहम भूमिका निभाई। मैं घर पर पहुंचकर अपने परिवार से मिलकर बेहद प्रसन्न हूँ। उन्होंने बताया कि यूक्रेन में मैं डॉक्टर की पढ़ाई कर रहा था। हालात बिगड़ी और जान बचाकर वापस आना पड़ा। भारत  सरकार ने हम छात्रों को घर वापस लाने में बहुत बड़ी भूमिका है।इसके लिए मैं मोदी सरकार को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ।बताया कि यूक्रेन से बीते 26 फरवरी को बस से रोमानिया बॉर्डर के लिए चले थे।

बस ने 12 किमी दूर बॉर्डर से पहले ही उतार दिया। माईनस 8 से 10 डिग्री तापमान में 18 से 20 घंटे तक पैदल चलकर रोमानिया बॉर्डर पहुंचे। रास्ते में बिना खाए पीए सफर तय किया। मैं 27 फरवरी को रोमानिया बॉर्डर को पार किया। बॉर्डर पर जांच पड़ताल के लिए 5 घंटा तक रुकना पड़ा। तीन दिनों तक रोमानिया की राजधानी बुखारेस्ट में बनाए गए सेंटर में रुकना पड़ा। दो मार्च को एयर फोर्स के सी – 17 ग्लोब मास्टर फ्लाइट से साढ़े 9 बजे चले। तीन मार्च को दिल्ली पहुंचे। जबकि दिल्ली से आठ मार्च को रांची के लिए निकले। उसी दिन रांची से बस द्वारा मेदिनीनगर पहुंचे। मैं दिल्ली में झारखण्ड भवन में रुका था।
वहां के पदाधिकारी हमें दिल्ली एयरपोर्ट पर छोड़े, लेकिन दुर्भाग्य है कि रांची एयरपोर्ट पर झारखण्ड सरकार की कोई भी प्रतिनिधि रिसीव करने नहीं आया। प्रभात का स्वागत करने के लिए इष्ट मित्र व ग्रामीण के अलावे उसके रिश्तेदार नाना गिरवर मेहता, नानी तेतरी देवी, मामा प्रदीप कुमार मेहता, दादा जगदीश सिंह, सरदार सिंह, संजय सिंह, सतेंद्र सिंह, कालिका सिंह, महेंद्र सिंह सहित अन्य कई रिश्तेदार स्वागत के लिए प्रभात के घर पहुंचे थे। मौके पर युवा समाजसेवी तसलीम अंसारी, खरौंधा पंचायत की पूर्व मुखिया अनिता देवी, विजय नाथ मेहता, लक्ष्मण मेहता, दिलीप मेहता, बसंत मेहता सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।