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जमशेदपुर में टाटा स्टील का राज है और वह अब इंडस्ट्रियल टाउन को बना कर तीसरे मताधिकार को संपूर्ण रूप से ख़त्म कर देना चाहती है- सौरभ विष्णु

जमशेदपुर- आज सौरभ विष्णु ने जमशेदपुर लोकसभा प्रत्याशी के रूप में अपनी दावेदारी पत्रकारों के सामने पेश की है। श्री विष्णु ने  जमशेदपुर में आज संपूर्ण स्वराज की माँग की है  आज़ाद भारत के बाद जमशेदपुर ऐसा पहला शहर है जिसके 30 लाख से ज़्यादा लोगों को स्वराज प्राप्त नहीं है। स्वराज का मतलब होता है जनता अपने आप पर अपने वोटों के माध्यम से सरकार चुनने का काम करती है। मगर जमशेदपुर में टाटा स्टील का राज है और वह अब इंडस्ट्रियल टाउन को बना कर तीसरे मताधिकार को संपूर्ण रूप से ख़त्म कर देना चाहती है। और तो और सुप्रीमकोर्ट में जो जवाहर लाल शर्मा की तीसरे वोट पर मुकदमा चल रहा है और जिस पर सुप्रीमकोर्ट का 1988 का एक जजमेंट भी है उसको भी पिछले 35 सालों से न्यायालय में सीधा विरोध कर रही है न्यायालय पालिसी मेकिंग में हस्तक्षेप नहीं करती तो इस पर धरा धड़ कैबिनेट से नियम भी पास हो गया वह भी बिना कोई पब्लिक ओपिनियन के तो इसका राजनीतिक रूप से विरोध कौन करेगा? इसका जिम्मा मैंने उठाया है। इस पर अब मैं जनता के पक्ष में राजनीति करूँगा और अपनी दावेदारी पेश करता हूँ। मेरे कुछ प्रमुख मुद्दे हैं। स्वराज हमारा अधिकार है जिसको हम लेकर के रहेंगे तो उसको मुद्दा नहीं कहूँगा

पहला मुद्दा है मालिकाना हक़ मालिकाना हक़ एक ऐसा मुद्दा है जिसके बहुत पेशोपेश हैं और उस पर  जमशेदपुर की जनता से वर्षों से झूठा वादा किया गया है। मेरे पास कुछ नयी जानकारी आयी है जिससे पता चलता है की 1919 में टाटा को 12500 एकड ज़मीन गवर्नमेंट ग्रांट्स एक्ट जो की 1894 का क़ानून है उसमें मिला था। आरटीआई का एक डॉक्यूमेंट जिसमें 10800 लोगों की लिस्ट है जिसको टाटा ने 12500 एकड़ ज़मीन सब लीज  की है मुझे मिला है अगर टाटा को ज़मीन ग्रैंड में मिली है तो उसने जिसको सब लीज किया तो उसका सेकंड ग्रैंड बन गया। तो उसका भी मालिकाना हक़ बनता है 86 बस्तियों के साथ। यह वे लोग हैं जो कदमा, सोनारी, बिष्टुपुर और अन्य जगहों पर रहते हैं। क़ानून अमीरों और ग़रीबों सबके लिए सामान है। मैं सबके लिए मालिकाना हक़ की लड़ाई लड़ूंगा  मगर यहां रैयतों वाले आदिवासी और कूड़मी की बात करना बहुत ज़रूरी है। यह वह लोग हैं जिनकी ज़मीन पर टाटा और टाटानगर बसा है। मैंने रैयत वाले लोगों को खोजना शुरू किया है। परसुडीह, करनडीह, सोनारी और अन्य जगहों पर मुझे अब तक सिर्फ़ 1200 एकड़ ज़मीन के ही दावेदार मिले हैं। और लोगों की खोज जारी है। इन लोगों का ज़मीन पर सर्वप्रथम हक़ बनता है।

दूसरा मुद्दा है नागरिक सुविधा जिसमें पानी, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य इत्यादि  चीज़ें हैं। मेरे द्वारा पाये गये एक आरटीआई के अनुसार टाटा स्टील को 2000 करोड़ रुपये सरकार को वर्षों से देना है।टाटा स्टील जमशेदपुर वासियों को 300-400% मुनाफ़ा कमा कर पानी देती है और बिल नहीं भरने पर ब्याज लेती  है और ख़ुद करोड़ों रुपया पब्लिक का नहीं देती। यह सरासर ग़लत है। शिक्षा में भी येही हाल है। अमेरिकन यूनिवर्सिटी को टाटा ने 10000 हज़ार करोड़ से भी ज़्यादा रुपये अपनी अंतरराष्ट्रीय धाक बनाने के लिए दे दिये और जमशेदपुर में सारे स्कूल बंद कर दिये। जमशेदपुर के युवाओं का भविष्य ख़तरे में आ गया है। बिजली में भी टाटा का मुनाफ़ा 300% का है। कम्पटीशन एक्ट 2000 के अनुसार जनता का हक़ है की उसके पास विकल्प हो की वह सबसे सस्ती चीज़ें ख़रीद पाये पर जमशेदपुर में टाटा ने मोनोपॉली की स्थिति पैदा  कर दिया है। इसके ख़िलाफ़ जमशेदपुर के लोगों के लिये मैं लड़ूँगा

तीसरा मुद्दा है एयरपोर्ट का। जमशेदपुर में दोहरी राजनीति के चलते आज तक एयरपोर्ट नहीं बन पाया। तत्कालीन सांसद दस वर्षों में यह काम नहीं किया।

चौथा और बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है नौकरियां श्री  विष्णु ने कहा कि अगर मैं जमशेदपुर का सांसद नियुक्त हुआ तो प्रतिवर्ष कम से कम 5000 नौकरियां अपने शहर के लिए ले के आऊँगा। उदाहरण के तौर पर फ़ॉक्सकन ने टाटा को 40000 करोड़ का टेंडर दिया। इस काम को करने के लिए कम से कम 20000 आदमी चाहिए। पर यह प्लांट हैदराबाद में लगा। किसी नेता ने जमशेदपुर में इसकी आवाज़ भी नहीं उठाई।

श्री विष्णु ने कहा कि स्वराज की लड़ाई सिर्फ़ जमशेदपुर की नहीं है यह सारे भारत के नागरिकों की लड़ाई है। हम इतिहास के उस धरातल पर खड़े हैं की अगर हम जमशेदपुर हार गये तो हम गांधी, खुदीराम बोस, आज़ाद शत्रु, भगत सिंह और कितनों को कलंकित करेंगे। मैं जमशेदपुर और समस्त भारत की जनता से आग्रह करता हूँ की इस लड़ाई में मेरा हौसला अफजाई करें। इस संवाददाता सम्मेलन में जमशेदपुर शहर के और ग्रामीण क्षेत्र के हस्तियां मौजूद थे