झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

जमशेदपुर को औद्योगिक नगरी घोषित करने के सरकार का आपाधापी में किये गये निर्णय के संबंध में राज्यपाल को अवगत कराने के लिए आज सुबह 10.30 बजे जमशेदपुर पूर्वी विधायक सरयू राय उनसे मिला और एक स्मार-पत्र उन्हें सौंपा

रांची – जमशेदपुर को औद्योगिक नगरी घोषित करने के सरकार का आपाधापी में किये गये निर्णय के संबंध में राज्यपाल को अवगत कराने के लिए आज सुबह 10.30 बजे जमशेदपुर पूर्वी विधायक सरयू राय उनसे मिला और एक स्मार-पत्र उन्हें सौंपा
जमशेदपुर पूर्वी विधायक सरयू राय ने राज्यपाल का ध्यान निम्नांकित बिन्दुओं की ओर आकृष्ट कराया है जिन्हें सुनकर राज्यपाल ने कहा है कि इस बारे में सरकार से स्पष्टीकरण मांगेंगे और यदि कुछ भी नियम के विरूद्ध हुआ है तथा जनहित के विरूद्ध हुआ है तो उस पर कार्रवाई करने का आवश्यक निर्देश देंगे

1.सरयू राय ने संविधान के अनुच्छेद-243क्यू का हवाला देते हुए राज्यपाल को बताया कि किसी भी शहर को पूर्णतः या आंशिक रूप से औद्योगिक नगरी घोषित करने के लिए संविधान ने राज्यपाल को अधिकृत किया है। यदि कोई निजी या सरकारी संस्थान किसी शहर में पूर्णतः या अंशतः नागरिक सुविधायें देना चाहती है तो उस इलाके के क्षेत्रफल को देखते हुए राज्यपाल उसे औद्योगिक नगरी घोषित कर सकते हैं परन्तु झारखण्ड की सरकार ने राज्यपाल को विश्वास को लेना तो दूर उन्हें सूचित किये बिना मंत्रिपरिषद से जमशेदपुर में औद्योगिक नगर समिति गठित करने का निर्णय ले लिया है और उसका अधिसूचना भी प्रकाशित कर दिया जो कि संविधान के अनुच्छेद-243क्यू के विरूद्ध है

2.श्री राय ने राज्यपाल को यह भी बताया कि जब विधानसभा का सत्र आहूत हो जाता है अथवा सत्र आरंभ हो जाता है तो उस अवधि में यदि सरकार कोई नीतिगत निर्णय लेती है तो उस निर्णय से विधानसभा को अवगत कराना सरकार के लिए बाध्यकारी है। जमशेदपुर को औद्योगिक नगरी घोषित करने का झारखण्ड सरकार के मंत्रिपरिषद का निर्णय विधानसभा का वर्तमान शीतकालीन सत्र आरंभ होने के बीच में किया गया परन्तु सरकार ने इसे सदन पटल पर नहीं रखा मेरे द्वारा सदन को सूचित किये जाने के बाद भी सरकार ने कैबिनेट का यह निर्णय सदन में नहीं रखा जो सरकार के असंवैधानिक आचरण का द्योतक है।

3. मंत्रिपरिषद के निर्णय और उसकी अधिसूचना में सरकार ने कहा है कि जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति के 16 वार्डों को औद्योगिक नगरी में शामिल किया जायेगा जो बस्तियाँ टाटा लीज क्षेत्र से बाहर है, उनमें सुविधायें देने के लिए ‘राईट ऑफ वे’ का शुल्क लिया जायेगा। यह सरकार द्वारा 2005 में टाटा-लीज नवीकरण समझौता के प्रावधान के विपरीत है। इस समझौता में टाटा स्टील ने स्वीकार किया है कि वह जमशेदपुर के सभी नागरिकों को सुविधायें उपलब्ध करायेगी और उनसे उतना ही शुल्क वसूलेगी जितना शुल्क राज्य सरकार की नगरपालिका जनता से वसूलती है। इसका कोई जिक्र जमशेदपुर औद्योगिक नगरी घोषित करने के मंत्रिपरिषद के प्रस्ताव में नहीं किया गया है।

4. मंत्रिपरिषद द्वारा पारित और अधिसूचित जमशेदपुर औद्योगिक नगर समिति में यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है कि जिन बस्तियों से शुल्क लिया जायेगा, उन्हें वास स्थान का मालिकाना हक दिया जायेगा या नहीं। श्री राय ने राज्यपाल से अनुरोध किया है कि ऐसी बस्तियों को मालिकाना हक दिलाने हेतु राज्य सरकार को निर्देश दें

5. मंत्रिपरिषद द्वारा पारित और अधिसूचित जमशेदपुर औद्योगिक नगर समिति में जमशेदपुर के 16 वार्डों को शामिल काने का उल्लेख किया गया है। साथ ही राज्य सरकार के स्थानीय मंत्री अथवा जिला के प्रभारी मंत्री को समिति का अध्यक्ष मनोनीत किया गया है। टाटा स्टील के उपाध्यक्ष और पूर्वी सिंहभूम जिला के उपायुक्त को इसका उपाध्यक्ष मनोनीत किया गया है, इसमें टाटा स्टील के ग्यारह और झारखण्ड सरकार के छह प्रतिनिधि रखे गये हैं। स्थानीय विधायक को भी समिति में रखा गया है। टाटा कामगार यूनियन और टाटा मोटर्स को भी इसमें रखा गया है। परन्तु जमशेदपुर के जो सोलह वार्ड उस समिति में शामिल किये गये हैं उनके प्रतिनिधि को कोई स्थान इस समिति में नहीं दिया गया है जो नगरपालिका के स्वशासन और संविधान की अवधारणा के खिलाफ है। सरकार का यह निर्णय भी संविधान विरोधी और जनता को उसके मौलिक अधिकार से वंचित करने वाली है।

6.श्री राय ने राज्यपाल को यह भी बताया कि झारखण्ड सरकार के मंत्रिपरिषद द्वारा पारित और अधिसूचित जमशेदपुर औद्योगिक नगर समिति के लिए वित्तीय संसाधन जिन स्रोतों से आयेगा, उसमें टाटा स्टील के योगदान की कोई चर्चा नहीं की गई है।

7. इस अधिसूचना में अंकित है कि जमशेदपुर औद्योगिक नगर समिति, झारखण्ड नगरपालिका अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार काम करेगी। जब राज्यपाल किसी शहर को पूर्णतः या अंशतः औद्योगिक नगर घोषित करेंगे तो संविधान कहता है कि वहाँ नगरपालिका नहीं बनेगी।

8. सरकार द्वारा घोषित जमशेदपुर औद्योगिक नगर समिति के संबंध में 2005 से 2016 के बीच कई अधिसूचनाओं और इस पर हुए झारखण्ड उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों का आधा-अधूरा उल्लेख किया गया है। इसमें यह उल्लेख किया ही नहीं है कि 1989 में जमशेदपुर को नगर निगम बनाने के बारे में सर्वोच्च न्यायालय का जो निर्णय हुआ, उसे सरकार लागू क्यों नहीं करा सकी और सर्वोच्च न्यायालय के सामने सरकार और टाटा स्टील ने इस मामले को न्यायालय से बाहर सुलझाने का शपथ पत्र दिया, परन्तु जवाहर लाल शर्मा का जो आवेदन इस विषय में अभी भी सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष सुनवाई की प्रक्रिया में है उसके बारे में इस अधिसूचना में कोई उल्लेख नहीं किया गया है

9.श्री राय ने राज्यपाल को बताया कि इसके अतिरिक्त भी कई विसंगतियाँ और विरोधाभास इस अधिसूचना में हैं जो भविष्य में मुकदमेबाजी की स्थिति पैदा करेगी और जमशेदपुर शहर के लोग स्वशासन और मताधिकार के अधिकार से लम्बे समय तक वंचित रहेगी।
श्री राय ने कहा कि राज्यपाल से करीब 40 मिनट तक मेरी बातें हुई राज्यपाल ने श्री राय की बातों को ध्यानपूर्वक सुना और इस पर विधिसम्मत कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।

जमशेदपुर को औद्योगिक नगरी घोषित करने का मामला सरयू राय मिले राज्यपाल से गर्वनर मांगेंगे सरकार से स्पष्टीकरण

रांची – जमशेदपुर को औद्योगिक नगरी घोषित करने के सरकार द्वारा आपाधापी में किये गये निर्णय के विषय में जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने राज्यपाल से मुलाकात की। श्री राय ने राज्यपाल को स्मार पत्र सौंपा। उन्होंने राज्यपाल का ध्यान कई बिन्दुओं की ओर आकृष्ट किया, जिन्हें सुनकर राज्यपाल ने कहा कि इस बारे में सरकार से स्पष्टीकरण मांगेंगे और यदि कुछ भी नियम तथा जनहित के विरूद्ध हुआ तो उस पर कार्रवाई करने का आवश्यक निर्देश देंगे।
यहां जारी स्मारपत्र में सरयू राय ने कहा कि उन्होंने संविधान के अनुच्छेद-243क्यू का हवाला देते हुए राज्यपाल को बताया कि किसी भी शहर को पूर्णतः या आंशिक रूप से औद्योगिक नगरी घोषित करने के लिए संविधान ने राज्यपाल को अधिकृत किया है यदि कोई निजी या सरकारी संस्थान किसी शहर में पूर्णतः या अंशतः नागरिक सुविधायें देना चाहती है तो उस इलाके के क्षेत्रफल को देखते हुए राज्यपाल उसे औद्योगिक नगरी घोषित कर सकते हैं, परन्तु झारखण्ड की सरकार ने राज्यपाल को विश्वास में लेना तो दूर, उन्हें सूचित किये बिना मंत्रिपरिषद से जमशेदपुर में औद्योगिक नगर समिति गठित करने का निर्णय ले लिया। इस संबंध में अधिसूचना भी प्रकाशित कर दिया। यह संविधान के अनुच्छेद-243क्यू के विरूद्ध है।
सरयू राय ने राज्यपाल को बताया कि जब विधानसभा का सत्र आहूत हो जाता है अथवा सत्र आरंभ हो जाता है तो उस अवधि में यदि सरकार कोई नीतिगत निर्णय लेती है तो उस निर्णय से विधानसभा को अवगत कराना सरकार के लिए बाध्यकारी है। जमशेदपुर को औद्योगिक नगरी घोषित करने का झारखण्ड सरकार के मंत्रिपरिषद का निर्णय विधानसभा का वर्तमान शीतकालीन सत्र आरंभ होने के बीच में किया गया, लेकिन सरकार ने इसे सदन पटल पर नहीं रखा। जब हमने सदन को सूचित किया, उसके बाद भी सरकार ने कैबिनेट का यह निर्णय सदन में नहीं रखा। यह सरकार के असंवैधानिक आचरण को दर्शाने के लिए पर्याप्त है
सरयू राय के अनुसार, मंत्रिपरिषद के निर्णय और उसकी अधिसूचना में सरकार ने कहा है कि जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति के 16 वार्डों को औद्योगिक नगरी में शामिल किया जायेगा। यह भी कहा है कि जो बस्तियाँ टाटा लीज क्षेत्र से बाहर है, उनमें सुविधायें देने के लिए ‘राईट ऑफ वे’ का शुल्क लिया जायेगा। यह सरकार द्वारा 2005 में टाटा-लीज नवीकरण समझौता के प्रावधान के विपरीत है। इस समझौता में टाटा स्टील ने स्वीकार किया है कि वह जमशेदपुर के सभी नागरिकों को सुविधायें उपलब्ध करायेगी और उनसे उतना ही शुल्क वसूलेगी, जितना शुल्क राज्य सरकार की नगरपालिका वसूलती है। इसका कोई जिक्र जमशेदपुर औद्योगिक नगरी घोषित करने के मंत्रिपरिषद के प्रस्ताव में नहीं किया गया है
सरयू राय ने कहा कि मंत्रिपरिषद द्वारा पारित और अधिसूचित जमशेदपुर औद्योगिक नगर समिति में यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है कि जिन बस्तियों से शुल्क लिया जायेगा, उन्हें स्थान का मालिकाना हक दिया जायेगा या नहीं सरयू राय ने राज्यपाल से अनुरोध किया कि ऐसी बस्तियों को मालिकाना हक दिलाने हेतु राज्य सरकार को निर्देश दें इसके साथ ही जमशेदपुर औद्योगिक नगर समिति में जमशेदपुर के 16 वार्डों को शामिल करने का उल्लेख किया गया है। राज्य सरकार के स्थानीय मंत्री अथवा जिला के प्रभारी मंत्री को समिति का अध्यक्ष मनोनीत किया गया है। टाटा स्टील के उपाध्यक्ष और पूर्वी सिंहभूम जिला के उपायुक्त को इसका उपाध्यक्ष मनोनीत किया गया है। इसमें टाटा स्टील के 11 और झारखण्ड सरकार के छह प्रतिनिधि रखे गये हैं। स्थानीय विधायक को भी समिति में रखा गया है। टाटा कामगार यूनियन और टाटा मोटर्स को भी इसमें रखा गया है। लेकिन जमशेदपुर के जो 16 वार्ड उस समिति में शामिल किये गये हैं उनके प्रतिनिधि को कोई स्थान इस समिति में नहीं दिया गया है। यह तो नगरपालिका के स्वशासन और संविधान की अवधारणा के सख्त खिलाफ है। सरकार का यह निर्णय भी संविधान विरोधी और जनता को उसके मौलिक अधिकार से वंचित करने वाली है।
सरयू राय के स्मारपत्र के अनुसार, उन्होंने राज्यपाल को यह भी बताया कि औद्योगिक नगर समिति के लिए वित्तीय संसाधन जिन स्रोतों से आयेगा, उसमें टाटा स्टील के योगदान की कोई चर्चा नहीं की गई है। इस अधिसूचना में अंकित है कि जमशेदपुर औद्योगिक नगर समिति, झारखण्ड नगरपालिका अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार काम करेगी। जब राज्यपाल किसी शहर को पूर्णतः या अंशतः औद्योगिक नगर घोषित करेंगे तो संविधान कहता है कि वहाँ नगरपालिका नहीं बनेगी। इस औद्योगिक नगर समिति के संबंध में 2005 से 2016 के बीच कई अधिसूचनाओं और इस पर हुए झारखण्ड उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों का आधा-अधूरा उल्लेख किया गया है। इसमें यह उल्लेख किया ही नहीं गया कि 1989 में जमशेदपुर को नगर निगम बनाने के बारे में सर्वोच्च न्यायालय का जो निर्णय हुआ, उसे सरकार लागू क्यों नहीं करा सकी और सर्वोच्च न्यायालय के सामने सरकार और टाटा स्टील ने इस मामले को न्यायालय से बाहर सुलझाने का शपथ पत्र दिया, परन्तु जवाहर लाल शर्मा का जो आवेदन इस विषय में अभी भी सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष सुनवाई की प्रक्रिया में है, उसके बारे में इस अधिसूचना में कोई उल्लेख नहीं किया गया है।