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जिस सड़क निर्माण की सुरक्षा में लगाए गए थे दो सौ जवान वह आज भी है अधूरी

जिस सड़क निर्माण की सुरक्षा में लगाए गए थे दो सौ जवान वह आज भी है अधूरी

पलामू के मनातू थाना क्षेत्र में मनातू चक मंसुरिया रोड एक ऐसी सड़क है जो बनना तो शुरू हुई लेकिन मुक्कमल नहीं हुई. नक्सलियों के खौफ के कारण इस सड़क को बनाने के लिए एक वक्त दो सौ सुरक्षाकर्मी भी लगाए गए, लेकिन उसके बाद भी लापरवाही का आलम यह है कि नक्सलियों के कमजोर होने और माहौल ठीक होने के बाद भी सड़क निर्माण कार्य अधूरा है.

पलामू: मई जून 2011 पलामू के मनातू थाना क्षेत्र के हथिया चट्टान के पास विस्फोट हुआ था, इस विस्फोट में पलामू के तत्कलीन एसपी अनूप टी मैथ्यू बाल बाल बच गए थे. जबकि इस दुर्घटना से ठीक छह महीने पहले इसी जगह पर विस्फोट हुआ था जिसमें चार जवान शहीद हुए थे. यह दुर्घटनाएं उस सड़क की कहानी को बताती है जिस पर माओवादियों का खौफ था. मात्र 14 किलोमीटर के मनातू चक मंसुरिया रोड पर एक दर्जन से अधिक बार नक्सल हमले हुए हैं जिसमें कई जवान शहीद हो गए. इस सड़क निर्माण में लगे कर्मियों की सुरक्षा के लिए दो सौ जवान भी लगाए गए थे, लेकिन इसके बाद भी 2018-19 में इसका निर्माण कार्य रोक दिया गया, जो आज भी अधूरा है.
मनातू प्रखंड से करीब चार किलोमीटर दूर बिहार की सीमा शुरू होती है. माना जाता है कि यह इलाका नक्सलियों का सेफ जोन है. नक्सलियों के खौफ के कारण इस इलाके में कभी विकास की पहल ही नहीं हुई. यहां एक सड़क बननी थी लेकिन छह साल बाद भी वह पूरी नहीं हो सकी. यह सड़क 2016-17 में बनना शुरू हुआ तब से कई बार इस पर नक्सलियों ने हमला किया. सड़क निर्माण में लगे कर्मियों और अधिकारियों के लिए करीब दो सौ जवानों की तैनाती भी की गई. इस सड़क को बनाने के लिए कंपनी को पूरे पैसे भी दे दिए गए, लेकिन इसके बाद भी इसका निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ. इस इलाके में नक्सली कमजोर हो चुके हैं. सुरक्षा व्यवस्था भी पहले के मुकाबले अच्छी बावजूद इसके इस रोड का निर्माण कार्य 2018-19 में अधूरा छोड़ दिया गया, जो आज भी अधूरा है.
मनातू चक मंसुरिया रोड मात्र चौदह किलोमीटर की है. इस रोड पर चार जगह छोटे छोटे पुल हैं जबकि एक जगह बड़ा पुल है. ठेकेदार ने चौदह किलोमीटर के पैच में कई जगह रोड को अधूरा छोड़ दिया है. इलाके के ग्रामीण सुरेश यादव ने बताया कि रोड अधूरा रहने के कारण दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. पुल काफी ऊंचाई पर है जबकि एप्रोच रोड भी खतरनाक है और कई बार दुर्घटना हुई है. ग्रामीणों ने बताया कि ठेकेदार ने रोड को अधूरा छोड़ दिया है.
पलामू के उपविकास आयुक्त मेघा भारद्वाज ने बताया कि मनातू चक मंसुरिया रोड को बनाने की पहल की जाएगी. इसके लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं. ठेकेदार ने दो से ढाई किलोमीटर रोड अधूरा छोड़ दिया है. उपविकास आयुक्त ने बताया कि नक्सल प्रभावित इलाकों के रोड पर नजर रखे हुए हैं, प्रशासन सभी जगहों पर रोड बना रही है.
मनातू चक मंसुरिया रोड नक्सल अभियान के लिए काफी महत्वपूर्ण है. इस रोड पर आधा दर्जन से अधिक बार नक्सल हमले हुए हैं. यह रोड पलामू और बिहार के गया को जोड़ती है. 2018 तक रोड पर सुरक्षाबलों को भी चलने के लिए पुलिस मुख्यालय की अनुमति ली जाती थी. इलाके में तैनात जवानों को छुट्टी पर जाने के लिए भी एयर लिफ्ट करवाना पड़ता था.