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जिला दण्डाधिकारी सह उपायुक्त  मंजूनाथ भजन्त्री की अध्यक्षता में आयोजित हुई सीएसआर कमिटी की बैठक कहा- प्रशासन के साथ आपसी समन्वय से हो कंपनियों के सीएसआर फंड का उपयोग सीएसआर के तहत किए जाने वाले कार्यों की अगले एक साल की कार्ययोजना समर्पित करेंगे कंपनी प्रबंधन

जिला दण्डाधिकारी सह उपायुक्त  मंजूनाथ भजन्त्री की अध्यक्षता में आयोजित हुई सीएसआर कमिटी की बैठक कहा- प्रशासन के साथ आपसी समन्वय से हो कंपनियों के सीएसआर फंड का उपयोग सीएसआर के तहत किए जाने वाले कार्यों की अगले एक साल की कार्ययोजना समर्पित करेंगे कंपनी प्रबंधन

 

*अगले 2 वर्षों में जिले से 200 उद्यमी को निखारने/ प्लेटफॉर्म देने की दिशा में हम सभी करें विशेष पहल*

*सीएसआर फंड में युवा, महिला, समाज कल्याण, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार सृजन की योजनाओं को दें प्राथमिकता- जिला दण्डाधिकारी सह उपायुक्त

जमशेदपुर- समाहरणालय सभागार  जमशेदपुर में जिला दण्डाधिकारी सह उपायुक्त मंजूनाथ भजन्त्री की अध्यक्षता में सीएसआर कमिटी की बैठक आयोजित की गई । इस दौरान उपस्थित विभिन्न कंपनी के प्रतिनिधियों से सीएसआर के तहत उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी ली गई  साथ ही अगले वित्तीय वर्ष में सीएसआर फंड के उपयोग की कार्ययोजना पर विमर्श किया गया  जिन प्रतिनिधियों के पास आगामी कार्ययोजना को लेकर अधतन रिपोर्ट नहीं थे उन्हें आगामी बैठक में प्रतिवेदन के साथ आने को कहा गया।

जिला दण्डाधिकारी सह उपायुक्त ने कहा कि हम सभी इस दिशा में समेकित प्रयास करें कि अगले 2 वर्षों में जिले से 200 नए उद्यमी सामने आ पायें । उन्होंने कहा कि इस जिले में रोजगार सृजन के क्षेत्र में कई संभावनायें हैं और जिलों की अपेक्षा यहां के युवाओं में बढ़िया एक्सपोजर है, जरूरत है उन्हें प्रोत्साहित करने एवं प्लेटफॉर्म देने की। जिले में ऐसी कई विश्वस्तरीय संस्थायें कार्य कर रही हैं विशेषकर टाटा फाउंडेशन, एनआईटी, एक्स एल आर आई आदि जिनके विशेषज्ञों के साथ जिले के युवाओं को जोड़कर मार्गदर्शन दिया जाए तो रोजगार सृजन के क्षेत्र में नई क्रांति ला सकते हैं । साथ ही एक उद्यमी अपने साथ 40-50 लोगों को रोजगार भी दे सकते हैं ।

जिला दण्डाधिकारी सह उपायुक्त ने सीएसआर राशि के उपयोग को लेकर योजनाओं के चयन में युवा, महिला, समाज कल्याण, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार सृजन की योजनाओं को प्राथमिकता पर रखने का निर्देश दिया। उन्होने कहा कि सीएसआर फंड ऐसी चीज है जो विविध क्षेत्रों के लोगों की सुविधाओं को नया आयाम देने के लिए उपयोग किया जाता है। इसलिए संबंधित कंपनी / अधिकारियों को इस फंड से होने वाली योजनाओं के चयन में पूरी पारदर्शिता रखनी ही चाहिए ।

जिला दण्डाधिकारी सह उपायुक्त ने कहा कि सीएसआर फंड का उपयोग जिला प्रशासन के साथ आपसी समन्वय से हो तो और बेहतर तरीके से इसका उपयोग किया जा सकता है । जिला स्तर पर सीएसआर गतिविधियों के संचालन, क्रियान्वयन, प्रबंधन, मार्गदर्शन एवं निगरानी के लिए मैकेनिज्म तैयार करने के उद्देश्य से कमिटी गठित है। उन्होने राज्य सरकार के उद्योग विभाग द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुश्रवण पर बल देते हुए कहा कि योजनायें ओवरलैप नहीं होनी चाहिए

जिला दण्डाधिकारी सह उपायुक्त ने कहा कि कंपनियां अपने सीएसआर प्रावधानों का जिस तरह से बेहतर उपयोग कर रही हैं, आवश्कयता है कि व्यापक हित को देखते हुए आवश्यकता व मांग के अनुसार गुणवत्तापूर्ण कार्य करवाये जाएं । राज्य सरकार के दिशा-निर्देशानुसार समाज के वंचित वर्ग के आर्थिक-सामाजिक उत्थान की दिशा में जिला प्रशासन कार्य करती है, ऐसे में सीएसआर फंड जो अनिवार्य है कंपनियों के लिए व्यय करना, उसका सटीकता से आकलन कर व्यय किया जाए तो चीजें और आसान होंगी तथा एक बड़ा वर्ग इससे लाभान्वित हो सकेगा ।

बैठक में उप विकास आयुक्त  मनीष कुमार, सिविल सर्जन डॉ जुझार माझी, जिला योजना पदाधिकारी  अरूण द्विवेदी, कार्यकारी महाप्रबंधक जिला उद्योग केन्द्र, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, जिला कल्याण पदाधिकारी, जिला शिक्षा अधीक्षक, कार्यपालक अभियंता पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल, उद्योग विभाग के राज्य स्तरीय परामर्शी / पदाधिकारी, चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधि समेत विभिन्न कंपनियों के सीएसआर हेड/ मैनेजर व अन्य वरीय प्रतिनिधि उपस्थित थे।