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झारखंड के सरकारी विद्यालय में पुन: बंगला भाषा में पढ़ाई पोटका के उत्क्रमित उच्च विद्यालय शंकरदा से की गई शुरू। मातृभाषा में शिक्षित होना ज्ञान वर्धन में परम उपयोगी है – अनिल कुमार बर्मा

झारखंड के सरकारी विद्यालय में पुन: बंगला भाषा में पढ़ाई पोटका के उत्क्रमित उच्च विद्यालय शंकरदा से की गई शुरू।
मातृभाषा में शिक्षित होना ज्ञान वर्धन में परम उपयोगी है – अनिल कुमार बर्मा
पोटका- पूर्व जिला पार्षद करुणामय मंडल के प्रयास से पोटका प्रखंड के उत्क्रमित उच्च विद्यालय शंकरदा में बंगला भाषी छात्र छात्राओं को उनकी मातृभाषा बंगला में शिक्षा देने हेतु आज से वर्ग एक एवं दो के बच्चों को वर्ण परिचय की पढ़ाई शुरू कर दी गई।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पोटका के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी अनिल कुमार वर्मा,विशिष्ट अतिथि के रूप में साहित्यकार सह समाज सेवी सुनील कुमार दे, पूर्व जिला पार्षद करुणा मय मंडल, शिक्षा समिति के अध्यक्ष सोमेन कुमार भकत,ग्राम प्रधान विनय कृष्ण दास, संकुल साधन सेवी जयंत कुमार मंडल, शिक्षा प्रेमी सह समाजसेवी गणेश चंद्र भकत आदि उपस्थित थे।
सर्वप्रथम अनिल कुमार वर्मा प्र.शि.प्र.पदा. द्वारा मां सरस्वती की प्रतिकृति पर धूप दीप प्रज्वलित किया गया तत्पश्चात विद्यालय के प्रधानाध्यपक अरित्र भट्टाचार्य ने सभी को स्वागत करते हुए इस प्रयास की सारहना की और बच्चे को अपनी मातृभाषा सीखने की महत्ता बताते हुए सीखने की प्रेरणा दिए करुणामय मंडल ने कहा – हमारे विद्यालय का नाम आज के ये ऐतिहासिक प्रयास के लिए बंगला भाषा के पुनरुत्थान के इतिहास में स्वर्णाक्षर में लिखे जायेंगे क्यों की आज से पुन: इस सरकारी विद्यालय में प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी के उपस्थिति में बंगला भाषा की पढ़ाई शुरू हो रही है। श्री मंडल बोले प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में हर भाषा भाषी के बच्चों को केंद्र तथा राज्य दोनों सरकारें प्रावधान दे रखी है जरूरत है बंगला प्रेमी बुद्धिजीवियों को आगे आकर व्यवस्था के साथ समन्वय स्थापित कर इसे उपयोग करवाना। श्री मंडल द्वारा उक्त पहल में प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी का सहयोग को बंगला भाषियों के लिए अविश्वरनीय योगदान बताते हुए तहे दिल से धन्यवाद दिए।
साहित्यकार सुनील कुमार दे ने कहा – हमारा किसी भाषा के प्रति दुर्भावना नहीं है,हम सभी को अपनी अपनी मातृभाषा सीखने  के लिए प्रेरित कर रहे हैं।मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं है इसलिए सभी को अपनी मातृभाषा सीखना चाहिए मुख्य अतिथि  अनिल कुमार वर्मा ने इस प्रयास की भूरी भूरी प्रशंसा की।उन्होंने कहा कि मातृभाषा के माध्यम से ही हम अपने भावनाओं की अभिव्यक्ति को सर्वोत्तम रूप से व्यक्त कर सकते हैं।जिसके कारण सरकार का भी निर्देश है कि क्षेत्रीय भाषा बहुलता के आधार पर अपनी मातृभाषा में प्रार्थमिक शिक्षा सहजता से प्राप्त हो।यह क्षेत्र बंगला भाषी क्षेत्र है इसलिए बच्चे को बंगला भाषा की शिक्षा देना जरूरी है।
इस अवसर पर माताजी आश्रम हाता की ओर से दी गई वर्ग एक एवं वर्ग दो के छात्र छात्राओं को ईश्वर चंद्र विद्यासागर के “वर्ण परिचय” की पुस्तकें मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथियों के द्वारा वितरित की गई।सुनील कुमार दे ने पहला बंगला क्लास लिया।अंत में धन्यवाद ज्ञापन ग्राम प्रधान विनय कृष्ण दास ने दिया।कार्यक्रम का संचालन करुणामय मंडल ने किया।इस अवसर पर अमल विश्वास,बलराम गोप,सोमेन कुमार भकत,शिक्षक – भोलानाथ भकत,स्वपन कुमार दास,रविंद्र नाथ मुर्मू,कनक लकड़ा,जयंत कुमार मंडल के अलावे विद्यालय के शिक्षक शिक्षिकायें तथा छात्र छात्राएं उपस्थित थे।