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झामुमो इस बार जमशेदपुर सीट पर दे सकता है महतो प्रत्याशी डॉ शुभेंदु महतो पर लगा सकती है दांव पार्टी के अंदरखाने में बढ़ी हलचल

झामुमो इस बार जमशेदपुर सीट पर दे सकता है महतो प्रत्याशी डॉ शुभेंदु महतो पर लगा सकती है दांव पार्टी के अंदरखाने में बढ़ी हलचल

जमशेदपुर – भारतीय जनता पार्टी सहित देश के तमाम दल 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है हालांकि सब कुछ विपक्षी गठबंधन पर निर्भर करता है. यहां हम जमशेदपुर लोकसभा सीट की बात करें तो पिछले लोकसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार भाजपा ने विद्युत वरण महतो को टिकट दिया है विपक्ष की ओर से जमशेदपुर लोकसभा सीट पर मजबूत दावेदारी किसकी होगी इसको लेकर अभी से बहस छिड़ा हुआ है और 5 से 7 अप्रैल तक फाइनल नाम होने की उम्मीद है वैसे जमशेदपुर सीट पर कई तरह के क्यास लगाए जा रहे हैं चुकी जमशेदपुर सीट शुरु से ही महतो बाहुल्य क्षेत्र रहा है इसलिए झामुमो पार्टी भी किसी महतो चेहरे की तालाश में है उन्हीं चेहरे में से एक नाम उभर कर सामने आ रहा है डॉ शुभेन्दु महतो डॉक्टर महतो वर्ष 1984 में को-ऑपरेटिव कॉलेज जमशेदपुर से छात्र नेता के रूप में अपनी राजनीति सफर शुरू किए हैं और आज़ कोल्हान में झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के सबसे मजबूत स्तंभों में से एक हैं अपने शांत स्वभाव, बेबाक अदा और सुनियोजित रणनीति के जरिए विपक्षियों में खलबली मचाने वाले डॉ शुभेन्दु महतो के राजनीतिक प्रेरणास्रोत शहीद निर्मल महतो हैं। वर्ष 1985 में निर्मल महतो के संपर्क में आने के बाद उनकी विचारधारा और कार्यशैली से प्रभावित होकर वे राजनीति में कूदे। वर्ष 1987 में झारखण्ड आंदोलन के दौरान उन्होंने प्रभावी भूमिका निभाई। वर्ष 1991 में उन्हें 5 माह के लिए जेल यात्रा भी करनी पड़ी। डॉ महतो के व्यक्तित्व की सबसे खास बात है कि चेहरे से बिल्कुल शांतचित्त नज़र आते हैं लेकिन अंदर उमड़ रही आक्रामक रणनीति और राजनीतिक चाल से पार पाना विरोधियों के लिए टेढ़ी खीर साबित होती रही है। येही कारण है कि उन्हें कोल्हान की राजनीति का साइलेंट किलर माना जाता है कार्यकर्ताओं को संगठित करने की बात हो या किसी राजनीतिक मसले पर तर्कसंगत टिप्पणी उनकी कोई सानी नहीं है। झारखण्ड मुक्ति मोर्चा का हिस्सा बनने के बाद भी कई ऐसे मौके आए जब उन पर उंगलियां भी उठीं, अपमानित भी होना पड़ा यूं कहें कि उन्हें अग्निपरीक्षा देनी पड़ी किंतु इन विपरीत परिस्थितियों में भी उन्होंने पार्टी का दामन नहीं छोड़ा। बकौल डॉ शुभेन्दु महतो पार्टी उनकी मां समान है और यह अटूट आस्था आजीवन बरकरार रहेगी। शीर्ष नेताओं का उन पर भरोसा और कार्यकर्ताओं का विश्वास ही था कि जिलाध्यक्ष पद पर रहते हुए उन्होंने वर्ष 2019 में हुए विधानसभा आम चुनाव में सरायकेला-खरसावां जिले की तीनों सीट झारखण्ड मुक्ति मोर्चा की झोली में डाल दीं। वर्तमान में राजनीति गलियारों में यह चर्चा है कि पार्टी वर्ष 2024 के लोकसभा आम चुनाव के दौरान जमशेदपुर से प्रत्याशी के तौर पर डॉ शुभेन्दु महतो पर दांव आजमा सकती है क्योंकि इनकी पैठ जमशेदपुर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र में जमीनी स्तर पर बना हुआ है । वैसे इस संदर्भ में उनसे पूछे जाने पर उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि हर राजनेता की तरह उनकी भी अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा है, किंतु हर हाल में पार्टी सर्वोपरि है। झारखण्ड मुक्ति मोर्चा यदि उन्हें योग्य समझते हुए जमशेदपुर लोकसभा का प्रतिनिधित्व करने का अवसर देती है तो वे अवश्य ही चुनाव लड़ेंगे समय और परिस्थितियों के हिसाब से पार्टी तय करेगी कि आगे उनकी क्या भूमिका रहेगी। डॉ शुभेन्दु महतो वर्तमान में सरायकेला जिला अध्यक्ष एवं बीस सूत्री कमेटी में भी हैं । इन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जेल से रिहा होने तक अपने पैरों में जूता -चप्पल नहीं पहनने का संकल्प लिया है जो इन्हें झामुमो पार्टी एवं सोरेन परिवार के काफी करीब ले आया है । डॉ शुभेन्दु महतो ने बताया कि विगत 16 फरवरी से इन्होंने सत्याग्रह के तहत संकल्प लिया है कि जब तक कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन जेल से हमारे बीच नहीं लौटते, तब तक ये पैरों में जूता- चप्पल नहीं पहनेंगे इन्होंने कहा कि विपक्ष और केंद्रीय एजेंसियों द्वारा जबरन युवा सोच वाले पूर्व मुख्यमंत्री को गिरफ्तार कर जेल यात्रा कराई है जब हमारे सम्मानित नेता तकलीफ में है तो हम कैसे सुखद अनुभव कर सकते हैं। इन्होंने कहा कि लंबी लड़ाई लड़ने के बाद दिशोम गुरु शिबू सोरेन के प्रयास से झारखंड अलग राज्य मिला ताकि यहां के आदिवासी , मूलवासियों को उनका हक और अधिकार मिले, लेकिन विपक्ष को यह रास नहीं आ रहा है, षड्यंत्र रचकर हमारे नेता को परेशान किया गया है. झामुमो राज्य भर में हेमंत सोरेन के गिरफ्तारी के विरुद्ध में चरणबद्ध आंदोलन कर रही है जो आगे जारी रहेगा