झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

हुई मौत से यारी अपनी

हुई मौत से यारी अपनी
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घर अपना फुलवारी अपनी
जीने की तैयारी अपनी

पता नहीं कब जीते जीते
हुई मौत से यारी अपनी

वही लगाते गले मौत को
जहाँ जिन्दगी भारी अपनी

साहस छोड़ा तो लगता है
अभी मौत की बारी अपनी

टूटे सपनों को ले कर के
कौन सजाता क्यारी अपनी

घर बन जाता जब मकान सा
बढ़ जाती दुश्वारी अपनी

हर मुश्किल से लड़ो होश में
सुमन जिन्दगी प्यारी अपनी

श्यामल सुमन