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हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में 42 संगठनों के 122 हिन्दुत्व निष्ठों का उत्स्फूर्त सहभाग हिन्दू संगठनों के समन्वय से ‘हिन्दू राष्ट्र समन्वय समिति’ का होगा गठन

हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में 42 संगठनों के 122 हिन्दुत्व निष्ठों का उत्स्फूर्त सहभाग हिन्दू संगठनों के समन्वय से ‘हिन्दू राष्ट्र समन्वय समिति’ का होगा गठन

धनबाद – हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के उद्देश्य से हिन्दू हित के उपक्रमों को गति प्रदान करने के लिए झारखंड, बंगाल एवं बिहार में हिन्दू संगठनों के समन्वय से ‘हिन्दू राष्ट्र समन्वय समिति का गठन किया जाएगा ऐसा प्रस्ताव 2 एवं 3 दिसंबर को शक्ति मंदिर धनबाद में आयोजित हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में सर्वसम्मति से पारित हुआ इस हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में झारखंड, बंगाल एवं बिहार के 42 संगठनों के पदाधिकारी, अधिवक्ता, संतजन, मंदिर न्यासी, उद्योगपति, पत्रकार एवं संपादक आदि 122 से अधिक प्रतिनिधि उपस्थित थे ऐसी जानकारी हिन्दू जनजागृति समिति के पूर्व एवं पूर्वोत्तर भारत समन्वयक शंभू गवारे ने ‘हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ के समापन की पत्रकार वार्ता में दी वे यहां के गांधी सेवा सदन में आयोजित पत्रकार वार्ता में बोल रहे थे इस अवसर पर सनातन संस्था के धर्मप्रचारक अभय वर्तक उपस्थित थे ।
शंभू गवारे ने आगे कहा कि सनातन धर्म की बदनामी करने वालों को उसके परिणाम पीछे हुए चुनाव में भुगतने पड़े हैं इससे बोध लेकर राजनैतिक दलों द्वारा हिंदुओं की मांगों पर कार्य करना अपेक्षित है भविष्य में हिन्दू हित के कौन से सूत्रों पर राजनैतिक दलों के द्वारा कार्य अपेक्षित है इस पर विस्तृत चर्चा संवाद हुआ । इस चर्चा के आधार पर भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने;लव जिहाद, धर्मांतरण एवं गोवंश हत्या के विरुद्ध कठोर कानून बनाने; हलाल सर्टिफिकेशन पर प्रतिबंध लगाने; मंदिरों का सरकारीकरण निरस्त करने; ‘प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट’ एवं ‘वक्फ’ कानूनों को निरस्त करने; जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने; कश्मीरी हिन्दुओं का पुनर्वास आदि विषयों पर मांग पत्र बनाकर सभी राजनैतिक दलों को भेजा जाएगा
इस अवसर पर सनातन संस्था के अभय वर्तक ने कहा कि मंदिर संस्कृति रक्षा एवं संवर्धन के लिए 100 से अधिक मंदिरों में वस्त्र संहिता लागू करने का लक्ष्य निश्‍चित किया गया है । अधिवेशन में मंदिरों के प्रतिनिधियों के उपस्थिति में मंदिरों का सरकारी नियंत्रण, मंदिर क्षेत्र में हो रहा भ्रष्टाचार मंदिरों की परंपराओं में हो रहा सरकारी हस्तक्षेप इसके विरुद्ध मंदिरों को संगठित करने का तथा मंदिर सुप्रबंधन हेतु एकत्रित कार्य करने का निर्णय हुआ