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दुमका में एक ऐसा जवान जो रिटायर नहीं हुआ

दुमका में एक ऐसा जवान जो रिटायर नहीं हुआ

साउथ की फिल्म इंडियन सोल्जर नेवर ऑन हॉलिडे तो आपमें से बहुत ने देखी होगी. हम आपको झारखंड की इसी से मिलती जुलती कहानी सुनाते हैं, जहां बीएसएफ जवान अब तक रिटायर नहीं हुआ.

दुमकाः देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी कोई सरहदों की सुरक्षा कर निभाता है तो कोई समाज के उत्थान में अपना योगदान देकर. लेकिन दुमका के मुनका मनीष हेम्ब्रम आदिवासी समाज के ऐसे शख्स हैं जिन्होंने दोनों जिम्मेदारी निभाई. लंबे समय तक वे बीएसएफ में सेवा देकर देश की सीमा पर डटे रहे, उसके बाद जब रिटायर हुए तो युवाओं को रोजगार से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं. उनकी कहानी जानकर आपको दक्षिण सिनेमा की फिल्म इंडियन सोल्जर याद आ जाएगी, जिसकी टैग लाइन है सैनिक छुट्टी पर नहीं होता
मुनका हेम्ब्रम प्रतिदिन सुबह दुमका आउटडोर स्टेडियम में पहुंच जाते हैं. वहां लोगों को फिजिकल फिटनेस की ट्रेनिंग देते हैं. इसके लिए वह किसी से कोई फीस नहीं लेते, मतलब पूरी तरह से निःशुल्क सेवा. काफी संख्या में युवक-युवतियां उनसे प्रशिक्षण ले रहे हैं. इसमें अधिकांश ऐसे युवा हैं जो सेना या पुलिस की नौकरी में अपना कैरियर बनाना चाहते हैं या फिर एथलीट बनना चाहते हैं. इसके साथ ही कई ऐसे भी लोग हैं जो चुस्त-दुरुस्त रहने के लिए भी उनके साथ दौड़ते – भागते – कसरत करते नजर आते हैं.
मुनका हेम्ब्रम ने बताया कि 1988 से 2018 तक मैंने सीमा सुरक्षा बल में नौकरी की. कश्मीर, राजस्थान, पंजाब , गुजरात , केरल पश्चिम बंगाल , मणिपुर में ड्यूटी की. उसके बाद जब सेवानिवृत्त होकर वापस अपने घर दुमका आया तो मन में ख्याल आया कि क्यों न फिर से देश की सेवा की जाए. इस पर मैंने ठान लिया कि युवाओं को रोजगार से जोड़ने में मदद करेंगे और लोगों को स्वस्थ बनाकर देश की सेवा में अपनी भूमिका निभाएंगे.
मुनका हेम्ब्रम ने कहा कि मैं युवाओं को सेना या पुलिस में जाने के लिए फिजिकल ट्रेनिंग दे रहा हूं. साथ ही कई युवक जो एथलेटिक्स में भी कैरियर बनाना चाहते हैं, उन्हें ट्रेंड कर रहा हूं. इसमें दौड़, लॉन्ग जंप, हाई जंप सभी की ट्रेनिंग शामिल है. मुझसे ट्रेनिंग पाकर अब तक खेल के क्षेत्र में कई युवाओं ने अच्छी सफलता पाई है. साथ ही मेरी जानकारी में तीन लोग नौकरी भी पा चुके हैं और कई अन्य इस दिशा में आवश्यक प्रयास में जुटे हुए हैं. मुनका कहते हैं कि हमें काफी खुशी होती है, जब मेरे साथ ये बच्चे प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं. अगर यह फिट रहेंगे तो इनका तन और मन दोनों स्वस्थ रहेगा और ये देश – समाज की सेवा कर सकेंगे. दुमका के आउटडोर स्टेडियम में सुबह से ही युवा वर्ग के साथ अन्य लोग भी काफी संख्या में मुनका से प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए जुट जाते हैं. सभी काफी उत्साह और उमंग से प्रशिक्षण लेते हैं. इनमें से कई सेना या पुलिस में जाना चाहते हैं तो कई एथलीट बनने की इच्छा रखते हैं. साथ ही साथ कई ऐसे भी लोग हैं जो अपने को फिट रखने के लिए मुनका के साथ मैदान में दौड़ते – भागते – कसरत करते नजर आते हैं. प्रशिक्षु राजा, अभिषेक, दीपशिखा और अनुज कुमार का कहना है कि बहुत ही आसानी से यहां हम लोग सब कुछ सीख रहे हैं. काफी फायदा मिल रहा है. कुछ लोगों का कहना है कि पहले हमारा वजन काफी अधिक था लेकिन इनके देखरेख में हम अपने को फिट कर पाने में सफल हुए हैं.