दुमका के लोगों का दर्द गर्मी की शुरुआत में ही सूखने लगे जलस्रोत पानी के लिए भटकने को मजबूर
दुमका में गर्मी आते ही पानी की समस्या शुरू हो जाती है. प्राकृतिक श्रोत सूख जाते हैं. सरकारी व्यवस्था भी धरे के धरे रह जाते हैं. विभागीय दावे तो बहुत किए जाते हैं लेकिन आम लोगों की परेशानी कम नहीं होती है.
दुमकाः राज्य की उपराजधानी को भौगोलिक दृष्टिकोण से पठारी इलाका मानते हैं. गर्मी के दिन आते ही यहां के प्राकृतिक जल स्रोत नदी, तालाब और कुएं सूख जाते हैं. इस वर्ष भी यही स्थिति है. ऐसे में गांव में पानी का एक मात्र साधन चापाकल रह जाता है, लेकिन भूगर्भ जल स्तर के नीचे रहने पर उससे भी गर्मी के दिनों में पानी नहीं निकलता है. वहीं काफी संख्या में ऐसे भी चापाकल है जो कई महीनों से खराब हैं. नतीजतन कई गांव में पानी की भीषण समस्या उत्पन्न हो चुकी है.
कई प्रखंड में पानी की समस्याः दुमका के शिकारीपाड़ा, काठीकुंड, मसलिया, जामा और सदर प्रखंड के दर्जनों गांव में पानी की काफी समस्या है. इस वर्ष मार्च माह से ही तापमान लगभग 38 – 40 डिग्री सेल्सियस जा पहुंचा है. अचानक से इस तरह गर्मी बढ़ने से लोग पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. सदर प्रखंड के दोमुहानी, राजबांध, श्रीअमड़ा, तेलियाचक, मंझियाड़ा जैसे कई गांव के अधिकांश चापाकल बेकार हो चुके हैं. कुछ से पानी नहीं निकलता तो अधिकांश में तकनीकी खराबी है. कुल मिलाकर लोगों को सही ढंग से पानी नहीं मिल रहा है.
क्या कहते हैं ग्रामीणः कई गांव के ग्रामीणों से बात की. उन्होंने बताया कि पानी की भीषण समस्या है. इससे हम लोगों को काफी परेशानी हो रही है. अलग अलग टोलों में जाकर पानी लाते हैं. जिससे हमारा अधिकांश वक्त पानी भरने में ही निकल जाता है. वे सरकार और प्रशासन से पानी की समस्या का समाधान करने की मांग कर रहे हैं.
इस संबंध में दुमका के पेयजल विभाग के कार्यपालक अभियंता गंगा राम ठाकुर से बात हुई. उन्होंने बताया कि जहां तक चापाकल ठीक करने की बात है विभाग के द्वारा अभी तक इसमें राशि नहीं आई है लेकिन हमलोग वैकल्पिक उपाय कर सभी प्रखंडों में चापाकल ठीक करने के लिए इंतजाम कर रहे हैं. उस वाहन में मिस्त्री के साथ चापाकल से संबंधित पाइप और अन्य सामान रहेंगे. जहां जहां इस टीम को जानकारी मिलेगी वहां के चापाकल तत्काल ठीक किये जाएंगे.
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