धर्म की सत्ता या सत्ता का धर्म जरूरी है?
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इस दुनिया में जीने खातिर कर्म जरूरी है।
मुझसे कहीं गलत न हो कुछ शर्म जरूरी है।।
मिल जुलकर आपस में जीना, सभी धर्म कहते हैं।
मगर धर्म के वहशीपन में क्या कुछ हम सहते हैं??
धर्म की सत्ता या सत्ता का धर्म जरूरी है?
मुझसे कहीं गलत न —–
जीने का हक सबको होता, अपने अपने ढंग से।
तुम आतुर क्यों रंगने सबको, अपने मजहब रंग से??
मानवता बच पाए दिल में मर्म जरूरी है।
मुझसे कहीं गलत न —–
सदियों से ही धर्म नाम पर, अनगिन लोग मरे हैं।
उसी धर्म के पागलपन में, फिर क्यों जुल्म करे हैं??
हाल देखकर सुमन का होना गर्म जरूरी है।
मुझसे कहीं गलत न —–
श्यामल सुमन
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