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चिकित्सा के लिए विदेशी संगीत की तुलना में भारतीय संगीत अधिक प्रभावी – महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा किए शोध का निष्कर्ष

चिकित्सा के लिए विदेशी संगीत की तुलना में भारतीय संगीत अधिक प्रभावी – महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा किए शोध का निष्कर्ष

नागपुर – संगीत मानवजाति को परमेश्वर से मिली एक अनमोल देन है संगीत के माध्यम से मनुष्य तनावमुक्त हो सकता है ईश्वर से एकरूपता अनुभव कर सकता है मात्र वर्तमान में संगीत को अशांति एवं पतन का माध्यम बनाया जा रहा है, ऐसी चिंता जग भर के समाज शास्त्रज्ञ निरंतर व्यक्त कर रहे हैं शोधन में पाया गया है कि भारतीय शास्त्रीय संगीत विदेशी संगीत की तुलना में विविध प्रकार की व्याधि कम करने के साथ ही आध्यात्मिक स्तर पर भी प्रभावी है ऐसा प्रतिपादन महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की संगीत विशारद कु. तेजल पात्री कर ने किया वे रामटेक (नागपुर) के ‘कवि कुल गुरु कालीदास संस्कृत विद्यापीठ’ द्वारा आयोजित ‘इंडियन नॉलेज सिस्टीम – फ्यूचर डाइमेंशन’ इस अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक परिषद में ऑनलाईन बोल रही थी उन्होंने इस परिषद में ‘संगीत चिकित्सा में भारतीय संगीत का महत्त्व इस विषय पर शोध निबंध प्रस्तुत किया इस शोध निबंध के मार्गदर्शक, महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी और कु. तेजल पात्रीकर लेखिका हैं

संगीत विशारद कु. तेजल पात्रीकर ने आगे कहा कि महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की ओर से उच्च रक्तदाब के विकार से ग्रस्त व्यक्तियों पर भारतीय शास्त्रीय संगीत, देवताओं का नामजप, बीजमंत्र, ॐकार, इसके साथ ही विदेश के ‘मार्काेनी यूनियन’के ‘वेटलेस’ नामक संगीत का क्या परिणाम होता है, इसका अध्ययन किया गया । ‘मार्काेनी यूनियन’ यह तनाव को हल्का करने और ‘वेटलेस’ रक्तदाब कम होने के लिए जगप्रसिद्ध है इस शोधनात्मक परीक्षण के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की देखरेख में उच्च रक्त दाब वाले कुछ रोगियों को चुना गया । शोधन के लिए ‘यूनिवर्सल ऑरा स्कैनर’ (यू.ए.एस्.) का उपयोग भी किया गया
इस प्रयोग में भारतीय संगीत का ‘राग गोरख कल्याण’ सुनने के पश्चात अगले दिन सवेरे सभी का रक्त दाब नापा गया उस समय 5 में से 4 लोगों का रक्तदाब संगीत सुनने के पहले के उनके रक्तदाब की तुलना में घट गया था । एक का रक्तदाब सामान्य था बढा हुआ रक्तदाब कम हुआ और वह 72 घंटे औषधोपचार नहीं करते हुए भी वह टिका रहा यह विशेष है संगीत सुनने के पश्चात व्यक्ति की नकारात्मक ऊर्जा लगभग 60 प्रतिशत घट गई और उसकी सकारात्मक ऊर्जा में लगभग 155 प्रतिशत बढोतरी हुई । ऐसा ही परिणाम देवताओं के नामजप, बीजमंत्र और ॐकार सुनने के उपरांत सुनने वाले रोगियों पर भी हुआ ।
इस शोध में ब्रिटिश बैंड ‘मार्कोनी यूनियन’के ‘वेटलेस’ रिलैक्स म्युजिक भी सुनाई गई इस प्रयोग के उपरांत भी दोनों का रक्तदाब कम हो गया परंतु दोनों की नाडी बढ गई यू.ए.एस यंत्र द्वारा किए परीक्षण में उनकी नकारात्मकता में लगभग 53 प्रतिशत वृद्धि हो गई, तो एक का सकारात्मक प्रभामंडल 53 प्रतिशत घट गया और दूसरे का सकारात्मक प्रभामंडल पूर्ण रूप से कम हो गया । इससे ध्यान में आया कि भारतीय संगीत और नाद चिकित्सा से व्याधि कम होती ही है । इसके साथ ही व्यक्ति का सकारात्मक प्रभामंडल भी बढता है । जबकि विदेशी संगीत से यद्यपि बीमारी घट भी जाए, तब भी सकारात्मकता कम होकर नकारात्मकता में वृद्धि होती है । भारतीय संगीत अथवा नाद में मूलत: सकारात्मक ऊर्जा (चैतन्य) है । इसका परिणाम दूरगामी टिकने वाला होता है । भाारतीय संगीत के कारण रोगियों को सकारात्मक ऊर्जा भारी मात्रा में मिलती है और उनकी रोग प्रतिकारक क्षमता भी बढती है । साथ ही कोई ‘साईड इफेक्ट’ भी नहीं होता है

आशिष सावंत-संशोधन विभाग महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय