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भारतीय जनतंत्र मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष धर्मेंद्र तिवारी ने आज झारखंड सरकार के शिक्षा मंत्री  जगरनाथ महतो से मुलाकात कर मांग पत्र सौंपा राज्य सरकार को भोजपुरी, मगही, अंगिका, मैथिली को झारखंड में होने वाले परीक्षाओं में शामिल करने का आग्रह  किया है

रांची: भारतीय जनतंत्र मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष धर्मेंद्र तिवारी ने आज झारखंड सरकार के शिक्षा मंत्री  जगरनाथ महतो से मुलाकात कर मांग पत्र सौंपा राज्य सरकार को भोजपुरी, मगही, अंगिका, मैथिली को झारखंड में होने वाले परीक्षाओं में शामिल करने का आग्रह  किया है। शिक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया हम इस विषय पर सरकार से बात करेंगे और आपके बातों को पहुंचाएंगे।

श्री तिवारी ने बताया कि पांच अगस्त को राज्य कैबिनेट ने राज्य.स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षा(जेपीएससी, एसएससी) आदि में 30 अंक की परीक्षा स्थानीय भाषा में देना अनिवार्य किया है। इसके तहत कल बारह स्थानीय भाषा को जोड़ा है जिसके तहत उर्दू, संथाली, बंगला, मुंडारी, हो, खड़िया, कुड़ुख, कुरमाली, खोरठा, नागपुरी, पंचपरगनिया, उड़िया शामिल है। यानी झारखंड प्रतियोगिता परीक्षा में इन बारह भाषाओं में से किसी एक भाषा में तीस नंबर की परीक्षा देना अनिवार्य होगा।
धर्मेंद्र तिवारी ने कहा कि झारखंड की एक बड़ी जनसंख्या मगही, भोजपुरी, मैथिली और आंगिका बोलती है. जिसे राज्य सरकार ने अनिवार्य नहीं किया।
राज्य सरकार का यह निर्णय मगही,भोजपुरी, मैथिली और अंगिका भाषियों के खिलाफ है। यह नहीं चलेगा, सरकार की मानसिकता सही नहीं है अबिलंब भूल को सुधार कर लागू करें।
ज्ञात हो कि झारखंड भाषाई दृष्टिकोण से विविध भाषा भाषी प्रदेश है। राज्य की सामाजिक और सांस्कृतिक बहुलता की अभिव्यक्ति विभिन्न भाषाओं द्वारा होती है
मगही भोजपुरी मैथिली और अंगिका भाषाओं से जुड़ी जन भावनाओं को देखते हुए सरकार को विचार करना होगा । अब 12 नहीं 16 भाषाएं को द्वितीय राजभाषा का दर्जा मिला बिहार राजभाषा (झारखंड संशोधन) अध्यादेश 2018 के माध्यम से 12 के अलावे 4 राज्य भाषाओं को द्वितीय राजभाषा का दर्जा मिला था। तभी यह 12 से 16 हुई। वैसे भारतीय संविधान अनुच्छेद 346 और अनुच्छेद 347 के उपबंधो के अधीन रहते हुए किसी राज्य का विधान मंडल विधि द्वारा इस राज्य में प्रयोग होने वाली भाषाओं में से किसी एक या अधिक भाषाओं को या हिंदी को उस राज्य के सभी या किन्हीं शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषाएं भाषाओं के प्रारूप में अंगीकार कर सकेगा। संथाली  भाषा दुमका, जामताड़ा, देवघर ,गोड्डा, साहिबगंज, पाकुड़ में अधिक बोली जाती है मैथिली~ जमशेदपुर दुमका, देवघर, गोड्डा, साहिबगंज, रांची बोकारो, धनबाद में सबसे ज्यादा बोली जाती हैं आज भोजपुरी ~ सभी जगहों पर
मगही  लातेहार, पलामू, गढ़वा, चतरा, कोडरमा हजारीबाग   जिलों में बोली जाती है

धर्मेंद्र तिवारी ने कहा कि भारतीय जनतंत्र मोर्चा इन भाषाओं को भी प्रतियोगिता परीक्षा में शामिल कराने के लिय लोकतांत्रिक संवैधानिक तरीकों से राज्य सरकार पर दबाव बनायेगी। तथा झारखंड में लगभग पचास लाख लोगों की मातृभाषा के साथ अन्याय नहीं होने देगी। भारतीय जनतंत्र मोर्चा की बैठक में केंद्रीय नेतृत्व के द्वारा इस विषय के.संबंध में जल्द ही एक रुप रेखा तय की जायेगी।

2000 की जनगणना के अनुसार भी बात करें तो
1) मुंडारी भाषा 6 लाख 67 हजार लोग,
2,)कुरमाली 1 लाख 82 हजार, 3) खड़िया 1 लाख 10 हजार,
4) संथाली 20 लाख 75 हजार ,
5) हो 6 लाख 50 हजार ,
6) कुड़ुख 6 लाख 50 हजार ,
इसी तरह से उड़ीया और बंगला भाषा बोलने वालों की जनसंख्या भी करीब 5 से 6 लाख है। वहीं हम देखते हैं कि झारखंड में
7) मगही, 18 लाख 34 हजार,
8) भोजपुरी, 6लाख 67 हजार
9) मैथिली 8 लाख लोग इस भाषा को बोलते और समझते हैं।
धर्मेंद्र तिवारी ने कहा की आंकड़ों के अनुसार भी इन भाषाओं के बोलने वालों की संख्या बाकी कई भाषा बोलने वालों से अधिक है फिर भी राज्य सरकार इनको अनदेखी कर रही है।

श्री तिवारी ने कहा कि राज्य सरकार के मंत्रीगण कैबिनेट में यह मामला आया तो वहां विरोध नहीं किया और अब समर्थन की बात कर रहे है। श्री तिवारी ने अपील की कि यथाशीघ्र सरकार अपने निर्णयों पर विचार करते हुए मगही, भोजपुरी, मैथिली और अंगिका भाषा को शामिल करे अन्यथा भारतीय जनतंत्र मोर्चा इन भाषाओं को शामिल कराने के लिए सरकार पर लोकतांत्रिक, वैधानिक तरीकों से दबाव बनायेगी।
उन्होंने कहा कि जल्द ही भारतीय जनतंत्र मोर्चा का एक प्रतिनिधि मंडल महामहिम राज्यपाल और  मुख्यमंत्री से भी मिलकर अपना विरोध दर्ज करायेगी। और मगही, भोजपुरी, मैथिली तथा अंगिका भाषा को भी इन प्रतियोगिता परीक्षा में शामिल करने का आग्रह करेगी। अपना विरोध सरकार के शिक्षा मंत्री  जगन्नाथ महतो  को पत्र देकर विस्तृत रूप से मिलकर बता दिया है। सरकार की यह नीति नहीं चलेगी। युवाओं के भविष्य से खिलवाड़  नहीं करें, और समाज को नहीं बांटे  सावधान वोट बैंक की राजनीति नहीं    करें। प्रतिनिधिमंडल  ने    अध्यक्ष धर्मेंद्र तिवारी  के साथ  मुकेश पांडे उपाध्यक्ष, आशीष शीतल मुंडा महामंत्री, संचालक मंडल के सदस्य  सुशील कुमार,  अनुरंजिता सिंह,  नवेंदु तिवारी,  आलोक कुमार सिंह,  उपेंद्र यादव और  श्याम बिहारी नायक  शामिल   थे