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बाल मजदूरी का दंश, जमशेदपुर में आज भी हजारों बच्चे कर रहे हैं काम

लौहनगरी जमशेदपुर से बाल मजदूरी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. हजारों बच्चे आज भी बाल मजदूरी का दंश झेल रहे हैं. 2017 और 2018 के आंकड़ों के मुताबिक तकरीबन ग्यारह हजार बच्चे पूर्वी सिंहभूम में बाल मजदूरी के शिकार हुए हैं.

जमशेदपुरः पूर्वी सिंहभूम की सड़कों, दुकानों, गैरेज, सड़कों पर रोजमर्रा का सामान बेचते दिख जाते हैं. ये सभी बच्चे बाल मजदूरी के शिकार हैं. इनमें से कई बच्चों के ऊपर जबरन काम थोपा जाता है तो कई बच्चों को दो वक्त की रोटी के नाम पर बाल मजदूरी की ओर ढकेला जाता है. एक ओर बच्चे गली, मोहल्लों में सामान बेचने को मजबूर हो रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर कई बच्चे दो वक्त की रोटी की तलाश में भटक रहे हैं. इनमें से कई बच्चों के हाथ में जिस उम्र में स्कूल बैग और पुस्तक होनी चाहिए थी, वहीं ऐसे कई बच्चे अपनी जीविका चलाने के लिए मजदूरी का काम कर रहे हैं.
जमशेदपुर में बाल मजदूर से जुड़े संस्था के निदेशक बताते हैं. जमशेदपुर में तकरीबन ग्यारह से बारह हजार बच्चे बाल मजदूरी के शिकार हैं. कई कानून सरकार की ओर से बनाए तो जाते हैं, लेकिन वह सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह जाते हैं. बाल मजदूरी से जुड़े सभी दस्तावेज राज्य सरकार और केंद्र सरकार को दी गई थी, वर्ष 2020 तक भी इसपर कोई कार्यवाही नहीं की गई.
वैसे तो राज्य सरकार और केंद्र सरकार की ओर से बाल मजदूरी के शिकार हो रहे बच्चों के लिए कई कानून बने. इनका इस्तेमाल कमोबेश ही किया जा रहा है. राज्य सरकार ने बाल मजदूरी रोकने के लिए कारखाना अधिनियम बनाया.
कारखाना अधिनियम – 14 साल तक की उम्र वाले बच्चों को कारखाने में काम करने से मनाही करना
14 साल से कम उम्र के बच्चों को जान जोखिम में डाल कर किसी भी व्यवसाय में हांथ बंटाने पर पाबंदी
किसी भी संस्थान में 8 से 14 साल तक के बच्चों से काम कराया जाना बाल अधिकार के तहत दंडनीय है
बच्चों के जीवन के लिए कानून – शिक्षा का अधिकार अधिनियम
अन्य अपराधों से बच्चों की देखभाल करना
कितने बच्चों को स्कूल से जोड़ा गया, बाल मजदूरी के शिकार बच्चों के लिए केंद्र सरकार की ओर से बच्चों को निशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराई जानी थी. लेकिन जमशेदपुर में कितने बच्चों को जोड़ा गया इसकी जानकारी श्रम उपाधीक्षक के पास नहीं है.
कानून के होते हुए भी अधिकारियों का आलम जब ऐसा है तो आखिर कैसे उम्मीद की जा सकती है कि बाल मजदूरी जैसी सामाजिक बुराई आखिर कैसे दूर कर किया जाएगा.