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अलंकार धारण करने का व्यक्ति पर परिणाम’ विषय पर फ्रान्स में शोधनिबंध प्रस्तुत

अलंकार धारण करने का व्यक्ति पर परिणाम’ विषय पर फ्रान्स में शोधनिबंध प्रस्तुत

धातु और सात्त्विक आकार के अलंकार स्त्री के लिए आध्यात्मिक दृष्टि से लाभदायक महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा किए शोध का निष्कर्ष आध्यात्मिक दृष्टि से सकारात्मक आकार के अलंकार सकारात्मक (सात्त्विक) स्पंदन आकर्षित कर सकते हैं और स्त्री को उसकी आध्यात्मिक प्रगति में सहायता कर सकते हैं, तो आध्यात्मिक दृष्टि से नकारात्मक आकार के अलंकार नकारात्मक (रज-तमात्मक) स्पंदन आकर्षित करते हैं और स्त्रियों के प्रभामंडल पर उसका नकारात्मक परिणाम हो सकता है । अलंकार धारण करने वाला व्यक्ति, अलंकार बनाने वाले कारीगर की आध्यात्मिक स्थिति अलंकार बनाने के लिए उपयोग किए धातु और अलंकारों के आकार इन घटकों पर अलंकारों की सकारात्मक अथवा नकारात्मक स्पंदन आकर्षित करने की क्षमता निर्भर है । ऐसा प्रतिपादन महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की ओर से कु. मिल्की अग्रवाल ने किया वह महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा प्रस्तुत किए गए शोध का निष्कर्ष बता रही थी । वह ‘आयकॉन एलएलसी’ ग्रुप द्वारा फ्रान्स में प्रत्यक्ष और ऑनलाईन पद्धति से आयोजित किया ‘फैशन, ब्युटी और कॉस्मेटोलॉजी एक्स्पो (एफबीसी 2022)’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय परिषद में बोल रही थी । ‘अलंकारों का हमारे प्रभामंडल पर कैसे परिणाम होता है’ विषय पर शोधनिबंध उन्होंने इस परिषद में प्रस्तुत किया । महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले इस शोध निबंध के लेखक हैं तथा शॉन क्लार्क सहलेखक हैं
कु. मिल्की अग्रवाल ने आगे कहा कि ‘सोना’ यह आध्यात्मिक दृष्टि से सबसे अधिक मूल्यवान धातु है; परंतु उसका आध्यात्मिक मूल्य आध्यात्मिक दृष्टि से नकारात्मक आकार के कारण सहज अल्प हो सकता है यदि अलंकार बनाने वाले कारीगर और अलंकार पहनने वाले व्यक्ति में नकारात्मक ऊर्जा है तो उनका अलंकारों पर विपरीत परिणाम हो सकता है । आज अलंकारों की ओर केवल मानसिक स्तर पर देखा जाता है और इस कारण आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अलंकारों का खरा उद्देश्य साध्य नहीं होता । महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय ने ‘यूनिवर्सल ऑरा स्कॅनर’ (यू.ए.एस.), ‘पॉलिकॉन्ट्रास्ट इन्टरफेरन्स फोटोग्राफी’ (पीआइपी) का उपयोग कर सिद्ध किया शोध कु. मिल्की अग्रवाल ने इस परिषद में प्रस्तुत किया । इस शोध में तीन प्रकार के अलंकारों की सूक्ष्म ऊर्जा और उन्हें धारण करने वाली स्त्री के प्रभा मंडल पर होने वाले परिणाम का परीक्षण किया गया । इसका पहला अलंकार ‘फॅशन ज्वेलरी’ श्रेणी का था, दूसरा अलंकार 22 कॅरेट सोने का आध्यात्मिक दृष्टि से अयोग्य आकार का और तीसरा अलंकार 22 कॅरेट सोने का आध्यात्मिक दृष्टि से योग्य आकार का था इस परीक्षण से यह ध्यान में आया कि पहले और दूसरे हार से प्रमुख रूप से रज-तम के स्पंदन प्रक्षेपित हुए और उनका स्त्री के प्रभामंडल पर नकारात्मक परिणाम हुआ तथा तीसरे हार से सात्त्विक स्पंदन प्रक्षेपित हुए और स्त्री के प्रभामंडल पर उसका सकारात्मक परिणाम हुआ । कु. मिल्की अगरवाल ने बताया कि यदि अलंकारों की मूलभूत आध्यात्मिक संकल्पना कारीगर और ग्राहक ने अपनायी तो अलंकारों का खरा मूल्य बढेगा और वह स्त्री की आध्यात्मिक प्रगति के लिए लाभदायक हो

आशिष सावंत शोधकार्य विभाग महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय.