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अब मशीनों में होगी इंसानी सूझबूझ, कम होगा संक्रमण का खतरा

कहते हैं आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है. देश के प्रौद्योगिकी संस्थान इसके बेहतर उदाहरण हो सकते हैं, जहां इंसानी जरूरतों के अनुसार मशीनें बनाई जाती हैं. नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी जमशेदपुर में इन दिनों कुछ ऐसी रिसर्च की जा रही है, जिसके सफल होने पर इलाज के तरीकों में बड़ा बदलाव आ सकता है.

सरायकेला: आज पूरी दुनिया वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण की चपेट में है. इस दौर में शिक्षा, रोजगार सहित सभी क्षेत्रों पर कोरोना संक्रमण का छाया है. एक दूसरे के संपर्क में आकर लोग लगातार संक्रमित हो रहे हैं. ऐसे में अब मानव संक्रमण रोकने के लिए एडवांस टेक्नोलॉजी और मशीनों का सहारा लेगा. इसे लेकर मशीनों को विकसित किए जाने की योजना बनाई जा रही है.
अब इंसानी सूझबूझ वाले एडवांस मशीनों की रूपरेखा और परिकल्पना तैयार की जा रही है. विभिन्न क्षेत्रों में इसे लेकर शोध और खोज लगातार जारी है. आने वाले समय में लोगों के विकल्प के तौर पर मशीन और रोबोट का इस्तेमाल होगा, जो इंसान के काम को कर सके और संक्रमण के इस समय में इंसानी गतिविधियों को भी सीमित कर सकें. अब सबसे महत्वपूर्ण यह है कि मशीनों में इंसान के दिमाग की तरह सोच पैदा हो, इसे लेकर वैज्ञानिक और रिसर्चर नए तरीके इजाद कर रहे हैं.
सरायकेला के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में कोरोना संक्रमण काल के शुरुआती दौर से ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रोबोट और एडवांस मशीनरी पर लगातार रिसर्च किया जा रहा है. आभासी प्रणाली में मानव जीवन को प्रभावित करने वाले यंत्र संचालन और टेक्नोलॉजी के दूरगामी परिणाम बेहतर हो, इसे लेकर शोधकर्ता दिन-रात शोध में लगे हैं. संक्रमण के इस दौर के बाद अब मशीन और रोबोट्स को अधिक से अधिक विकसित किया जाएगा, ताकि संक्रमित व्यक्ति के इलाज में मशीन और रोबोट का ही अधिक से अधिक प्रयोग हो, निश्चित तौर पर ऐसे में इंसानी संक्रमण दर को रोका जा सकेगा.
शोधकर्ता बताते हैं कि अब वह दिन दूर नहीं जब भविष्य में मनुष्य की हृदय गति मापने के लिए नई तकनीकी से जांच होगी. शरीर के सभी अंगों को अलग-अलग तरीके से बिना छुए ही मशीनों के माध्यम से मॉनिटरिंग किया जा सकेगा और बीमारी से पहले ही इलाज संभव हो सकेगा. वर्षो पहले रोबोट्स और मशीन को इंसानों के लिए खतरा माना जाता था. ऐसा अनुमान लगाया जाता था कि पांच व्यक्ति मिलकर जिस काम को करते हैं उसे अकेला एक मशीन या रोबोट कर पाएगा. ऐसे में सभी क्षेत्रों में इंसानों की जरूरत कम पड़ेगी और लोगों को रोजगार कहां से मिलेगा, लेकिन कोरोना के इस संक्रमण के दौर के बाद लोगों की सोच अब बदल रही है. लोग मान रहे हैं कि इंसानी काम अधिक से अधिक रोबोट्स या मशीन के जरिए हो.
नवाचार और उद्यमिता को लेकर नई तकनीकों का शिक्षा के क्षेत्र में प्रयोग किए जाने में स्कूल और कॉलेजों में अटल नवाचार मिशन के तहत स्कूलों में चल रहा अटल टिंकरिंग लैब भी काफी मददगार और प्रेरक साबित हो रहा है. स्कूल और कॉलेजों में अटल टिंकरिंग लैब से नई तकनीक के संबंध में छात्रों को जानकारियां प्रदान की जा रही है, ताकि छात्र अधिक से अधिक आविष्कार और नवाचार विकसित करें. वर्षों पहले इंसान ने मशीन और रोबोट को जब बनाया होगा, तब परीकल्पना भी नहीं की होगी कि ये इंसानों के जीवन को भी सुरक्षित कर सकेगा. ऐसे में आने वाले दिनों में इन क्षेत्रों को और अधिक विकसित करना मनुष्य की प्राथमिकताओं में शुमार होगा.
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, जमशेदपुर पहले भी कई अविष्कार कर चुका है. इसमें इंटेलिजेंट प्रोस्थेटिक लिम्ब आविष्कार हादसों में हाथ-पैर गंवाने वालों के लिए वरदान है. इसके जरिए अंग विहीन इंसान भी सामान्य हाथ-पैर वाले लोगों की तरह सभी काम कर सकते हैं. पूर्व में छात्रों की ओर से बनाए गए ड्रोन की तारीफ कैलिफोर्निया में आयोजित एरो डिजाइन स्पेस प्रतियोगिता में हुई थी. पंजाब में आयोजित राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में छात्रों के सौर ऊर्जा संचालित कार मॉडल की काफी सराहना हुई थी. हाल में छात्रों के बनाए गए मोबाइल एप का प्रयोग जिला प्रशासन ने किया था. इसके जरिए क्वॉरेंटाइन में रह रहे लोगों की ऑनलाइन
मॉनिटरिंग हो सकती है.