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आरपीएन सिंह को मिला बेहतर काम का इनाम, लगातार दूसरी बार बने झारखंड कांग्रेस के प्रभारी

झारखंड कांग्रेस के प्रभारी के लिए कांग्रेस नेतृत्व ने आरपीएन सिंह पर फिर से भरोसा जताया है. जुलाई 2017 में आरपीएन सिंह झारखंड कांग्रेस के प्रभारी बनाए गए थे. उस वक्त पार्टी कमजोर स्थिति में थी. प्रभारी आरपीएन सिंह की सबसे बड़ी उपलब्धि कांग्रेस को सत्ता तक पहुंचाने में रही.

रांची: कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने झारखंड कांग्रेस के प्रभारी के तौर पर आरपीएन सिंह को दोबारा जिम्मेवारी सौंपी है. यह पहला मौका है जब किसी प्रदेश प्रभारी को दूसरा कार्यकाल मिला हो. इसके पीछे की वजह बताई जा रही है कि आरपीएन सिंह ने अपने कार्यकाल में हाशिए पर पहुंची कांग्रेस को मजबूत करते हुए सत्ता तक पहुंचाया है.
झारखंड कांग्रेस के प्रभारी के लिए कांग्रेस नेतृत्व ने आरपीएन सिंह पर फिर से भरोसा जताया है. जुलाई 2017 में आरपीएन सिंह झारखंड कांग्रेस के प्रभारी बनाए गए थे. उस वक्त पार्टी की कमजोर स्थिति किसी से छुपी हुई नहीं है. प्रदेश प्रभारी के तौर पर वह तीन प्रदेश अध्यक्ष के साथ काम कर चुके हैं. इनके प्रभारी काल में कांग्रेस ने राज्यसभा चुनाव, नगर निकायों के चुनाव के साथ लोकसभा चुनाव में भी अच्छा प्रदर्शन किया और प्रभारी आरपीएन सिंह की सबसे बड़ी उपलब्धि कांग्रेस को सत्ता तक पहुंचाने में रही.
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता लाल किशोरनाथ शाहदेव की माने तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी चाहते थे कि आरपीएन सिंह झारखंड के प्रभारी बने रहे. क्योंकि उनके कुशल नेतृत्व के चलते ही विधानसभा चुनाव 2019 में ज्यादा सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की और अब सत्ता में शामिल है. झारखंड कांग्रेस की राजनीति में कभी किसी प्रदेश प्रभारी को दूसरा कार्यकाल नहीं मिला था. इससे पहले 2004 के दौरान आरपीएन सिंह कांग्रेस के सह प्रभारी की भूमिका निभा चुके हैं. प्रदेश कांग्रेस को उम्मीद है कि उनका यह कार्यकाल उपलब्धि भरा होगा.
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आलोक कुमार दुबे ने कहा कि आरपीएन सिंह के प्रभारी रहने का फायदा कांग्रेस को बिहार चुनाव में भी मिलेगा. क्योंकि झारखंड में जिस तरह से सरकार में कांग्रेस पार्टी शामिल है. वह बिहार के लिए भी प्रेरणा का काम करेगी. हालांकि, आरपीएन सिंह के प्रदेश प्रभारी के दूसरे कार्यकाल में कई चुनौतियां भी हैं. उन्हें कार्यकर्ताओं को बोर्ड निगम में एडजस्ट करने, सरकार संगठन में तालमेल के साथ जनता से किए वादों को पूरा करना है. इसके साथ ही झारखंड कांग्रेस के विस्तार की भी जिम्मेवारी उनके कंधों पर होगी.