झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

आँखों के बदलाव समझ

आँखों के बदलाव समझ
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भाषा समझो या न समझो, पर कहने के भाव समझ
इस कारण से आपस में भी, नूतन बढ़े जुड़ाव समझ

होते भाव, अभाव जहाँ भी, प्यार शिथिल होने लगता
भाव-नदी में जितना उतरे, उतना प्रेम-प्रभाव समझ

बहुत कठिन है हर एक बात को, कह पाएं हम होंठों से
कहतीं रहतीं बिन बोले जो, आँखों के बदलाव समझ

आस पास अपने सब देखो, कितने निन्दक भरे पड़े
असल मीत जो निन्दा करके, देते नित्य सुझाव समझ

इक दूजे को जितना समझें, सुमन प्यार उतना बढ़ता
प्रेम भाव बिन इस दुनिया से, अपना तू अलगाव समझ

श्यामल सुमन