बचने खातिर तर्क बहुत है
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अपना अपना फर्ज बहुत है
बचने खातिर तर्क बहुत है
तुम इस रस्ते, हम उस रस्ते
हम में, तुम में फर्क बहुत है
बता कौन जो खुद से माने
वो खुद में खुदगर्ज बहुत है
जो सच्चा इन्सान उसीपर
कर्तव्यों का कर्ज बहुत है
भागो मत कर्तव्य छोड़ के
मानवता का हर्ज बहुत है
करें नेक जो नाम उसीका
इतिहासों में दर्ज बहुत है
तिल तिल नूतन होकर जीना
किया सुमन ये अर्ज बहुत है
श्यामल सुमन
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