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युगान्तर भारती तथा नेचर फाउंडेशन के सयुंक्त तत्वावधान में विश्व जल दिवस के अवसर पर पुराना विधानसभा सभागार में जल और स्वच्छता संकट हल करने हेतु त्वरित परिवर्तन विषय पर एकदिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया

युगान्तर भारती तथा नेचर फाउंडेशन के सयुंक्त तत्वावधान में विश्व जल दिवस के अवसर पर पुराना विधानसभा सभागार में जल और स्वच्छता संकट हल करने हेतु त्वरित परिवर्तन विषय पर एकदिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित एवं झारखंड विधानसभा के सदस्य, डॉ. लंबोदर महतो ने “सेव वाटर सेव लाइफ” का मूलमंत्र देते हुए कहा कि जल दिवस का आयोजन पूरे विश्व मे पिछले 30 वर्षों से हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने पूरी दुनिया को चेताया है कि 2040 तक हर चार बच्चा में से एक बच्चा प्यासा रहेगा। 2017 में यूनिसेफ के रिपोर्ट के अनुसार दो दसक के भीतर दुनिया मे 6 मिलियन बच्चें ऐसे इलाकों में होंगे, जहां पानी की अत्यधिक कमी होगी। यह हमारे लिए खतरे की घंटी है।
संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि एवं भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ पदाधिकारी और राजस्व पर्षद के सदस्य, अमरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि किसी भी चीज़ का अत्यधिक दोहन के कारण असंतुलन की स्थिति पैदा हो जाती है। और यही काम हमने प्राकृतिक संसाधनओं को दोहन कर ग्लोबल वार्मिंग, अतिवर्षा, अल्पवर्षा, सूखा जैसे त्रासदी को आमंत्रित कर रहे है। लोगों को जल और स्वच्छता संबंधी समस्या से निपटने के लिए एक साथ आगे आना होगा, उन्हें जागरूक होना। यह एक सामाजिक ज़िम्मेवारी है, और इस महत्वपूर्ण ज़िम्मे का निर्वहन हमें साथ मिलकर ही करना होगा। राजस्थान जो कि मरुस्थलीय क्षेत्र है, पर वहाँ एक भी किसान आत्महत्या नहीं करते, क्योंकि वहाँ के लोग जल की महत्ता को समझते है और जल प्रबंधन में सामूहिक भूमिका निभाते है।
इस अवसर पर युगान्तर भारती के कार्यकारी अध्यक्ष, अंशुल शरण ने कहा कि वर्तमान में विश्व के करीब 200 करोड़ लोग को पीने का स्वछ पानी उपलब्ध नहीं है। भारत मे करीब 6 प्रतिशत आबादी स्वछ जल से दूर है और 54 प्रतिशत आबादी शौच व्यवस्था की भीषण समस्या से जूझ रही है। पानी बचाने के लिए हमे अपनी आदतों और व्यवहार में परिवर्तन लाने की आवश्यकता है। हमें पानी का उपयोग विवेकपूर्ण ढंग से करना होगा। हमें अपने घरों के अलावा आसपास के क्षेत्रों को भी साफ रखने में अपनी प्रत्यक्ष भूमिका निभानी होगी, तभी हम जल और स्वक्षता संबंधी समस्याओं को भारत और झारखंड से दूर कर सकेंगे।
संगोष्ठी के दौरान आपसी परिचर्चा भी हुई, जिसमें अतिथियों ने भूगर्भीय जल एवं जलाशयों के संरक्षण आदि पर अनेक सवाल पूछे, जिसका उत्तर जल विशेषज्ञओं ने देकर उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया। साथ ही जल प्रबंधन एवं संरक्षण के अनेक गुर बताए।
विषय प्रवेश डॉ. एम.के. जमुआर ने, स्वागत भाषण, आशीष शीतल, मंच संचालन, युगान्तर भारती के कार्यकारी अध्यक्ष, अंशुल शरण ने किया। संगोष्ठी में डॉ. आर.पी. शाही, डॉ. ज्योति प्रकाश, धर्मेन्द्र तिवारी, निरंजन सिंह, मनोज सिंह, तपेश्वर केशरी, शिवानी लता, अविनाश कुमार, अशोक ठाकुर, पवन कुमार, ब्रजेश शर्मा, सिविल सोसायटी के प्रबुद्ध जन, पर्यावरणविद, विश्वविद्यालयों के छात्र आदि उपस्थित थे।