झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

वो न मेरा है, न तुम्हारा है

वो न मेरा है, न तुम्हारा है
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देश अपना सभी को प्यारा है
कुछ को क्यों ये वहम हमारा है

बादशाहत जहाँ की बहरी तो
सच में काबिल वहाँ किनारा है

भूख किसकी मिटी है मजहब से
फिर भला मजहबी क्यूँ नारा है

बो रहे बीज जो भी नफरत के
वो न मेरा है, न तुम्हारा है

कल की पीढ़ी बढ़े अगर चाहत
प्यार आपस का इक सहारा है

वो फरिश्ते भी तब मदद करते
जो भी खुद को यहाँ संवारा है

सच से यारी सुमन सदा तेरी
आईना फिर नया उतारा है

श्यामल सुमन