झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

विधायक डॉ शशिभूषण मेहता ने कहा- पत्थरबाजी में बाहरी ताकतों का हाथ, घटना की हो सीबीआई जांच

विधायक डॉ शशिभूषण मेहता ने कहा- पत्थरबाजी में बाहरी ताकतों का हाथ, घटना की हो सीबीआई जांच
पलामू के पांकी हिंसा की घटना की सीबीआई जांच होनी चाहिए. इस घटना के पीछे बड़ी साजिश है. यह कहना है पांकी विधायक शशिभूषण मेहता का.
पलामूः पांकी हिंसा घटना को लेकर स्थानीय विधायक डॉ शशिभूषण मेहता ने बड़ी बात कही है. डॉ. शशि भूषण मेहता ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा है कि पांकी हिंसा में हुई पत्थरबाजी की घटना में बाहरी ताकतों का हाथ है. इसमें विदेशी ताकत भी शामिल है. विधायक ने कहा कि इस मामले में गहरी जांच की जरूरत है और दोषियों का संबंध विदेशी ताकतों से है.
विधायक ने कहा कि पूरे मामले में सीबीआई जांच की जरूरत है. पांकी की घटना में कई स्तर पर साजिश रची गई है. पांकी के स्थानीय विधायक डॉक्टर शशिभूषण मेहता लगातार इलाके में कैंप कर रहे हैं और हालात पर नजर बनाए हुए है. पांकी के हालात को लेकर लगातार वे सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों से कई विषयों पर मांगों को उठा रहे हैं. पांकी विधायक डॉक्टर शशिभूषण मेहता ने कहा कि हिंसा की यह घटना पूरी तरह से साजिश है पूरे मामले में सीबीआई जांच की जरूरत है

उन्होंने कहा कि मामले में यह जानकारी मिली है कि इलाके में पहले बिजली काटी गई है, उसके बाद एक स्थानीय व्यक्ति के ट्रैक्टर से पत्थर को पहुंचाया गया है. प्रशासन को मामले में सख्ती बरतने की जरूरत है और दोषियों पर कार्रवाई के लिए कई स्तर पर कदम उठाए जाने की जरूरत है. विधायक ने कहा कि इस घटना में बाहरी ताकतों का हाथ है. दोषियों के बैंक खातों के भी जांच करने पर कई बड़े खुलासे होंगे. पूरे मामले में विधायक ने निर्दोष लोगों को फंसाने का भी आरोप लगाया है.
विधायक ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि कोविड-19 काल के बाद यह शिव बारात की पहली बार तैयारी थी लेकिन यह सफल नहीं हो पाई है. निश्चित तौर पर यह एक समुदाय के खिलाफ साजिश रची गई है ताकि उनके पर्व और त्यौहार प्रभावित हो सकें डॉ शशि भूषण मेहता ने कहा कि पूरे मामले में धार्मिक स्थल पर पत्थर को पहुंचाने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है. झारखंड के एक विधायक द्वारा पूरे मामले में टिप्पणी किए जाने के विषय पर बोलते हुए डॉ शशि भूषण मेहता ने कहा कि वह अपने क्षेत्र को संभाले वे ठीक रहते तो किसी मामले में नहीं फंसते, दूसरों के क्षेत्र में हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है. तुष्टिकरण की राजनीति हो रही है.