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उपायुक्त ने रोरो माइंस प्रभावित क्षेत्र की मूलभूत व्यवस्था को लेकर बैठक की

चाईबासा उपायुक्त अरवा राजकमल की अध्यक्षता में रोरो मांइस प्रभावित क्षेत्र में रह रहे लोगों के लिए भूमि सुधार सहित अन्य आधारभूत और मूलभूत व्यवस्था उपलब्ध करवाने को लेकर बैठक की गई. इस दौरान उन्होंने कई दिशा-निर्देश दिए.

चाईबासा: पश्चिमी सिंहभूम जिला उपायुक्त अरवा राजकमल की अध्यक्षता में रोरो मांइस प्रभावित क्षेत्र में रह रहे लोगों के लिए भूमि सुधार सहित अन्य आधारभूत और मूलभूत व्यवस्था उपलब्ध करवाने को लेकर बैठक की गई. बैठक में प्रमुख बिंदु के रूप में पीएफ भुगतान, राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड और डंपिंग एरिया में भूमि सुधार सहित राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण से प्राप्त आदेश पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से आधारभूत और मूलभूत संरचना पर चर्चा की गई.
इस बैठक में सारंडा वन प्रमंडल पदाधिकारी रजनीश कुमार, चाईबासा वन प्रमंडल पदाधिकारी सत्यम कुमार, जिला उप विकास आयुक्त संदीप बक्शी, जिला भू-अर्जन पदाधिकारी एजाज अनवर, कोल्हान अधीक्षक गिरिजा नंदन किस्कु, जिला खनन पदाधिकारी संजीव कुमार सहित अन्य संबंधित पदाधिकारी और कार्यपालक अभियंता उपस्थित रहे. बैठक के उपरांत उपायुक्त अरवा राजकमल ने बताया कि रोरो क्षेत्र में जो एस्बेस्टस माइंस का कार्य चला था. उसके कारण वहां प्रदूषण की स्थिति है, जिसे दूर करते हुए पूरे क्षेत्र को विकसित करने के साथ-साथ जिस क्षेत्र में खनन का कार्य किया गया था और जहां एस्बेस्टस को डंप किया गया है
उसे सुधार करने के लिए राष्ट्रीय हरित प्राधिकार के आदेशानुसार क्रियान्वित करने के जिला स्तरीय कमेटी का गठन किया गया है
डीसी ने बताया कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुख्य सचिव से प्राप्त निर्देश के आलोक में बुधवार को बैठक में समीक्षा की गई. उस क्षेत्र में अलग-अलग चरणों में विकास कार्यों को संचालित किया जाएगा. उपायुक्त की ओर से बताया गया कि इस क्षेत्र से 347 आवेदन पीएफ भुगतान से संबंधित प्राप्त हुए हैं. ऐसे सभी व्यक्तियों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से प्रोविडेंट फंड के निदेशक से संपर्क करते हुए आगामी बुधवार को एनजीटी से प्राप्त आदेश के आलोक में एक शिविर का आयोजन किया जाएगा. क्योंकि आवेदक ने जिस प्रारूप में आवेदन दिया है. उसे प्रोविडेंट फंड कार्यालय ने अस्वीकृत करते हुए नया प्रारूप उपलब्ध करवाया है. शिविर के माध्यम से क्षेत्र के 4 गांव में अलग-अलग तिथि को आवेदकों की ओर से नए प्रारूप में पुनः आवेदन प्राप्त किया जाएग उपायुक्त ने बताया कि इसी प्रकार क्षेत्र के व्यक्ति जो एसबेस्टोसिस से संक्रमित हुए हैं. उन सभी के लिए आयुष्मान भारत का कार्ड बनाने का कार्य जिला प्रशासन की ओर से किया जाएगा. वैसे व्यक्ति जिनका नाम राशन कार्ड में दर्ज नहीं है. उनको राशन कार्ड उपलब्ध करवाते हुए आयुष्मान कार्ड उपलब्ध करवाया जाएगा. क्षेत्र को पूर्ण रूप से विकसित करने के लिए या वैसे क्षेत्र जहां, हरियाली बिल्कुल समाप्त हो चुकी है. वहां हरियाली वापस लाने के लिए नेशनल एनवायरमेंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट (NERI) के अभियंताओं से भी संपर्क करते हुए प्राक्कलन तैयार किया गया है और पूरे क्षेत्र के लिए एक डीपीआर तैयार
किया जाएगा. उपर्युक्त बिंदुओं का मूल्यांकन करते हुए प्रदूषण फैलाने वाले संस्था से मुआवजा वसूला जाएगा.
उपायुक्त ने बताया कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकार के माध्यम से संबंधित प्रदूषण फैलाने वाले संस्था के समक्ष क्लेम को रखा जाएगा और उस क्षेत्र में जितना पर्यावरण का नुकसान हुआ है. उस क्षेत्र में पुनः हरियाली वापस लाने में जो संबंधित खर्च आएगा, उसके साथ डीपीआर बनाने के लिए निविदा निकालने से संबंधित बिंदुओं पर भी चर्चा की जाएगी. उस क्षेत्र में विशेषकर पांच कार्य और पेयजल आपूर्ति, पीसीसी सड़क, वायर फेंसिंग, डिस्प्ले बोर्ड स्थापित करने के कार्य को यथाशीघ्र शुरू करने के लिए माइनर इरिगेशन के कार्यपालक अभियंता को निर्देश दिया गया है और यह कार्य आगामी बुधवार से शुरू होगा.