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सतर्क, खरीदारी से पहले बटखारे की जरूर कर लें जांच, कहीं वजन तो कम नहीं

रांची/जमशेदपुर। सामान लेने से पहले बाट (बटखारे) की जांच जरूर कर लें। शहर में ग्राहकों के साथ कुछ भी ठीक नहीं हो रहा है। सब्जी और अन्य सामानों की माप-तौल में दुकानदार एक किलो ग्राम में सौ से डेढ़ सौ ग्राम तक सामान कम दे रहे हैं। माप-तौल विभाग इससे पूरी तरह अनजान बनी हुई है। सब्जी दुकानदार से लेकर मछली और किराना व्यवसायी ग्राहकों को वजन के नाम पर चपत लगा रहे हैं। जबकि मापतौल निरीक्षक को सब्जी विक्रेता या दुकानों के बाट की नियमित जांच करनी चाहिए, लेकिन जांच के नाम पर खानापूर्ति की जाती है। बिना प्रमाणित कराए बाट और तराजू से सब्जी विक्रेता मनमानी कर रहे हैं। अधिकतर सब्जी विक्रेता एक किलो में 100 ग्राम की चोरी कर रहे हैं। लोगों को इतनी फुर्सत नहीं कि उनके तराजू-बटखारा की जांच करें। वजन के नाम पर ग्राहकों से हो रही धोखाधड़ी मामले का पड़ताल करने झारखंड वाणी की टीम जब सब्जी मंडियों मे गई तो टीम पूरी तरह भौंचक रह गई।

रांगा निकालकर वजन कर देते हैं कम

एक किलो या दो किलो के बटखारा के पीछे बने होल में रांगा डाला रहता है, उसे पिघलाकर निकाल दिया जाता है। इससे बटखारा का वजन लगभग 100 ग्राम कम हो जाता है, लोगों को वजन करते समय एक या दो किलो के बटखारा का उपयोग तो करते हैं, लेकिन इसमें वजन कम रहता है। लोगों को यह पता नहीं चलता है।

नहीं होती नियमित जांच, सजा का भी है प्रावधान

शहर के विभिन्न चौक-चौराहों पर सब्जी दुकान लगते हैं। इनके पास प्रमाणित बटखारा नहीं है। गड़बड़ी करते पकड़े जाने पर जुर्माना का प्रावधान है। विभिन्न धाराओं में पांच से 50 हजार रुपए तक जुर्माना करने का प्रावधान है। लेकिन वजन में डंडी मारकर ग्राहकों को लूटने वाले इन लोगों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जिला प्रशासन और मापतौल विभाग इसलिए इस ओर ध्यान नहीं देता है।

कई इलाकों में नहीं हुई बाट-तराजू की जांच

जिले के मापतौल विभाग का अस्तित्व धीरे-धीरे खोता जा रहा है। विभाग की स्थिति का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि जिले में  एक वर्षो और ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले दो वर्षो से बाट-तराजू की जांच नहीं हुई। इस कारण एक ओर जहां दुकानदारों की चांदी कट रही है वहीं दूसरी ओर ग्राहकों की पाकेट काटी जा रही है। अधिकांश फुटपाथी दुकानदार दो तरह के बाट रखते हैं।