रांगा निकालकर वजन कर देते हैं कम
एक किलो या दो किलो के बटखारा के पीछे बने होल में रांगा डाला रहता है, उसे पिघलाकर निकाल दिया जाता है। इससे बटखारा का वजन लगभग 100 ग्राम कम हो जाता है, लोगों को वजन करते समय एक या दो किलो के बटखारा का उपयोग तो करते हैं, लेकिन इसमें वजन कम रहता है। लोगों को यह पता नहीं चलता है।
नहीं होती नियमित जांच, सजा का भी है प्रावधान
शहर के विभिन्न चौक-चौराहों पर सब्जी दुकान लगते हैं। इनके पास प्रमाणित बटखारा नहीं है। गड़बड़ी करते पकड़े जाने पर जुर्माना का प्रावधान है। विभिन्न धाराओं में पांच से 50 हजार रुपए तक जुर्माना करने का प्रावधान है। लेकिन वजन में डंडी मारकर ग्राहकों को लूटने वाले इन लोगों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जिला प्रशासन और मापतौल विभाग इसलिए इस ओर ध्यान नहीं देता है।
कई इलाकों में नहीं हुई बाट-तराजू की जांच
जिले के मापतौल विभाग का अस्तित्व धीरे-धीरे खोता जा रहा है। विभाग की स्थिति का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि जिले में एक वर्षो और ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले दो वर्षो से बाट-तराजू की जांच नहीं हुई। इस कारण एक ओर जहां दुकानदारों की चांदी कट रही है वहीं दूसरी ओर ग्राहकों की पाकेट काटी जा रही है। अधिकांश फुटपाथी दुकानदार दो तरह के बाट रखते हैं।
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