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स्थापना दिवस : बिहार और यू पी वालों ने झारखंड को चारागाह बनाया- हेमंत सोरेन 

स्थापना दिवस : बिहार और यू पी वालों ने झारखंड को चारागाह बनाया- हेमंत सोरेन

बाजार, कार्य, और कारखाना सभी बंद पड़ गए समझ में नहीं आ रहा था कि राज्य को आगे कैसे बढ़ाएं। ना दवा की व्यवस्था और ना ही रोग की पहचान। ऐसे में हमारी सरकार ने बेहतर प्रबंधन के राहत कार्य से राज्य को उस वैश्विक महामारी से बाहर निकाला। दूसरे राज्यों में काम करने वाले महामारी के दौरान फंसे मजदूरों को घर वापसी की व्यवस्था की गई। हवाई मार्ग, सड़क मार्ग से दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को लाने का काम हमारी सरकार ने किया है। महामारी के दौरान कई राज्यों में लोगों की मौत जानवरों की तरह हुई। उनके दफन करने के लिए जमीन तक नहीं मिल रहा था, लेकिन सरकार हतोत्साहित नही हुई। तमाम मुश्किलों के बावजूद हमने दो साल का सफर तय किया। अब दो सालों बाद हम विकास कार्यों को लेकर राज्य में आगे बढ़ रहे हैं।
विकास कार्यों को जब गति देने में जुटे हैं तो विपक्षियों के पेट मे दर्द होना शुरु हो गया है। मुद्दाविहीन विपक्ष षड्यंत्र के तहत हमारे विकास कार्यों को अवरुद्ध करने का काम कर रहें हैं। आदिवासी, दलित, अल्पसंख्क की मांग को विपक्ष असंवैधानिक बताती है। अलग राज्य की मांग को ये लोग असंवैधानिक बता रहे थे। लेकिन वह लड़ाई भी हमने लड़कर जीती है। सरना धर्म कोड को विपक्ष असंवैधानिक करार देती है। 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति इनके लिए असंवैधानिक हैं। आदिवासी और मूलवासी को अधिकार दिलाने पर बिहार और यूपी के लोगों के पेट में दर्द होने लगता है। 1932 खतियान अधारित नियोजन नीति को लेकर 20 लोग कोर्ट में गए। उन 20 लोगों में 19 लोग यूपी और बिहार के लोग शामिल हैं। एक ही सिर्फ झारखंड का था
उन्होंने इशारे इशारे में मंच से राज्यपाल पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कर्नाटक की सरकार जो कानून बनाती है उसे राज्यपाल मुहर लगाकर संसद में भेजते हैं। हमारे यहां आदिवासी और मूलवासी की मांग को असंवैधानिक करार दिया जाता है। कर्नाटक में विपक्ष की सरकार है।

उन्होंने कहा कि कोयला खनन कंपनियों के ऊपर 36 हजार करोड़ का बकाया है। इन विपक्षी पार्टियों ने राज्य को खोखला करने का काम किया है। यूपी और बिहार के लोगों के लिए झारखंड चारागाह बना हुआ है। 20 सालों में इन लोगों ने हमारी पीढ़ी के बारे में नहीं सोचा। ये सरकारी कर्मचारियों का शोषण करते हैं। आज लोग अपनी समस्या को लेकर सरकार तक पहुंच रहे हैं। पारा शिक्षक से लेकर हर कर्मचारियों की हमे चिंता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबुलाल मरांडी बने दूसरे अर्जुन मुंडा बने, लेकिन बीजेपी नहीं चाहती कि यहां के मूलवासी यहां सत्ता में रहे। मूलवासी अपनी सरकार चलाये। जिसका नतीजा था कि महज दो से तीन साल में ही सरकार गिर गईं। बीजेपी नहीं चाहती कि कोई मूलवासी यहां सत्ता में रहे।

उन्होंने अडानी को लेकर कहा कि आज देश में आर्थिक दुर्घटना घटी है। जिससे रुपया औंधे मुंह गिर गया है। आप भी समझ सकते हैं किस तरह से भ्रष्टाचार का आलम है।

महंगाई पर मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले महंगाई डायन थी और अब भौजाई बन गई है। हर चीजें महंगी हो रही है। एक एलपीजी कीमत 1200 सौ रुपये है। बीजेपी ने राज्य में 11 लाख गरीबों के नाम बीपीएल से काट दिए। मैने 20 लाख लोगों का नाम जोड़कर गरीबों को अनाज देने का काम किया है। हमने एफसीआई से सब्सिडी पर अनाज मांगी थी, लेकिन नहीं मिला।अब बाजार दर से अनाज खरीदकर लोगों के बीच बांटने का काम करे हैं।

समारोह में राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन शामिल हुए। उनके अलावे पार्टी के विधायक और सांसद भी मंच पर आसीन रहे। लोगों की भारी भीड़ समारोह में देखने को मिली। बड़ी संख्या में लोग पंडाल के बाहर भी मुख्यमंत्री का सम्बोधन सुनते नजर आए।