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सिंदूर कैसे बनता है और उसका उपयोग कहाँ किया जाता है

पहाड़ी इलाके में पाए जाने वाले इस वृक्ष से बनाता है सिंदूर

लोग वहां से थोक में सिंदूर लेकर भी आते हैं, लेकिन क्या आपने कभी इस बारे में सोचने की कोशिक की है कि आखिर सिंदूर का रंग इतना लाल क्यों और कैसे होता है। सिंदूर को कैसे बनाया जाता है। नहीं, तो कोई नहीं आज हम आपको बताएंगे कि इसको कैसे बनाते हैं। दरअसल, ज्यादा तर सिंदूर को पहाड़ी इलाके में पाए जाने वाले एक पोधे बिक्सा ओरेलाना से बनाया जाता है। बीस से पच्चीस फीट ऊंचे इस वृक्ष में फलियां गुच्छ के रूप में लगती है।

शरद ऋतु में फलियों से खिल उठता है ये वृक्ष

इन फल्यों का आकार मटर की फली की तरह होता है। शरद ऋतु के दौरान इस वृक्ष पर फलियां थौक में लद जाती हैं। फलियों के अंदर के भाग का आकार भी मटर की फली जैसा होता है जिसमें सरसों के आकार के दाने होते हैं जो लाल रंग के पराग से ढ़के होते हैं जिसे बिना कुछ मिलाए शुद्ध सिंदूर या कुमकुम की तरह प्रयोग किया जाता है। इसके दानों को अच्छे से पिसने पर ये लाल रंग के सिंदूर के रूप में आ जाता है।

विदेशों में भी इस वृक्ष के फलियों की मांग

वहीं इस पौधे और सिंदूर को लेकर एक मान्यता भी काफी प्रचलित है। कहा जाता है कि वन प्रवास के दौरान माता सीता इसी फल के पराग को अपनी मांग में लगाती थीं और महाबली हनुमान भी इसी का लेप तन पर लगाया करते थें। वहीं बताया जाता है कि विदेशों में भी पहाड़ी क्षेत्रों के पाए जाने वाले इन वृक्ष पर तैयार हो रहे बीज की काफी मांग बढ़ी है। इससे अमेजन से लेकर कोरिया केवीके केंद्र में डिमांड आना शुरू हो गया है। पता हो कि स्थानीय नाम में चर्चित अनटाइल्ड पौधा भी कहा जाता है।