झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

Hemant Soren

सीएम हेमंत सोरेन के जन्मदिवस पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने दी बधाई

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सोमवार को 45 साल के हो गए. इस अवसर पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा बीजेपी के विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी और गोड्डा से बीजेपी के सांसद निशिकांत दूबे ने भी ट्विटर पर हेमंत सोरेन को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं.

रांचीः प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सोमवार को 45 साल के हो गए. यह दूसरा मौका है जब वह राज्य के मुख्यमंत्री बने हैं. इससे पहले 38 साल की अवस्था में 2013 में भी उन्होंने प्रदेश की कमान संभाली थी. सोरेन के जन्मदिन पर सोमवार को उन्हें राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने ट्वीट कर जन्मदिन की बधाई दी है. साथ ही राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा बीजेपी के विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी और गोड्डा से बीजेपी के सांसद निशिकांत दूबे ने भी ट्विटर पर सोरेन को जन्मदिन की शुभकामनाएं दी हैं.
राज्य के संथाल परगना इलाके के बरहेट विधानसभा से दूसरी बार विधायक बने सोरेन पूर्ववर्ती भाजपा-झामुमो गठबंधन में उप मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. साथ ही थोड़े समय के लिए राज्यसभा सदस्य भी रहे हैं. सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो और झारखंड आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले शिबू सोरेन के दूसरे संतान हैं. शिबू सोरेन भी राज्य के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. वहीं, हेमंत के बड़े भाई दुर्गा सोरेन दुमका जिले के जामा विधानसभा से विधायक रहे हैं.
हेमंत सोरेन ने 2003 में छात्र राजनीति में कदम रखा था. वहीं, 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन दुमका विधानसभा सीट से जेएमएम के अधिकृत प्रत्याशी के रूप में उतरे, लेकिन उन्हें शिबू सोरेन के पुराने साथी स्टीफन मरांडी ने हरा दिया. दुमका विधानसभा सीट से स्टीफन मरांडी जेएमएम के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ते और जीतते रहे. 2005 में पार्टी ने मरांडी के जगह हेमंत को उतारा. इसी वजह से स्टीफन मरांडी बागी होकर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतर गए और उनकी जीत हुई.
वहीं,साल 2009 में हेमंत सोरेन के बड़े भाई दुर्गा सोरेन की मौत हो गई. उसी साल हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने पहली बार दुमका विधानसभा सीट से जीत दर्ज की. उस समय हेमंत राज्यसभा सदस्य थे. विधानसभा चुनाव में जीत के बाद उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया. 2010 में बीजेपी और जेएमएम के गठबंधन से बनी सरकार में उप मुख्यमंत्री बने.
पूर्ववर्ती बीजेपी शासन काल में सोरेन नेता प्रतिपक्ष के रूप में चुने गए. उस दौरान तत्कालीन सरकार पर उनके हमले और आंदोलन ने उनके राजनीतिक कद को काफी बढ़ाया. बीजेपी शासन काल में छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट और संथाल परगना टेनेंसी एक्ट में बदलाव के सरकार की पहल का उनके नेतृत्व में पुरजोर विरोध किया गया. इतना ही नहीं बेरोजगारी के मुद्दे पर भी विपक्ष ने उनके नेतृत्व में आवाज उठाई. 2014 से 2019 तक हुए अलग-अलग आंदोलनों के बाद उनके राजनीतिक कद में इजाफा हुआ.
2019 में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद राज्य में बनी महागठबंधन की सरकार की कमान हेमंत सोरेन को सौंपी गई. 29 दिसंबर 2019 को उन्होंने दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. फिलहाल कांग्रेस और राजद के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं.
राज्य का शासन संभालने के 3 महीने के भीतर ही वैश्विक महामारी कोरोना से दो-दो हाथ करना पड़ा. इस दौरान हेमंत सोरेन सरकार के प्रयासों से लगभग 7 लाख प्रवासी मजदूरों को वापस उनके घरों तक झारखंड के अलग-अलग इलाकों में पहुंचाया है. झारखंड देश का पहला राज्य बना, जहां कोरोना वायरस के दौर में पहली ट्रेन चली थी. साथ ही मजदूरों को लेह और लद्दाख जैसे दुर्गम इलाकों से प्रवासी मजदूरों को एअरलिफ्ट किया गया. इतना ही नहीं कोविड-19 के दौर में राज्य भर में 6500 से अधिक चलाए गए मुख्यमंत्री किचन की वजह से पूरे देश भर में उनकी काफी चर्चा हुई
सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन स्कूल चलाती हैं, उनके परिवार में उनके दो बच्चे हैं. वहीं, सोरेन के छोटे भाई बसंत झारखंड मुक्ति मोर्चा के युवा शाखा की कमान संभाल रहे हैं. जबकि उनकी बहन अंजलि सोरेन उड़ीसा से पिछला लोकसभा चुनाव भी लड़ चुकी हैं.

About Post Author