साहिबगंज में सिंचाई की अच्छी व्यवस्था नहीं होने के कारण किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, गंगा का पानी अपने खेत तक पहुंचाने में 90 प्रतिशत किसान सक्षम नहीं हैं. यही वजह है कि तीन या चार बार पानी नहीं मिलने से फसल की पैदावार पर असर पड़ रहा है.
साहिबगंज: रबी फसल की बुआई, जुताई और सिंचाई जारी है. किसान दिन भर अपने खेतों में समय दे रहे हैं. इसी फसल से ही इनका परिवार और देश की जनता की भूख मिटती है, लेकिन हर राजनीतिक पार्टी किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर राजनीति करती है. अपना मामला सेट होने पर किसान को फिर वहीं मरने के लिए छोड़ देती है.
साहिबगंज में गंगा किनारे 15079.6 एकड़ जमीन पर खेती होती है. यहां के किसानों को अपनी फसल की बुआई के बाद सिंचाई के लिए गंगा नदी या छोटे नहर, तालाब पर निर्भर रहना पड़ता है. किसान अपनी फसल में दोपहर पानी देते हैं. नहर-तालाब सूखने लगे हैं. वहीं, गंगा का पानी अपने खेत तक पहुंचाने में 90 प्रतिशत किसान सक्षम नहीं हैं. यही वजह है कि किसान को तीन या चार बार पानी नहीं मिलने से फसल की पैदावार पर असर पड़ता है.
किसानों का कहना है एक बीघा में पहले 20 मन अनाज होता था, अब 10 से 12 मन होना मुश्किल हो जाता है. किसान पूरी पूंजी, शरीर से मेहनत खेत में लगा देता है, लेकिन मेहनत के अनुरूप किसान की मजदूरी नहीं निकल पाती है. किसान ने कहा कि दियारा में सरकारी बोरिंग रहती तो सुविधा मिलती, लेकिन कई सरकार आयी और कई चली गयी लेकिन किसान को देखने वाला कोई नहीं है.
जिला कृषि पदाधिकारी ने कहा कि नामामि गंगे के तहत किसानों को टपक बुन सिंचाई के अंतर्गत सिंचाई शेड दिया जा रहा है. वैसे किसान जो गंगा किनारे खेती करते हैं वैसे किसान को लाभ दिया जाएगा. वह ऑनलाइन इस योजना का लाभ उठा सकते हैं.
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