झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

साबित हुए नकारे साहिब

साबित हुए नकारे साहिब
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हमें लगे थे प्यारे साहिब
साबित हुए नकारे साहिब

जनता आस भरी आँखों से
अब भी तुझे निहारे साहिब

चौथा खम्भा है नतमस्तक
तेरे वारे न्यारे साहिब

हाल बुरा पहले से फिर क्यूँ
मरे हुए को मारे साहिब

डरो नहीं तो अब गद्दी से
जनता तुझे उतारे साहिब

हर कोने की चीख सुनो तुम
जन जन तुझे पुकारे साहिब

सुमन आस थी रौशन होगा
तुम लाये अंधियारे साहिब!

श्यामल सुमन