झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

साँसें रुक जाएंगी कब?

साँसें रुक जाएंगी कब?
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कब तलक ताकत का ये, होगा तमाशा, क्या पता?
साँसें रुक जाएंगी कब, होगा धमाका, क्या पता?

हो अमन दुनिया में कायम, बात हर शासक करे
क्या कहें है क्या हकीकत, क्या दिखावा, क्या पता?

खुद को ताकतवर दिखाने, के लिए हर जंग है
प्यार में क्यों लव जिहादी, का फटाका, क्या पता?

दर्ज इतिहासों में देखो, शासकों की कुछ सनक
क्यों लगाते आँसूओं पर, वो ठहाका, क्या पता?

मौत से पहले सुमन क्यों, मारते आवाम को
साथ देंगे लोग या, होगा छलावा, क्या पता?

श्यामल सुमन

दिन का सूरज कैद में
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रात अंधियारे में अपनी, दिन का सूरज कैद में
जो रचा दुनिया को वो भी, बन के मूरत कैद में

एक ही दुनिया में जी कर, ढंग सबके हैं अलग
फिक्र है जनता की हमको, उसकी नीयत कैद में

टूटते सपनों को मिल के, जोड़ना तू सीख ले
एकता किस्मत हमारी, और किस्मत कैद में

जंग सरहद पर अगर तो, खेत में भी जंग है
इक शहादत याद करते, इक शहादत कैद में

जी रहे संगीन के, साये में क्यों आवाम अब
कैमरे के संग कलम की, आज फितरत कैद में

खूबसूरत झील, नदियाँ, सरजमीं और वादियाँ
जिसको हम कहते हैं जन्नत, आज जन्नत कैद में

दूर तक देखो तो लगता, आसमां झुकता सुमन
खुद झुका ले आसमां क्या, तेरी ताकत कैद में

श्यामल सुमन

समझ सके मनमीत वही
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अपने जैसा एक आदमी, बना सको तो जीत वही
दिल की बातें जो बिन बोले, समझ सके मनमीत वही

प्यार, प्यार रटने वालों की, कमी नहीं इस दुनिया में
जो आँखों के रस्ते दिल में, झट से उतरे प्रीत वही

चिड़ियों की कलरव हो चाहे, कलकल धारा नदियों की
सांसों तक में एक रिदम जो, सचमुच है संगीत वही

अपनी बातें तर्क सहित हम, अक्सर रखते दुनिया में
लोगों ने सच माना तो सच, वरना है विपरीत वही

स्वतः भावना निकले मुख से, आह, वाह कुछ सुनते ही
उठतीं दिल में जहाँ हिलोरें, सुमन सफल है गीत वही

श्यामल सुमन