झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

साँचो! निर्मोही तुम साजन

साँचो! निर्मोही तुम साजन
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साँचो! निर्मोही तुम साजन।
तेरी मनमानी के कारण, दिखता सूना आँगन।।
साँचो! निर्मोही —–

घर, समाज या देश प्रमुख का, पद है सचमुच पावन।
खतम करे जो पद की गरिमा, क्यों बैठे उस आसन??
साँचो! निर्मोही —–

खुद को ही सर्वज्ञ बताकर, खुद का खुद गुण – गायन।
किसे फिकर अब आमजनों की, संकट में जन-जीवन।।
साँचो! निर्मोही —–

कब तक सुने सुमन सब झूठे, वादे लोक – लुभावन?
नीति गलत जब हो प्रधान की, जनता बनी अभागन।।
साँचो! निर्मोही —-
श्यामल सुमन