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राम मंदिर बनने से 86 वर्षीय कारसेवक खुश, अयोध्या में की थी कारसेवा

सरायकेला के रहने वाले 86 वर्षीय वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ता और कार सेवक पंडित काशीनाथ झा ने विवादित ढांचा गिराने में अहम भूमिका निभाई थी. बुधवार को राम मंदिर निर्माण शिलान्यास होने के बाद कारसेवक पंडित काशीनाथ झा काफी खुश नजर आए.

सरायकेला: जिले के आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत वार्ड संख्या-18 के रहने वाले 86 वर्षीय वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ता और कारसेवक पंडित काशीनाथ झा आज भाव विभोर हैं. राम मंदिर निर्माण के परिकल्पना को लेकर यह महीनों-महीनों तक अपने घर से गायब रहते थे. कार सेवक के रूप में अयोध्या राम मंदिर में अग्रणी भूमिका निभाई थी. आज जब अपने कई दिवंगत कार सेवक साथियों को यह अपने बीच नहीं पाते तो भावुक हो उठते हैं. 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राम मंदिर निर्माण को लेकर भूमि पूजन किए जाने के बाद कारसेवक पंडित काशीनाथ झा काफी खुश नजर आए.
86 वर्षीय काशीनाथ झा अस्वस्थ चल रहे हैं, लेकिन जब भी राम मंदिर निर्माण को लेकर आंदोलन की बात आती है वह उत्तेजित हो जाते हैं. उन्होंने बताया कि 1991 में अयोध्या राम मंदिर निर्माण को लेकर कारसेवकों ने हुंकार भरी थी, तब तत्कालीन मुलायम सिंह सरकार द्वारा कारसेवकों पर गोलियां बरसाई गई थी. उस वक्त भी पंडित काशीनाथ झा अपने अन्य कारसेवकों के टीम के साथ मौजूद थे, जिसके बाद से यह लगातार राम मंदिर निर्माण आंदोलन में अहम भूमिका निभाते रहे.6 दिसंबर 1992 को कार सेवकों द्वारा विवादित ढांचा गिराए जाने के आंदोलन में शामिल कारसेवक पंडित काशीनाथ झा के परिवार को इनका कोई पता नहीं चल पाया था. परिवार वालों को यह बताया गया कि विवादित ढांचा गिराए जाने के दौरान यह मलबे में दब गए हैं, जिसके बाद परिवारवालों में मातम छाया था, लेकिन जब 15 दिन बाद यह सकुशल वापस लौटे, तो पूरे परिवार ने राहत की सांस ली. पंडित काशीनाथ झा विश्व हिंदू परिषद और भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में अपना योगदान देते रहें हैं. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण शिलान्यास होने के बाद कारसेवक पंडित काशीनाथ झा और उनका पूरा परिवार गौरवान्वित महसूस कर रहा है. उम्र के 86वें पड़ाव में जहां आज इनके अधिकतर कारसेवक साथी बिछड़ गए हैं. वहीं यह अपने आप को आज भाग्यशाली मानते हैं कि जिस आंदोलन को लेकर उन्होंने घर परिवार को त्यागा था, आज वह सफल हुआ है.