जमशेदपुर। देश के जाने माने सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने चार पूर्व मुख्य न्यायाधीश और वर्तमान न्यायाधीश पर अपने दो ट्वीट के माध्यम से जो सवाल उठाया वह आम जनता की भावना है। जजों पर सवाल उठाना सुप्रीम कोर्ट की अवमानना कतई नहीं है। अगर सोमवार को प्रशांत भूषण पर कोई ऐसा फैसला आता है तो यह इतिहास बनेगा। एक बयान जारी कर अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने कहा कि आम जनता की भावना को प्रशांत भूषण ने ट्वीट के माध्यम से सवाल खड़ा किया है यह किसी भी हालत में न तो गैर कानूनी है और न ही सुप्रीम कोर्ट की अवमानना। पप्पू ने कहा कि प्रशांत भूषण ने माफी नहीं मांग कर एक संदेश उन जजों को भी दिया है जो अपने मन मुताबिक आदेश थोपना चाहते हैं। प्रशांत भूषण के मामले में देश के जाने माने लेखक पत्रकार और विचारक उनके साथ हैं। पिछले छह वर्षों में जिस तरह के फैसले सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने दी है इस पर सवालिया निशान लगना जरूरी था। स्वतंत्र न्यायपालिका और उसमें सुधार को लेकर अब देशभर में आवाजें उठने लगी है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चार मुख्य न्यायाधीश और वर्तमान में मुख्य न्यायाधीश की भूमिका पर सवाल उठाकर प्रशांत भूषण ने लोकतंत्र की रक्षा की है। अब देखना यह होगा कि सोमवार को आखिरकार इन जजों ने प्रशांत भूषण के मामले में क्या कदम उठाते हैं। वैसे अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को सलाह दी है कि चेतावनी देकर प्रशांत भूषण के मामले को समाप्त किया जा सकता है। शुरुआती दिनों में प्रशांत भूषण के मामले में एग्रेसिव रहे जज अब खुद पेशोपेश में है इस मामले को कैसे सुलझाया जाय। पूरे देश की नजर सोमवार को होने वाले सुप्रीम कोर्ट के जजों के फैसले पर टिकी है। परंतु सवाल यह भी है कि प्रशांत भूषण के दो ट्वीट से जजों को इतना खतरा क्यों महसूस हो रहा है इसका भी जवाब खोजना होगा।
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