झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

प्रकाश पर्व

प्रकाश पर्व
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प्रकाश पर्व! प्रकाश पर्व!!

हाल जन का देखकर, नारों में लपेटकर।
तुम मना रहे खुशी, रौशनी को कैद कर।
प्रकाश-पर्व!

अँधकार बढ़ रहा, हाल भी बिगड़ रहा।
जुल्म और करने को, कहानियाँ भी गढ़ रहा।
प्रकाश-पर्व!

हाल सबका खास्ता, राजा को नहीं वास्ता।
अँधेरे को मिटाने को, विचार से ही रास्ता।
प्रकाश-पर्व!

क्यों जगे को छाँटते, मंच पे भी डाँटते।
लेकर तू नाम धर्म का, भाईयों को बाँटते।
प्रकाश-पर्व!

जाग देशवासियों, छात्र और सिपाहियों।
जुल्म और मत सहो, गांव, शहर वासियों।
प्रकाश-पर्व!

साथ सुमन आएंगे, जुल्म को मिटाएंगे।
अगली पीढ़ी के लिए, प्रकाश भी जलाएंगे।
प्रकाश-पर्व!

श्यामल सुमन